कांवड़ रुट पर नेमप्लेट का विवाद फिर सुप्रीम कोर्ट की ड्योढ़ी पर पहुंचा
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस बाबत अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था।
नई दिल्ली। आरंभ हो चुकी श्रावण मास की कांवड़ यात्रा के रूट पर खुले होटल, रेस्टोरेंट, ढाबों तथा खाने पीने की चीजों की अन्य दुकानों पर अपनी पहचान बताने वाले नेम प्लेट का मामला एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट की ड्योढ़ी पर पहुंच गया है। अब दुकानदार की पहचान उजागर करने वाले आदेश के समर्थन में याचिका दाखिल की गई है, जिसमें मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के निर्देशों का समर्थन किया गया है।
देश की सर्वोच्च अदालत में सुरजीत सिंह यादव की ओर से उत्तर प्रदेश के कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों को नेम प्लेट लगाने के मामले को लेकर याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह के निर्देशों का समर्थन करते हुए कहा गया है कि इस मामले को जबरदस्ती सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है।
याचिका दाखिल करने वाले सुरजीत सिंह यादव ने कहा है कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह की ओर से जारी किया गया यह आदेश श्रावण मास की कांवड़ यात्रा के मौके पर हरिद्वार से गंगाजल लेकर आ रहे शिव भक्तों की सहूलियत उनकी आस्था और जनपद में कानून व्यवस्था की स्थिति को सुचारू बनाए रखने के दृष्टिगत दिया गया था। परंतु राजनीतिक दलों के लोगों द्वारा इस आदेश को बिना वजह सांप्रदायिक रंग देते हुए इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा दिया गया है।
याचिका में कहा गया है कि मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की ओर से कांवड़ यात्रा रोड पर खुली दुकानों के मालिकों को अपनी दुकानों के बाहर अपने नाम प्रदर्शित करने के लिए कहा गया था। मुझे इस मामले में पक्षकार बनाया जाए। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कांवड़ यात्रा रूट के दुकानदारों के नेम प्लेट विवाद को लेकर 26 जुलाई को सुनवाई की जाएगी। 22 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस बाबत अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था।