आतंकवाद विरोधी दिवस पर ली शांति और सद्भाव बनाए रखने की शपथ
मुजफ्फरनगर। थाना प्रभारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्य तिथि को आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में मनाते हुए सभी पुलिसकर्मियों को सामाजिक सद्भाव और शांति बनाए रखने की शपथ ग्रहण कराई।
शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक यादव के निर्देश पर जनपद के सभी थानों पर प्रभारी निरीक्षक व थानाध्यक्ष द्वारा अधीनस्थ पुलिसकर्मियों को सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखते हुए आतंकवाद विरोधी दिवस पर देश में आतंकवाद और हिंसा का डटकर विरोध करने व मानव जाति के सभी वर्गों के बीच शांति, सामाजिक सद्भाव तथा सूजबूझ कायम करने एवं मानव जीवन मूल्यों को खतरा पहुंचाने वाली और विघटनकारी शक्तियों से लड़ने तथा सामाजिक सद्भाव व शांति बनाए रखने की शपथ ग्रहण कराई गई।
गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि को आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज ही के दिन 21 मई को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आत्मघाती हमले में वर्ष 1991 में हत्या कर दी गई थी। पूर्व पीएम राजीव गांधी को देश में कई काम के लिए याद किया जाता है, लेकिन इनमें से एक खास है उनका कंप्यूटर के लिए काम करना। उन्हें देश में कंप्यूटर क्रांति का श्रेय दिया जाता है, क्योंकि उन्होंने ना सिर्फ कंप्यूटर को भारतीय घर तक लाने का काम किया। बल्कि भारत में इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी को आगे ले जाने में अहम रोल निभाया। पूर्व पीएम राजीव गांधी के वक्त ही नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर की स्थापना भी हुई थी। देश की दो बड़ी टेलीकॉम कंपनी एमटीएनएल और बीएसएनएल की शुरुआत उनके कार्यकाल के दौरान ही हुई।
चूंकि तब कंप्यूटर्स महंगे होते थे, इसलिए सरकार ने कंप्यूटर को अपने कंट्रोल से हटाकर पूरी तरह ऐसेंबल किए हुए कंप्यूटर्स का आयात शुरू किया। जिसमें मदरबोर्ड और प्रोसेसर थे। यहीं से कंप्यूटर्स की कीमतें कम होनी शुरू हुई थी। क्योंकि इससे पहले तक कंप्यूटर्स सिर्फ चुनिंदा संस्थानों में इंस्टॉल किए गए थे।
भारत में टेलीकॉम और कंप्यूटर क्रांति में सैम पित्रोदा ने भी अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने लगभग दशकों तक राजीव गांधी के साथ मिलकर भारतीय इन्फॉर्मेशन इंडस्ट्री बनाने में मदद की।
राजीव के पीएम बनने से पहले ही 1970 में पहली बार भारत में डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स की शुरुआत हो गई थी। जिसका मकसद पब्लिक सेक्टर में कंप्यूटर डिविजन की नींव रखना था। 1978 में आईबीएम के अलावा दूसरी प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों ने भारत में कंप्यूटर बनाना शुरू किया.
एक बार पित्रोदा ने कहा भी था कि नरेंद्र मोदी ने नहीं, बल्कि राजीव गांधी ने डिजिटल इंडिया के लिए सबसे पहले काम शुरू किया था।