सुप्रीम कोर्ट ने लक्ष्य सेन की आयु मामले में कार्रवाई पर लगायी रोक

कर्नाटक उच्च न्यायालय के इनकार को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी किया।;

Update: 2025-02-26 05:01 GMT

नई दिल्ली, उच्च्तम न्यायालय ने भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन के खिलाफ आयु संबंधी धोखाधड़ी मामले में बलपूर्वक कार्रवाई पर म्रंगलवार को रोक लगाने के साथ ही आरोपों की आपराधिक जांच को रद्द करने से कर्नाटक उच्च न्यायालय के इनकार को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी किया।

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने लक्ष्य सेन और उनके परिवार के सदस्यों को अंतरिम राहत प्रदान की, जिन पर कम आयु के टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए जन्म रिकॉर्ड में हेराफेरी करने का आरोप है।

याचिकाकर्ताओं के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता आर्यमन सुंदरम ने शीर्ष न्यायालय के समक्ष दलील दी कि आरोप निराधार हैं और जांच प्रक्रिया प्रक्रियागत अनियमितताओं से प्रभावित हुई है। न्यायालय ने दलीलों पर विचार करने के बाद अगली सुनवाई तक बलपूर्वक कार्रवाई पर रोक लगा दी। मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी।

याचिकाकर्ता एमजी नागराजा ने अपनी याचिका में दावा किया है कि लक्ष्य सेन और उनके भाई चिराग सेन ने अपने कोच - कर्नाटक बैडमिंटन एसोसिएशन के एक कर्मचारी - के साथ मिलीभगत करके अपने जन्म प्रमाण पत्र में लगभग ढाई साल कम आयु दर्शाने के लिए बदलाव किया। याचिका में कहा गया कि इसका उद्देश्य कथित रूप से आयु-प्रतिबंधित प्रतियोगिताओं के लिए पात्रता प्राप्त करना और संबंधित सरकारी लाभ प्राप्त करना था।

उल्लेखित शिकायत शिकायत कथित तौर पर सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत प्राप्त दस्तावेजों पर आधारित थी। विभागीय जांच में पहले लक्ष्य के पिता , जो प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी में कोच हैं, को कदाचार का दोषी पाया गया था। शिकायतकर्ता के अनुरोध के बाद निची अदालत ने पुलिस को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 156 (3) के तहत मामले की जांच करने का निर्देश दिया, जिसके बाद भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेजों को असली के रूप में उपयोग करना) के साथ धारा 34 (सामान्य इरादा) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गयी। गत 19 फरवरी को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कार्यवाही को रद्द करने की सेन परिवार की याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति एम.जी. उमा ने कहा कि मामले को आगे बढ़ाने के लिए प्रथम दृष्टया सामग्री उपलब्ध थी और चल रही जांच में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।Full View

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