मास्क की अनिवार्यता
उच्च न्यायालय ने विभिन्न राज्यों में जारी चुनावों के दौरान प्रचार में शामिल प्रत्येक व्यक्ति के लिए मास्क का इस्तेमाल अनिवार्य बनाने के लिये
लखनऊ। चुनाव प्रचार के दौरान मास्क का प्रयोग अनिवार्य किया जाए, इसके लिए याचिका दायर करनी पड़ी है। यह अच्छी बात नहीं है। कोरोना वायरस का दूसरा संक्रमण भारत में सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल इन्हीं दिनों में जनता को संबोधित करते हुए ऐसे ही हालात के प्रति आगाह किया था। अभी कुछ दिन पहले ही जाने-माने पत्रकार रवीश कुमार का ब्लाग आया जिसके उन्होंने पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के प्रचार में मास्क के प्रति लापरवाही के बारे में कटु टिप्पणी की है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने इसी मामले को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यह याचिका जनता की अदालत में भी है और जनता उन लोगों से जवाब तलब कर सकती है कि हमारे लिए तो मास्क न लगाने पर पुलिस की प्रताड़ना और जुर्माना की व्यवस्था कर रखी है लेकिन देश के भाग्य विधाता होकर आप मास्क क्यों नहीं लगा रहे हैं? कोरोना की स्थिति बहुत गंभीर है और कुछ देशों ने अपने यहां आने पर भारतीयों पर प्रतिबंध तक लगा रखा है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने विभिन्न राज्यों में जारी चुनावों के दौरान प्रचार में शामिल प्रत्येक व्यक्ति के लिए मास्क का इस्तेमाल अनिवार्य बनाने के लिये दायर याचिका पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से जवाब मांगा। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी एवं थिंक टैंक 'सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमिक चेंज (सीएएससी) के प्रमुख विक्रम सिंह की याचिका पर केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किये। इन सभी को 30 अप्रैल तक नोटिस के जवाब देने हैं। अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई 30 अप्रैल को तय की है। उसी दिन विक्रम सिंह की मुख्य याचिका पर भी सुनवाई करेगी। मुख्य याचिका में सिंह ने ऐसे प्रचारकों एवं प्रत्याशियों को विधानसभा चुनावों में प्रचार से रोकने का अनुरोध किया है जो कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर चुनाव आयोग द्वारा जारी आवश्यक दिशा- निर्देशों का बार-बार उल्लंघन कर रहे हैं। सिंह की तरफ से पेश हुए वकील विराग गुप्ता ने पीठ को बताया कि चुनाव आयोग को विधानसभा चुनावों के दौरान शारीरिक दूरी और अनिवार्य रूप से मास्क पहनने के लिए डिजिटल, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से जागरुकता पैदा करनी चाहिए।
गुप्ता ने दलील दी, "जब मास्क का उपयोग अनिवार्य करने पर सभी अधिकारी एकमत हैं तो यह तर्क से परे है कि इस नियम को चुनाव प्रचार के दौरान क्यों नहीं लागू किया जाना चाहिए।" केंद्र की तरफ से सरकार के स्थायी अधिवक्ता अनुराग अहलुवालिया ने नोटिस स्वीकार किया। सिंह ने गौरव पाठक के माध्यम से दाखिल याचिका में केंद्र को उसके 23 मार्च के आदेश का सख्ती से अनुपालन कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया जिसमें चुनाव वाले राज्यों में सार्वजनिक स्थलों और कार्यस्थलों पर मास्क न पहनने वालों पर उचित जुर्माना लगाना आवश्यक किया गया था। असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुड्डुचेरी में विभिन्न चरणों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। चुनाव 27 मार्च को शुरू हुए थे और 29 अप्रैल को समाप्त होंगे। सिंह ने दलील दी कि केंद्र और चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों को बावजूद, ''चुनाव प्रचार कोविड-19 नियमनों के उल्लंघन करते हुए पुरजोर तरीके से चल रहे हैं।" उन्होंने दावा किया कि आम जनता के साथ यह "अप्रत्यक्ष रूप से भेदभाव" किया जा रहा है क्योंकि कोविड-19 नियमों के उल्लंघन के लिए उनसे जुर्माना वसूला जाता है लेकिन नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।
