टूलकिट मामलाः पुलिस ने कोर्ट के सामने किया बड़ा खुलासा

पर्यावरण एक्टिविस्ट दिशा रवि की जमानत याचिका पर कोर्ट ने जमानत पर फैसला मंगलवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया है।

Update: 2021-02-20 14:01 GMT

नई दिल्ली। टूलकिट मामले में पर्यावरण एक्टिविस्ट दिशा रवि की जमानत याचिका पर कोर्ट ने जमानत पर फैसला मंगलवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया है। वहीं दिल्ली पुलिस ने इस मामले में कोर्ट के समक्ष बड़ा खुलासा किया है।

गौरतलब है कि टूलकिट मामले में पर्यावरण एक्टिविस्ट दिशा रवि को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया था। इस मामले में दिशा रवि की जमानत के लिए कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। कोर्ट में सुनवाई के दौरान पुलिस ने दिशा रवि की जमानत का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कोर्ट में कहा कि यह मामला मात्र टूलकिट का नहीं है। असली मंसूबा भारत को बदनाम करने और भारत में अशांति पैदा करना था। पुलिस की ओर से बताया गया कि दिशा रवि ने व्हाट्सऐप पर हुई चेट को इसलिए मिटा दिया था क्योंकि वह जानती थी कि इस मामले में कानूनी कार्रवाई हो सकती है। चेट मिटाने से साबित होता है कि टूलकिट के पीछे नापाक मंसूबे छिपे हुए थे। पुलिस की ओर से बताया कि दिशा रवि भारत को बदनाम करने और किसानों के प्रदर्शन की आड़ में अशांति पैदा करने की साजिश का हिस्सा थी। प्रतिबंधित संगठन ने 11 जनवरी को इंडिया गेट और लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराने वाले को इनाम देने की घोषण की थी। किसी तरह से यह टूलकिट सोशल मीडिया पर लीक हो गया था। उसी को हटाने की योजना बनाई गई और प्रदर्शन किया गया।

दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया कि यह संगठन कनाडा से संचालित था और चाहता था कि कोई व्यक्ति इंडिया गेट और लाल किले पर झंडा फहराये। किसानों के आंदोलन के दौरान इस तरह की गतिविधियों को अंजाम देने की योजना बनाई गई थी। पुलिस की ओर से बताया गया है कि खालिस्तान के संबंध में दिल्ली पुलिस का मानना है कि वैंकूवर में भारत विरोधी गतिविधियों को बनाया जाता है। कोर्ट के सवाल के जवाब में पुलिस ने बताया कि जांच जारी है और सबूतों की खोज लगातार की जा रही है। वहीं दिशा रवि के वकील ने कहा कि दिशा का खालिस्तान से किसी प्रकार का कोई मतलब-वास्ता नहीं है। इसके अलावा सिख फाॅर जस्टिस या पीजेएफ से भी उनका कोई भी कनेक्शन नहीं है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद दिशा रवि की जमानत पर फैसला मंगलवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया है।

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