पंचायत चुनाव- चिकन पर आई बहार- रेट दोगुने से पार- मुर्गे जीत की आस
मुजफ्फरनगर। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कामयाबी प्राप्त करने के लिए साम- दाम- दंड और भेद की नीति अपना रहे प्रत्याशियों की उम्मीद चिकन पर आकर टिक गई है। कोरोना और बर्ड फ्लू की महामारी के मााहौल के बीच चिकन पर इस समय पूरी बहार है। चुनावी अहमियत के चलते चिकन के दाम पिछले 30 दिनों के भीतर लगभग दोगुने से हो गए हैं। इतना ही नहीं त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के चलते चिकन की खपत भी बढी है। चिकन की मांग का आलम यहां तक आ पहुंचा है कि पोल्ट्री फार्म अब चिकन की एडवांस बुकिंग कर रहे हैं।
दरअसल राज्य में चल रही त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव प्रक्रिया के तहत दूसरे चरण के दौरान जनपद की सभी 43 जिला पंचायत सीटों के अलावा सभी नौ विकास खंड क्षेत्रों में ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायत सदस्य पद के चुनाव होने हैं। भावी उम्मीदवारों द्वारा नामांकन खरीदने की प्रक्रिया चल रही है और देहात के इलाकों में चुनाव प्रचार पूरे उफान पर है। गांव में उम्मीदवारों के सौजन्य से दावतों का दौर तो चल ही रहा है। साथ ही लोक लिहाज के चलते दावत स्थल तक ना पहुंचने वाले मतदाताओं के घर पर चिकन की होम डिलीवरी भी की जा रही है। चुनावी मौसम की प्रतिस्पर्धा में वोटरों की पांचों उंगलियां घी में और सिर कढ़ाई में डोलता हुआ दिखाई दे रहा है। मार्च की शुरुआत में सामान्य से दिखाई दे रहे मुर्गे के भाव अचानक से दोगुने से हो गए हैं। होली के बाद पुरजोर तरीके से शुरू हुए चुनावी मौसम में बाजार में मुर्गे का भाव बढ़ गया है। थोक कारोबारी कहते हैं कि कोरोना काल के बाद पहली बार कारोबार में लाॅकडाउन से पहले जैसी रंगत लौटी है। ग्राम प्रधान प्रत्याशी खर्च घटाने को पोल्ट्री फार्म से ही थोक के भाव मुर्गा उठाकर ले जा रहे हैं। उनके कटर मुर्गों की सफाई कर रहे हैं। मुर्गे का दाम ही नहीं खपत भी पिछले दिनों के भीतर डबल हो गई है। पिछले पंचायत चुनाव की बात करे तो आमतौर पर अभी तक शराब और मिठाई का प्रयोग होता हुआ आया है। लेकिन इस बार पैटर्न बदल गया है और चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी मुर्गों की दावत देकर अपनी जीत को पक्की करने की कोशिशें कर रहे हैं। फिलहाल 15 अप्रैल तक चिकन के दामों में कमी आने की संभावना दिखाई नहीं दे रही है।