भारत में बढ़ते कोरोना मामलों के बीच यूनाइटेड स्टेट्स के कैलिफोर्निया में कोरोनावायरस का एक नया वेरिएंट मिला है, जिसे भारत में फैला हुआ वेरिएंट बताया जा रहा है। यूएस में इस वेरिएंट का पहला मामला मिला है। भारत में कोरोनावायरस का डबल म्यूटेशन वाला वेरिएंट मिला है। इस बीच देश में कोरोना की दूसरी लहर जबरदस्त तेजी से फैल गई है। पहली लहर में जितने मामले आए थे, उससे कहीं ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। स्टैनफर्ड क्लीनिकल वाइरोलॉजी लैब ने जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए भारत में फैल रहे वेरिएंट की पहचान और और पुष्टि की है। लैब डायरेक्टर डॉक्टर बेंजामिन पिंस्की ने इसकी जानकारी दी। यह लैब ऐसे ही सात और संभावित मामलों के नमूनों की जांच कर रहा है। वेबसाइट ने डॉक्टर पिंस्की और कुछ दूसरी मीडिया रिपोर्टों के हवाले से बताया है कि वेरिएंट की पुष्टि स्टैनफर्ड हेल्थ केयर क्लीनिक के एक मरीज में हुई है और माना जा रहा है कि सैंटा क्लारा काउंटी में यह मरीज इस वेरिएंट से संक्रमित हुआ है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन फ्रांसिस्को में संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ पीटर चिन-हॉन्ग ने क्रॉनिकल को बताया कि भारत वाले वेरिएंट में पहली बार वायरस के दो नए म्यूटेशन मौजूद हैं, जो कि पिछले वेरिएंट्स में देखे गए थे। बता दें कि भारत में पिछले दिनों कोरोना की शुरुआत के बाद के सबसे ज्यादा आंकड़े आए हैं। दूसरी लहर में कोरोना संक्रमण के मामले 1 लाख के आंकड़े से कहीं ऊपर पहुंच चुके हैं।
भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर खतरनाक होती जा रही है। यहां एक-एक दिन में 1-1 लाख नए मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में न्यूजीलैंड ने भारत से आने वाले यात्रियों पर अस्थाई तौर पर रोक लगा दी है। न्यूजीलैंड की एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह रोक वहां के नागरिक और वहां रहने वाले लोगों पर लगाई है। वहां की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने यह घोषणा की है। वहां की हेल्थ डायरेक्टर जनरल एशले ब्लूमफिल्ड ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि न्यूजीलैंड में 23 नए कोरोना केस आए हैं, जिनमें 17 वे लोग हैं, जो भारत से लौटे हैं। यात्रा पर यह बैन 11 से 28 अप्रैल तक लगाया गया है और अभी यह अस्थाई है।
एक तरफ आम जनता के पीछे पुलिस पड़ी है कि मास्क नहीं पहना है तो थाने चल, फाइन दे। दूसरी तरफ चुनाव प्रचार में नेता और जनता बिना मास्क के घूम रहे। देश के गृह मंत्री अमित शाह बिना मास्क के रोड शो कर रहे हैं। अमित शाह ने 7 अप्रैल को चार रोड शो किए हैं। क्या चुनाव आयोग के किसी अधिकारी ने अमित शाह को बिना मास्क में नहीं देखा? रोड शो को लेकर चुनाव आयोग का निर्देश है कि गाड़ियों के काफिले को हर पांच गाड़ियों के बाद तोड़ा जाए। दो काफिले के बीच काफी दूरी हो। चुनाव प्रचार में किसी को सोशल डिस्टेंसिंग दिखाई नहीं दे रही है। क्या चुनाव आयोग कोई एक्शन ले सकता है? क्या भारत का चुनाव आयोग गृह मंत्री की सभा में अपने ही नियमों को लागू नहीं करा पा रहा है? याद करिए 2019 के चुनाव में ओडिशा में चुनाव पर्यवेक्षक मोहम्मद मोहसिन ने प्रधानमंत्री का हेलिकाप्टर चैक किया था, उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था। प्रधानमंत्री के चार भाषणों पर आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप लगे थे। आयोग ने क्लियर किया तो एक चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने आपत्ति जता दी। कहा कि उनकी आपत्ति फैसले में दर्ज होनी चाहिए। इसके बाद से अशोक लवासा के यहां दूसरी मुसीबत शुरू हो गई। अशोक लवासा की पत्नी को आयकर का नोटिस आ गया। चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने आयोग से इस्तीफा दे दिया। नियम-कानून तो सभी के लिए बराबर होने चाहिए, फिर कोरोना जैसी महामारी से बचने के लिए तो नेताओं को भी गाइडलाइन का पालन करना चाहिए। महामारी नेता और जनता में भेद नहीं कर पाती है। (हिफी)