रैलियों में जुटे भले ही लाखों की भीड़-मगर मंदिरों में 50 पर भी ओमिक्रॉन
राजनीतिक दलों के नेताओं की रैलियों में भले ही लाखों लोगों की भीड़ इधर उधर से क्यों ना जमा हो जाए
लखनऊ। राजनीतिक दलों के नेताओं की रैलियों में भले ही लाखों लोगों की भीड़ इधर उधर से क्यों ना जमा हो जाए, मगर मंदिरों में जमा होने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ से सरकार को ओमिक्रॉन का खतरा बढ़ता दिखाई दे रहा है। जिसके चलते राजधानी लखनऊ के मंदिरों में 50 से ज्यादा लोगों के जुटने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
राजधानी लखनऊ में प्रशासन की ओर से मंगलवार से धारा 144 लागू कर दी गई है जो कि आगामी 5 जनवरी तक बादस्तूर जारी रहेगा। धारा 144 लागू करने के संबंध में जारी किए गए प्रशासन के आदेशों में कहा गया है कि इस दौरान केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना कर्फ्यू के दौरान जारी की गई गाइडलाइन का भी पालन कराया जाएगा, अर्थात जो पाबंदियां कोरोना की वजह से लगाए गए कर्फ्यू के दौरान लगाई गई थी, वही पाबंदियां लगभग लखनऊ में भी फिर से लागू होंगी। उधर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनैतिक दलों की ओर से रैलियों एवं जनसभाओं का कार्यक्रम आयोजित कर भारी भीड़ बुलाई जा रही है। बसों एवं ट्रैक्टर ट्रालियों के भीतर भरकर लोगों को इन जनसभाओं में लाया जा रहा है। नेतागण भी अपना वजूद दिखाने के लिए भीड़ की तस्वीरें शेयर कर अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास करा रहे हैं। ऐसे हालातों में केवल लखनऊ में धारा 144 लगाई गई है, जबकि उत्तर प्रदेश में कई अन्य बड़े शहर भी हैं। नागरिक अब सवाल उठा रहे हैं कि क्या कोरोना के संक्रमण का खतरा सिर्फ राजधानी लखनऊ में ही है? क्या लखनऊ से बाहर होने वाली राजनीतिक दलों की रैलियों में आने वाले लोगों को इम्यूनिटी दी जा रही है? या फिर सरकार लखनऊ में होने वाले धरना प्रदर्शनों से डर गई है?