आमने-सामने हैं दिग्विजय व शिवराज
मध्य प्रदेश। मध्य प्रदेश में चुनाव नहीं हो रहे बल्कि उपचुनाव हो रहे हैं लेकिन 24 सीटों पर चुनाव को मिनी चुनाव ही कह सकते हैं। शिवराज सिंह चैहान ने कमलनाथ से सत्ता छीनी है लेकिन उनके मुख्य मुकाबले मे कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनवाने वाले दिग्विजय सिंह खड़े हैं। दोनों में पलटवार हो रहा है। इसके साथ ही उपचुनावों में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल ज्योतिरादित्य को भी लाइट में लाया जा रहा है लेकिन उनके समर्थकों को अभी भाजपा तवज्जो नहीं दे रही है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के बीच इन दिनों जबरदस्त जंग चल रही है। फर्जी वीडियो को लेकर बीते दिनों दिग्विजय सिंह पर हमला हुआ। अब कांग्रेस नेता पलटवार करने की तैयारी में हैं। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है कि वह शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ शिकायत करेंगे, ये शिकायत फर्जी वीडियो साझा करने के आरोप में ही होगी।
दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर दावा किया कि शिवराज सिंह चौहान ने 2019 में राहुल गांधी को लेकर एक फर्जी वीडियो साझा की थी। एक मुख्यमंत्री होने के नाते वह ऐसा किस तरह कर सकते हैं। अब दिग्विजय का कहना है कि जिस थाने में मेरे खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी, मैं भी उसी थाने में जाऊंगा। दिग्विजय सिंह ने शिवराज सिंह चौहान का जो ट्वीट साझा किया, उसमें उन्होंने राहुल गांधी का एक वीडियो ट्वीट किया था। दावा था कि राहुल गांधी अपने भाषण में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का नाम भूल जाते हैं लेकिन ये वीडियो एडिट हुआ था। अब दिग्विजय इस वीडियो को लेकर शिवराज के खिलाफ एफआईआर करने की बात कर रहे हैं। दरअसल, बीते दिनों दिग्विजय सिंह ने शिवराज सिंह चैहान का एक वीडियो साझा किया था। आरोप है कि ये वीडियो फेक है। इसी मामले को लेकर दिग्विजय सिंह पर भोपाल क्राइम ब्रांच ने केस दर्ज किया था। इसको लेकर बीजेपी की ओर से शिकायत दर्ज की गई थी।
इस मामले में दिग्विजय सिंह पर धारा 465, 501, 500 के तहत मामला दर्ज किया गया था। कांग्रेस नेता पर मानहानि का मामला लगाया गया है। गौरतलब है कि कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह लगातार सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं और शिवराज सरकार को निशाने पर लिये हुए हैं। मध्य प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर राजनीतिक समीकरण सेट किए जाने लगे हैं। उपचुनाव वाली ज्यादातर सीटें ग्वालियर-चंबल संभाग की हैं, जहां दलित मतदाता काफी अहम और निर्णायक माने जाते हैं। दलित वोटों को साधने के लिए कांग्रेस और बीजेपी में सियासी जंग छिड़ गई है और वो एक दूसरे को दलित विरोधी बताने में जुटे हैं। दरअसल, कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह को प्रथम कैंडिडेट बनाया और भूल सिंह बरैया को सेकेंड वरियता वाला प्रत्याशी बनाया है। बीजेपी ने इसे लेकर कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मध्य प्रदेश बीजेपी ने एक के बाद एक ट्वीट कर कांग्रेस के साथ-साथ दिग्विजय सिंह को भी दलित विरोधी बताने की कोशिश की है। इसे उपचुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
मध्य प्रदेश बीजेपी ने दिग्विजय सिंह ही नहीं बल्कि पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी को दलित विरोधी बताने की कोशिश की। बीजेपी ने ट्वीट कर रहा है, नेहरू ने अंबेडकर को चुनाव हरवाया इंदिरा ने बाबू जगजीवन राम को अपमानित कराया। सोनिया ने सीताराम केसरी को कमरे में बंद कर अध्यक्ष पद हथियाया। नेहरु खानदान की हर पीढ़ी ने अनुसूचित वर्ग का अपमान किया है। मध्य प्रदेश की जिन 24 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें 9 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं तो एक सीट अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित है। इसके अलावा 14 सीटें सामान्य जातियों के लिए हैं। इन सभी सीटों पर करीब 20 फीसदी दलित मतदाता हैं। इसी दलित वोट को साधने के लिए कांग्रेस और बीजेपी अपने आपको दलित हितैषी बताने की कोशिश कर रही है।
बता दें कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दलित संगठनों ने 2 अप्रैल 2018 को भारत बंद किया था। भारत बंद के दौरान ग्वालियर-चंबल इलाके में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी और काफी लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई थी। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चैहान के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार थी। मध्य प्रदेश के 2018 विधानसभा चुनाव में दलित की पहली पसंद कांग्रेस बनी थी और इसी के सहारे चंबल-ग्वालियर इलाके में बीजेपी का पूरी तरह सफाया हो गया था।
इस प्रकार मध्य प्रदेश में 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर राजनीतिक बिसात बिछायी जाने लगी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद कांग्रेस चंबल-ग्वालियर संभाग में दोबारा से अपना सियासी किला मजबूत करने में जुटी है। वहीं, बीजेपी ने विधानसभा सीटों के प्रभारियों की नियुक्ति के बाद अब उपचुनाव के लिए संचालन समिति और प्रबंध समिति का गठन किया है। बीजेपी की इस समिति में सिंधिया को तो शामिल किया गया है, लेकिन उनके समर्थक नेताओं को एंट्री नहीं मिल सकी है जबकि शिवराज सरकार की सत्ता में वापसी सिंधिया समर्थक विधायकों के चलते ही हुई है। संचालन समित में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित 22 सदस्यों को शामिल किया गया है। वहीं, प्रबंध समिति में पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह को संयोजक बनाया गया है। इस समिति में कुल 18 सदस्य शामिल हैं।
बीजेपी ने संचालन समिति में ज्यादातर उन पूर्व मंत्रियों को शामिल किया है जिनके उपचुनाव में नाराज होने की आशंका ज्यादा थी। गोपाल भार्गव, जयभान सिंह पवैया, गौरीशंकर शेजवार, माया सिंह, यशोधरा राजे सिंधिया, अनूप मिश्रा, रुस्तम सिंह, दीपक जोशी, लाल सिंह आर्य और नारायण सिंह कुशवाहा के नाम शामिल हैं। इनमें ज्यादातर ग्वालियर चंबल संभाग के वे नाम हैं, जिनके उपचुनाव में कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर नाराज होने की संभावना थी। संचालन समिति में शामिल करके संगठन ने उन्हें साधने की कोशिश की है।
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)