जमाखोरों ने तलाशा आपदा में अवसर-जमाखोरी की कढ़ाई मे पक रहे तेल के दाम
रूस एवं यूक्रेन के बीच चल रही जंग की आपदा में अवसर तलाशते हुए जमाखोरों ने जमाखोरी की कढ़ाई चढ़ा दी है
मुजफ्फरनगर। रूस एवं यूक्रेन के बीच चल रही जंग की आपदा में अवसर तलाशते हुए जमाखोरों ने जमाखोरी की कढ़ाई चढ़ा दी है। जिसमें रिफाइंड के दाम पकाते हुए बाजार में ऊंचाई पर पहुंचाए जा रहे हैं, जबकि बताया जा रहा है कि बाजार में खाद्य तेल की कोई किल्लत नहीं है। इसके बावजूद 10 दिन के भीतर रिफाइंड और सरसों के तेल के दाम 25 प्रति लीटर तक बढ़ गए हैं।
भारत के लोगों पर यूक्रेन एवं रूस के बीच चल रही जंग देश के ही जमाखोरों के चलते भारी पड़ने लगी है। रूस एवं यूक्रेन की जंग से जहां वहां के लोगों को जान और माल की हानि उठानी पड़ रही है, वही इन दोनों देशों के बीच चल रही जंग का खामियाजा भारतीय लोगों को भी भुगतना पड़ रहा है। रूस एवं यूक्रेन के बीच चल रही जंग की आपदा को अवसर में बदलने के लिए सक्रिय हुए जमाखोरों ने खाद्य तेलों को दबाकर रखना शुरू कर दिया है। जिसके चलते बाजार में खाद्य तेलों का कृत्रिम अभाव उत्पन्न करते हुए बाजार में रोजाना खाद्य तेलों के दाम बढ़ाए जाने लगे हैं। खाने के तेल की उपलब्धता को अस्थिर करते हुए जमाखोरी के माध्यम से रेट बढ़ाने को लेकर जमाखोर सक्रिय हो गए हैं। खाद्य तेल कारोबारियों की माने तो भारत में 80 प्रतिशत सूरजमुखी का तेल यूक्रेन से आयात होता है। इसके अलावा पाम आयल एवं अन्य रिफाइंड तेल का करीब 60 फ़ीसदी हिस्सा इंडोनेशिया एवं मलेशिया आदि देशों से आता है। सरसों का तेल विदेशों से नहीं मंगाया जाता है।
रूस एवं यूक्रेन के बीच चल रही जंग का असर सूरजमुखी के तेल के आयात पर पड़ा है। लेकिन इसकी आड़ में अन्य रिफाइंड आयल की भी जमाखोरों की ओर से कीमतें बढ़ा दी गई है। बाजार में सरसों का तेल 180 रूपये प्रति लीटर पर पहुंच गया है। अगले दिनों में आने वाले होली के त्यौहार को देखते हुए खाद्य तेलों की कीमतों में अभी और अधिक बढ़ोतरी के आसार लग रहे हैं। जबकि खाद्य तेल के थोक कारोबारियों का कहना है कि देश में खाद्य तेल की कोई कमी नहीं है। लेकिन कुछ लोग खाद्य तेल को दबाकर रखते हुए बाजार को प्रभावित कर रहे हैं।
उधर बाजार में जमाखोरी को रोककर दामोें को काबू में रखने की जिम्मेदारी संभालने वाला प्रशासन अभी मतगणना की तैयारियों में व्यस्त है। इसलिये बाजारी गतिविधियों की तरफ उसका कोई ध्यान नहीं है, जिसका जमाखोर फायदा उठाते हुए खाद्य तेलों के दामों को लेकर चांदी बटोर रहे हैं।