जनसंख्या नियंत्रण में पुरुषों की भागीदारी महत्वपूर्ण : सीएमओ

मुजफ्फरनगर। जनसंख्या की स्थिरता एवं प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए पुरुषों की सहभागिता बेहद महत्वपूर्ण है। परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी सुनिश्चित कराने के लिए शनिवार को पुरुष नसबंदी पखवाड़े का शुभारंभ किया गया, जो 4 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान शहर से लेकर गांव तक लोगों को सीमित परिवार के फायदों के बारे में जागरूक किया जाएगा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रवीण चोपड़ा ने आज पुरुष नसबंदी पखवाड़े का उद्घाटन करते हुए उक्त उदगार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि इस वर्ष पखवाड़े की थीम "परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी, जीवन में लाए स्वास्थ्य और खुशहाली" रखी गई है। उन्होंने बताया कि नसबंदी कराने वाले पुरुषों को 3000 रुपए की प्रतिपूर्ति राशि दी जाएगी। महिलाओं को प्रसव क्रिया के तुरंत बाद नसबंदी कराने पर 3000 रुपए और प्रसव क्रिया के अंतराल पर महिला नसबंदी कराने पर 2000 रुपए की प्रोत्साहन राशि देने की सरकार की ओर से व्यवस्था की गई है। परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एसीएमओ डॉ राजीव निगम ने बताया कि कोविड-19 के दौर में जनसंख्या स्थिरता के लिए पुरुषों को महिलाओं की तरह समान रूप से नसबंदी के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
पुरुष नसबंदी पखवाड़ा दो चरणों में मनाया जाएगा। 21 से 27 नवंबर तक "दंपत्ति संपर्क" और 28 से 4 दिसंबर तक "सेवा नसबंदी" कार्यक्रम चलेगा। आज बीती 14 नवंबर को आरंभ हुए "नवजात शिशु देखभाल सप्ताह" का भी समापन किया गया। इस दौरान अभिभावकों को सलाह दी गई कि नवजात शिशु को हमेशा कपड़ों में लपेट कर रखें। नवजात शिशु को 1 सप्ताह तक नहलाया नहीं जाए। जैसे ही शिशु का जन्म हो उसे सूती कपड़े से पोछें और प्रसव के पश्चात सिर की खाल को तेजी से सुखाएं। शिशु को हवा के झोंकों से बचाते हुए पंखे के नीचे या कूलर के सामने ना लिटाए। शिशु को सॉफ्ट और मुलायम कपड़े में लपेटकर मां की छाती से लगाकर रखें, इससे शिशु को गर्मी मिलती है और उसके शरीर का तापक्रम ठीक बना रहता है। उन्होंने सलाह दी कि प्रसव के तुरंत बाद बच्चे को स्तनपान जरूर कराएं।
रिपोर्ट - सत्येंद्र ठाकुर