भूख का नहीं होता धर्म- नेताओं को आखिर कौन समझाये?

भूख का नहीं होता धर्म- नेताओं को आखिर कौन समझाये?

मुजफ्फरनगर। सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा है, इस मैसेज को लोग काफी सराह रहे हैं। यह संदेश सामाज को जाति-धर्म के नाम पर जहर घोलने वाले से जागरूक करता है। इस मैसेज पर काफी लोगों की कमेंट आ रही है। लोग इस मैसेज से प्रेरणा ले सकते हैं। भूखे इंसान की न कोई जाति न कोई धर्म होता है। वह हिन्दू या मुस्लिम नहीं देखता, वह सभी जाति-धर्मों के लोगों से भोजन मांगकर खा लेता है। इससे लोगों को यह प्रेरणा मिलती है कि लोग धर्म-जाति से हटकर एक इंसान बनकर समाज में जीवन को व्यतीत करें।


वो राम की खिचड़ी भी खाता है, रहीम की खीर भी खाता है।

वो भूखा है, जनाब

उसे, कहां मजहब समझ आता है।

सोशल मीडिया पर उक्त संदेश वायरल हो रहा है, जो लोगों द्वारा काफी सराहा जा रहा है। इतना ही नहीं लोग इस संदेश पर तरह-तरह के कमेंट कर रहे है। यह देश में फैलाये जा रहे जातिवाद, धर्मवाद पर करारा प्रहार है। लोग इसे समझकर इसकी सराहना भी कर रहे हैं।

राजनेताओं पर यह संदेश करारा तंज है। आज के समय में राजनेताओं ने लोगों के मन में इतना जहर भर दिया है, जिसकी कोई हद नहीं है। राजनेता अपनी राजनीतिक रोटियां संेकने में इतने मशगूल हैं कि उन्हें इतना सोचने की भी फुर्सत नहीं है कि उनकी इन करतूतों के भविष्य में कितने घातक परिणाम आ सकते हैं।

राजनेता तो जनता पर राज करने के लिये हर फाॅर्मूला अपनाते हैं। समाज को जाति और धर्म के नाम पर बांटकर वे सिर्फ कुर्सी हथियाने के चक्कर में रहते हैं। जनता भी इतनी भोली है कि वह अपने ही राजनेताओं की चाल को नहीं समझ पाती और उनके जाल में फंस जाती है। उन्हें लगता है राजनेता जो कह रहा है, वह उनकी भलाई के लिए ही है, लेकिन जब हकीकत पता चलती है, तब तक चिड़िया खेत चुग गई होती है।

नेता जनता से झूठा वादा कर उनको बेवकूफ बनाने का काम करते है। नेता गद्दी पर बैठने के लिये लोगों को कभी जाति, तो कभी धर्म के नाम पर भिड़वा देते हैं।

नेताओं की इन्हीं कारस्तानियों को बयां करते हुए उक्त मैसेज सोशल मीडिया पर पूरी तरह से वायरल हो रहा है, जो धर्म और जाति के नाम पर राजनीतिक करने वालों के मुंह पर किसी जोरदार तमाचे से कम नहीं है।

इस संदेश में लिखा है कि भूखे को जब भूख लिखती है, तो वह यह नहीं देखते कि वो राम की खिचड़ी है या रहीम की खीर। उसे मजहब की बात समझ नहीं आती, वह सिर्फ पेट में उठ रही ज्वालाओं को शांत करने की फिक्र में रहता है।

वह एक इंसान के रूप में लोगों से भोजन प्राप्त करता है और खा लेता है। वह समाज में रहकर इंसान के रूप में बेहतरीन जीवन व्यतीत करता है। क्योंकि वहीं इंसानियत की असली परिभाषा को समझता है और समझाता भी है, बस समझाने वाला चाहिए।





epmty
epmty
Top