कैलाश व अमित कराएंगे बंगाल फतेह

भाजपा को लगता है कि राज्य के लोगों ने पार्टी को विकल्प के रूप में देखना शुरू कर दिया है अगले छह महीने के अंदर बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं

Update: 2020-12-09 00:30 GMT

लखनऊ। भारत की मौजूदा राजनीति में भाजपा का विजय रथ जिस तेजी से दौड़ रहा है, उससे अगले साल अर्थात् 2021 में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां की गैर भाजपा सरकारें सशंकित हैं। पश्चिम बंगाल में भी अगले साल मई में चुनाव होने हैं। वहां पर भाजपा के कैलाश विजय वर्गीय और अमित मालवीय को क्रमशः प्रभारी और सह प्रभारी बनाया गया है। भाजपा के लिए अभी यह कहना तो मुश्किल है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को प्रमुख सेनापति से अलग कर दिया जाएगा क्योंकि इन चेहरों को आगे रखकर ही विजय यात्रा पूर्ण होगी। इसके अलावा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी भाजपा नजरंदाज नहीं कर पाएगी लेकिन स्थानीय स्तर पर भी नेताओं का योगदान रहेगा। पश्चिम बंगाल मेंक्यू भाजपा प्रतिष्ठा पूर्ण लड़ाई करेगी और अपनी पूरी ताकत उसी तरह झोंकेगी जैसे हैदराबाद के निकाय चुनाव में भाजपा के दिग्गज नेता जुटे थे। स्थानीय नेताओं ने भी पूरा जोर लगाया और पार्टी को 48 पार्षद मिले जबकि 2016 में सिर्फ चार पार्षद थे। अब पश्चिम बंगाल में कैलाश विजयवर्गीय और अमित मालवीय ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं।

पहले बिहार और फिर हैदराबाद में शानदार प्रदर्शन करने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नजर अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों पर टिकी हुई है। पिछले दोनों ही चुनाव में बीजेपी को मिली कामयाबी का श्रेय पार्टी आलाकमान की रणनीति को दिया जा रहा है। अब जब हर किसी की नजर बंगाल में होने वाले चुनाव पर टिकी हुई है तो बीजेपी ने भी अभी से कमर कस ली है। पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुके पश्चिम बंगाल के चुनाव के लिए बीजेपी ने कैलाश विजयवर्गीय और अमित मालवीय को क्रमशः प्रभारी और सह प्रभारी बनाया है।

भाजपा को लगता है कि राज्य के लोगों ने पार्टी को विकल्प के रूप में देखना शुरू कर दिया है। अगले छह महीने के अंदर बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं। पार्टी नेतृत्व ने संगठनात्मक क्षमता पर भरोसा करते हुए एक बार फिर कैलाश विजयवर्गीय पर दांव खेला है और उन्हें राष्ट्रीय महासचिव के साथ पश्चिम बंगाल का प्रभारी बनाया गया है। बता दें कि साल 2014 में उन्हें बीजेपी ने हरियाणा चुनाव का प्रभारी बनाया था। उस वक्त बिना सीएम उम्मीदवार के चेहरे पर चुनाव लड़ रही बीजेपी ने हरियाणा में बहुमत हासिल किया। इसके बाद पार्टी में कैलाश विजयवर्गीय का कद और बढ़ गया और उन्हें केंद्रीय टीम का हिस्सा बना लिया गया। बता दें कि अमित शाह जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हुआ करते थे उस वक्त उन्होंने कैलाश विजयवर्गीय को राष्ट्रीय महासचिव बनाया था। इसके बाद उन्हें पश्चिम बंगाल के चुनाव को देखते हुए वहां की जिम्मेदारी भी दी गई थी। पार्टी ने एक बार फिर कैलाश विजयवर्गीय पर भरोसा जताया है। पार्टी को उम्मीद है कि इस बार के चुनाव में कैलाश विजयवर्गीय की रणनीति बंगाल में बीजेपी का परचम लहराएगी। पश्चिम बंगाल का चुनाव इस बार केवल चुनावी मैदान में ही नहीं लड़ा जाएगा। इस बार बंगाल में भी सोशल मीडिया के जरिए बीजेपी तृणमूल कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश करेगी। यही कारण है कि चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने आईटी सेल के हेड अमित मालवीय को पश्चिम बंगाल का सह प्रभारी बनाया है। पश्चिम बंगाल का चुनाव बीजेपी के लिए मात्र बहुमत हासिल करने तक नहीं है वह लोगों की सोच में बदलाव लाना चाहती है। बीजेपी पश्चिम बंगाल की जनता के बीच एक और पार्टी का विकल्प खोलना चाहती है। सोशल मीडिया के जरिए बीजेपी बंगाल की जनता का भ्रम तोड़ना चाहती है और ये बताना चाहती है कि बीजेपी उनके लिए बेहतर विकल्प साबित होगी। अमित मालवीय और उनका आईटी सेल इस काम में जुट भी गए हैं। सोशल मीडिया के जरिए लगातार तृणमूल कांग्रेस को घेरा जा रहा है।

बारासात भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून अगले साल जनवरी से लागू हो सकता है। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव ने साथ ही आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस की सरकार शरणार्थियों के प्रति हमदर्दी नहीं रखती है। उत्तर 24 परगना जिले में आर नोय अन्याय (अन्याय और नहीं) अभियान के इतर उन्होंने पत्रकारों से कहा, हमें उम्मीद है कि सीएए के तहत शरणार्थियों को नागरिकता देने की प्रक्रिया अगले साल जनवरी से शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार ने सीएए को ईमानदार नीयत से पड़ोसी देशों से हमारे देश आए उत्पीड़ित शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए पारित किया था।

विजयवर्गीय की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस के नेता और राज्य के मंत्री फरहाद हाकिम ने कहा कि भाजपा पश्चिम बंगाल के लोगों को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रही है। सीएए में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। उधर बंगाल भाजपा के उपाध्यक्ष व बैरकपुर से सांसद अर्जुन सिंह ने दावा किया है कि टीएमसी के नेता शुभेंदु अधिकारी अगर भाजपा में शामिल होते हैं तो चुनाव से पहले ही बंगाल की ममता सरकार गिर जाएगी। उन्होंने इससे पहले भी इस तरह का दावा किया था कि टीएमसी के पांच सांसद किसी भी क्षण पार्टी में शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा, अगर शुभेंदु अधिकारी बीजेपी में शामिल होते हैं तो बंगाल की सरकार चुनाव से पहले ही गिर जाएगी। मुझे लगता है कि शुभेंदु अधिकारी के पार्टी छोड़ने के बाद कई और नेता भी सरकार से अपना हाथ पीछे खींच लेंगे।

पश्चिम बंगाल में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में सभी की निगाहें टीएमसी के कद्दावर नेता शुभेंदु अधिकारी के अगले कदम पर टिकी है। उन्होंने कुछ दिन पहले मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। शुभेंदु अधिकारी ममता सरकार में परिवहन मंत्री के पद पर तैनात थे। टीएमसी नेता शुभेंदु अधिकारी के बारे में खबर है कि वह जल्द ही बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। हालांकि टीएमसी के नेताओं को पूरा भरोसा है कि शुभेंदु पार्टी को छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। शुभेन्दु ने फिलहाल तृणमूल कांग्रेस के साथ ही रहने की बात कही है लेकिन भाजपा की रणनीति पश्चिम बंगाल में अपना कद बढ़ाने के साथ टीएमसी को कमजोर करना भी है। (हिफी)

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