यक्ष प्रश्न-क्या वोटों में तब्दील होगी-शराब और पैट्रोल की पर्चियां
चुनाव प्रचार बंद होने के बाद प्रत्याशी के समर्थन में गुपचुप तरीके से वर्करी कर रहे लोगों द्वारा अभी भी पेट्रोल की पर्चियां बांटना जारी है।
मुजफ्फरनगर। पहले चरण का मतदान कल यानि 10 फरवरी को होना है। इस चुनाव में बाजी मारने के लिये मैदान में उतरे हर प्रत्याशी द्वारा प्रलोभन देने के साथ अन्य माध्यमों से वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिये खूब जोर आजमाईश की जा रही है। सभी प्रत्याशी विधायक बनने का सपना संजोये हुए है। जनपद मुजफ्फरनगर की एक विधानसभा सीट पर गठबंधन प्रत्याशी पैसों के बलबूते विधायक बनने के संजोये गये सपने को पूरा करने के लिये जुटे हुए हैं।
बताया जा रहा है कि गठबंधन प्रत्याशी द्वारा वर्करी के दौरान मतदाताओं के सामने भीड़ दिखाने के लिये बम्पर में पेट्रोल और शराब की पर्चियां वितरित की गई है।8 फरवरी की शाम से चुनाव प्रचार बंद होने के बाद प्रत्याशी के समर्थन में गुपचुप तरीके से वर्करी कर रहे लोगों द्वारा अभी भी पेट्रोल की पर्चियां बांटना जारी है। बताया जा रहा है कि इस गठबंधन प्रत्याशी की चौखट पर शराब लेने के लिये पब्लिक का निरंतर पहुंचना जारी है। इस चुनावी दौर में शराब मांग रहे लोगों को बिना शराब दिये शायद ही वापस भेजा जा रहा है क्योंकि प्रत्याशी को विधायक जो बनना है।
उधर चुनाव को निष्पक्ष कराने के लिये चुनाव आयोग अपनी नजर गढाये हुए रहता हैं। लेकिन प्रत्याशी द्वारा चुनाव आयोग की आंखों में भी धूल झोंकने की कोशिश की जा रही है, जिससे कि उनके द्वारा प्रलोभन देकर वोट मांग रहे लोगों पर कार्रवाई ना की जा सके। बताया जा रहा है कि वोट अपने पक्ष में डलवाने के लिये गठबंधन प्रत्याशी द्वारा रूपयों, शराब अन्य चीजों का मतदाताओं को प्रलोभन दिया जा रहा है। लोगों का कहना है कि गठबंधन प्रत्याशी विधायक बनने के लिये इतना रूपया खर्च कर सकते हैं कि जिले में शायद कोई और प्रत्याशी कर पाये। लोगों को कहना है कि गठबंधन प्रत्याशी को चुनावों से पहले अनेक स्थानों पर लोगों से मुंह फेरते हुए देखा गया है। क्योंकि वह ज्यादा किसी से बोलना पंसद नहीं करते हैं लेकिन यहां पर बेचारे नेताजी की बोलने की मजबूरी हो गई क्योंकि उन्हें विधायक जो बनना है।
चुनाव जीतने के लिये अब वह सेवा ही विरासत की दुहाई देते हुए वोटरों में खुद को सबसे बडा जनसेवक स्थापित करने की जुगत भिडाने में लगे हुए है लेकिन चुनाव के बाद उनका यह जनसेवक का स्वरूप सिरे गायब होना निश्चित है। वैसे चुनाव लड रहे यह प्रत्याशी कोरोना काल के दौरान अपने मैडिकल कॉलेज के भीतर मरीजों व उनके तीमारदारों के साथ जमकर हुए बुरे व्यवहार के मामलों को अभी तक दबाकर रखने में पूरी शिददत के साथ काम रहे है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति चुनाव में पैसा खर्च कर देता है तो वह चुनाव जीतने के बाद सबसे पहले उसकी पूर्ति करने में जुट जाता है। लोगों का कहना है कि गठबंधन के प्रत्याशी द्वारा भारी मात्रा में खर्च किये जा रहे रूपये को देखते हुए ऐसा ही महसूस हो रहा है कि बाद में इस रूपये की पूर्ति करने में जुटे रहेंगे और गरीबों के गलियारे फिर विकास से जूझते रहेंगे।