दिल्ली हिंसा- साक्ष्यों के अभाव में चार आरोपियों को मिली जमानत

दिल्ली हिंसा से जुड़े मामले के 4 आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने जमानत देते हुए यह टिप्पणी की है।

Update: 2021-03-16 13:23 GMT

नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने नई दिल्ली में हुई हिंसा से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए घटना के लगभग 2 माह बाद दिल्ली पुलिस द्वारा चश्मदीद गवाह होने का दावा करने वाले पुलिसकर्मी का बयान दर्ज किए जाने पर हैरानी जताई है। उच्च न्यायालय ने कहा है कि हमें यह समझ में नहीं आ रहा है कि कानून की समझ होने के बावजूद भी घटना के चश्मदीद पुलिसकर्मी ने ना तो पीसीआर को फोन किया और ना ही इसके बारे में डीडी एंट्री यानी थाने के रोजनामचा में कुछ लिखा है।  

मंगलवार को दिल्ली हिंसा से जुड़े मामले के 4 आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने जमानत देते हुए यह टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मामले के तीन अन्य चश्मदीद गवाहों ने भी पीसीआर कॉल नहीं किया। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इसके अलावा इन आरोपियों के खिलाफ सबूत के तौर पर दिल्ली पुलिस के पास न तो सीसीटीवी फुटेज है और ना ही कोई वीडियो क्लिप या तस्वीर है, जिसके जरिए घटना से इनके संबंध को स्थापित किया जा सके। न्यायालय ने कहा है कि इस मामले में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। ऐसे में अब आरोपियों को लंबे समय तक जेल में बंद करके नहीं रखा जा सकता है। न्यायालय ने आरोपियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश देते हुए कहा है कि इनके ऊपर जो आरोप लगे हैं वह सही है या गलत, यह मुकदमे के ट्रायल में पता चलेगा।




 


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