योग का अर्थ सत्य और ज्ञान की प्राप्ति-सुरेंद्र

योग का अर्थ सत्य और ज्ञान की प्राप्ति-सुरेंद्र

मुजफ्फरनगर। योग की शिक्षा उस व्यक्ति को दी जाती है, जो स्वयं को जानने के लिए उत्सुक हो। जो स्वयं को जानने के लिए पुरूषार्थ एवं साधना करना चाहता है, वही व्यक्ति योगी कहलाता है। योगी की परिभाषा या योग का अर्थ होता है, सत्य और ज्ञान की प्राप्ति। उक्त विचार भारतीय योग संस्थान के प्रान्तीय कार्यकारिणी सदस्य योगाचार्य सुरेन्द्र पाल सिंह आर्य ने गांव बरवाला में आयोजित सम्मान समारोह में व्यक्त किए।

रविवार को आयोजित किये गये सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए योगाचार्य सुरेंद्रपाल सिंह ने कहा कि योग की बहुत प्रचलित परिभाषा है- जोडना। यहां पर जोड़ने का अर्थ है स्थूल और सूक्ष्म को जोडना, व्यक्त और अव्यक्त को जोडना। योग का सम्बन्ध व्यक्ति की व्यक्तिगत चेतना और ब्रह्माण्डीय चेतना के मिलन से होता है। इस प्रक्रिया में मनुष्य पहले योगी नही बल्कि एक साधक बनता है। जिज्ञासु, साधक, योगी और जीवनमुक्त ये चार अवस्थाए है। जिज्ञासा तो सभी के मन में उत्पन्न होती है। प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में कभी न कभी सोचता तो अवश्य है कि मेरे इस मनुष्य जीवन का उद्देश्य क्या है, परन्तु बहिर्मुखी वृत्ति के कारण वह अपनी इस जिज्ञासा को भूल जाता है। इनमें से कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं, जो अपने उद्देश्य को सामने रखकर साधना करते हैं। वे साधक के समूह में आ जाएंगे। जब हम योग को अपनाते हैं तब योगी कहलाते है। साधक से योगी बनते हैं और धर्म के आचरण के पश्चात योगाभ्यासी कहलाते है। उन्होंने बताया कि आज तक ऐसी किसी वैज्ञानिक पद्धति का विकास नही हुआ जो व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास एक साथ कर सके। यह शक्ति केवल और केवल योग में ही निहित हैं ।

भारतीय योग संस्थान के निःशुल्क योग साधना केंद्र पंचायत घर गाँव बरवाला में योगाचार्य सुरेन्द्र पाल सिंह आर्य का प्रदेश स्तरीय योगासन प्रतियोगिता में 35 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में तृतीय स्थान प्राप्त करने ग्रामवासियों ने फूल माला पहना कर उनका जोरदार स्वागत किया। इस अवसर पर क्षेत्रीय प्रथान राजीव रघुवंशी का भी स्वागत किया गया। तत्पश्चात देश में सुख शांति और कोरोना महामारी से बचाव हेतु वृहद यज्ञ का आयोजन किया गया। यज्ञ के ब्रह्मा योगाचार्य सुरेन्द्र पाल सिंह आर्य रहे तथा यज्ञमान योग शिक्षक अनंगपाल सपत्नीक रहें। यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य सुरेन्द्र पाल सिह आर्य ने उपस्थित सभी गांववासियों को शराब, गुटखा व चाय आदि मादक पदार्थों का सेवन न करने का संकल्प दिलाया। इस अवसर पर सोमपाल, बाॅबी, संदीप, रितेश, बलराज, नीरज, झलक व केन्द्र प्रमुख गौतम बालियान का विशेष योगदान रहा । अंत में शान्तिपाठ एवं प्रसाद वितरण के पश्चात कार्यक्रम का समापन हुआ।

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