लव जिहाद पर 'शिव' ने भी खोला तीसरा नेत्र
भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने लव जिहाद पर राज्यसभा में अध्यादेश लाने का फैसला किया है। सरकार का यह उचित समय पर सही फैसला है। धार्मिकता की आड़ में इस घिनौने अपराध पर लगाम लगनी चाहिए। अगर बिल पास करवाने में मामा की सरकार सफल रहीं तो मध्यप्रदेश लव जिहाद पर कानून बनाने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। लव जिहाद के खिलाफ सरकार की यह पहली सर्जिकल स्ट्राइक होगी। इसके पूर्व कर्नाटक, हरियाणा और यूपी ने इस पर कानून बनाने का फैसला किया है।
निश्चित रुप से लव जिहाद एक घृणित धार्मिक साजिश है। कोई भी धर्म संस्कृति इसकी मान्यता नहीं देता है लेकिन हाल के सालों में लव जिहाद सियासी मुद्दा बन गया है। यह हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच नफरत और घृणा के साथ सामुदायिक तनाव का कारण भी बन रहा है। तीन साल पूर्व भारत में ऐसी शब्दावली विकसित नहीं थीं, लेकिन मीडिया और सियासी वजह से लव जिहाद की शब्दावली हर जुबान पर चढ़ गई। हरियाणा के वल्लभगढ़ में एक हिंदू लड़की को मुस्लिम युवक की तरफ से गोली मार कर हत्या करने की घटना ने देश को हिलाकर रख दिया। इस घटना ने लव जिहाद की बहस को नया रूप दिया है।
मध्यप्रदेश सरकार लव जिहाद पर अध्यादेश लाकर राज्य में सियासी बढ़त लेना चाहती है। वह हिंदू समाज के बड़े वर्ग को खुश कर बड़े वोटबैंक को साधना चाहती है। हालाँकि लव जिहाद की घटनाएँ इसके पूर्व भी घटित होती रहीं हैं, लेकिन तब यह शब्दावली नहीं थी, लेकिन इस परिभाषा ने इसे अत्यधिक ज्वलंत बना दिया है। लव जिहाद पर कई घटनाएँ बेहद चौंकाने वाली हैं।
हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच लव जिहाद नफरत का कारण भी बन रहा है। बल्लभगढ़ की घटना ने इसे नया रूप दिया है। सभ्य समाज में लव जिहाद का कोई स्थान नहीँ है। लव यानी प्रेम ईश्वर का स्वरूप है। प्रेम शाश्वत है, प्रेम में त्याग और समर्पण होता है वहां जिहाद का क्या मतलब। जहाँ मोहब्बत है वहां जिहाद हो ही नहीं सकता लेकिन जिहाद के लिए मोहब्बत का ढोंग रचना सबसे बड़ी धार्मिक साजिश है। लव जिहाद हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्म और संस्कृति को बदनाम करने की आतंकी साजिश है। कुछ गंदी सोच के लोग दोनों धर्म और संस्कृति को बदनाम कर समाज में नफरत और द्वेष फैलाना चाहते हैं।
भारत में सभी धर्म और संस्कृति के लोग रहते हैं। यह सनातन संस्कृति और संस्कार का देश है। सनातन धर्म ने कभी किसी दूसरे धर्म को भारत में फलने फूलने से नहीं रोका। सभी धर्मों के लोग अपनी धार्मिक आजादी के साथ जीते हैं। एक दूसरे की धर्म, संस्कार और परम्परा में विश्वास रखते हैं लेकिन इसे अब राजनीतिक मुद्दा बना दिया गया है। लव जिहाद का मामला किसी भी धर्म-संस्कृति से सम्बन्धित क्यों न हो, लेकिन यह एक महिला की जिंदगी से जुड़ा सवाल है।
भारतीय समाज में महिलाओं का सम्मान सबसे प्रथम वरीयता है। हिंदू धर्म में नारी को बड़ा सम्मान दिया जाता है। हिंदू धर्म में महिलाओं को गृहिणी यानी लक्ष्मी और देवि माना गया है। हमारे वेदों में कहा गया है कि जहाँ नारियों की पूजा यानी सम्मान होता है, वहां देवता बास करते हैं।
भारतीय नारी त्याग और समर्पण की प्रतिमूर्ति है। इस तरह की नारियों को भोग्या समझना सबसे बड़ी नासमझी है। किसी भी धर्म के लिए कठमुल्लापन घातक है। हमेशा खुली संस्कृति का सम्मान करना चाहिए। सभी धर्मों में नारियों का बड़ा सम्मान है, लेकिन कुछ नासमझ और बहके युवक आतंकी साजिश में फँस कर अपना धार्मिक अधि0कार मानते हैं। यह उनकी सबसे बड़ी भूल है।
भारत में लव जिहाद की शुरुआत कुछ साल पूर्व केरल से हुई थी, जहाँ एक हिंदू लड़की और एक मुस्लिम लड़के के बीच प्रेम विवाह के बाद साजिश का मामला सामने आया था। यह घटना इतनी चर्चित हुई कि इसकी जाँच एनआईए से करानी पड़ी। लव जिहाद दो शब्दों से मिलकर बना है। अंग्रेजी भाषा का शब्द लव यानी प्यार और अरबी भाषा का शब्द जिहाद है। प्रेम के जाल में फंसाकर लड़की का धर्म परिवर्तन करवा देना ही लव जेहाद है। निश्चित रुप से यह एक सामाजिक बुराई है। वास्तव में इस पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
मध्यप्रदेश सरकार ने इस पर कठोर कानून बनाने का फैसला किया है। जिसमें पाँच साल का कारावास और गैरजमानती धाराओं में मुकदमें दर्ज किए जाएंगे। लव जिहाद में शामिल सह आरोपी को भी मुख्य आरोपी की तरह कानूनी धाराओं में निरुद्ध किया जाएगा। हालाँकि सरकार ने मोहब्बत करने वालों का पूरा ख्याल रखा है। अगर किसी गैर धर्म की लड़की से कोई शादी करना चाहता है तो उसकी भावनाओं का भी सरकार ने सम्मान किया है। शादी के लिए अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन की खुली छूट दी गई है, लेकिन इसके लिए कमसे कम एक माह पूर्व जिलाधिकारी को आवेदन करना होगा। इसलिए इस पर अधिक राजनीति नहीं होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि लव जिहाद की स्थितियां हैं। भोली- भाली लड़कियों को फँसा कर धर्म परिवर्तन कर लव जिहाद की हालात पैदा किए जाते हैं। केरल हाईकोर्ट ने 2016 में लव जिहाद की शिकार हुई एक हिंदू लड़की की शादी को रद्द कर दिया था। लव जिहाद वास्तव में भारत के खिलाफ एक साजिश है। इस पर कानून बनाना राज्य सरकारों का एक उचित फैसला है। लेकिन इस पर खुले मन से बहस होनी चाहिए, एक बड़ी बहस होनी चाहिए। लव जिहाद भारतीय समाज के लिए कलंक है।
लव जिहाद पर किसी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए क्योंकि कानून किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। कानून की आड़ में किसी धर्म के लोगों का उत्पीड़न नहीं होना चाहिए। क्योंकि देश में कई कानून बने हैं जिनका खुला दुरपयोग हो रहा है। दलित और दहेज उत्पीड़न कानून इसके सफल उदाहरण हैं। क्योंकि इस तरह के कानूनों का सामाजिक और सियासी दुरुपयोग होने का भी भय रहता है और होता भी है। फिलहाल लव जिहाद की बढ़ती घटनाएँ सामाजिक चिंता का विषय हैं। मध्यप्रदेश सरकार का फैसला उचित है, लेकिन लव जिहाद पर कानून बनाने के पूर्व व्यापक बहस के बाद विपक्ष को भी विश्वास में लेना चाहिए। राजनीतिक बढ़त लेने की होड़ में जमीनी हकीकत का भी ख्याल रखना होगा। (हिफी)