कोरोना के जानलेवा कहर पर भारी पड़ी आस्था

कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर के जारी कहर के बीच मंगलवार को नवरात्रि की अष्टमी पर दुर्गा मंदिरों में श्रद्धालु सुबह से ही कतारबद्ध नजर आये।

Update: 2021-04-20 14:20 GMT

झांसी। उत्तर प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर के जारी कहर के बीच मंगलवार को नवरात्रि की अष्टमी पर दुर्गा मंदिरों में श्रद्धालु सुबह से ही कतारबद्ध नजर आये। कोरोना के डर पर मां की भक्ति भारी दिखायी दी।

पिछले कुछ दिनों से जनपद में कोरोना संक्रमण का लोगों में बहुत ही तेजी से प्रसार हुआ है इसी का नतीजा है कि शायद ही कोई दिन ऐसा गया हो जब मरीजों का आंकड़ा 500 के पार न गया हो। बावजूद इसके आस्था ,कोरोना की दहशत पर भारी रही। मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा अर्चना के लिए आज सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिरों में लंबी लंबी कतार में खड़े दिखायी दिये। विश्वव्यापी कोरोनावायरस कहर भी मां के प्रति आस्था के सामने घुटने टेकता नजर आया। ब्रह्म मुहूर्त में श्रद्धालु जन महानगर के प्राचीन व चर्चित दुर्गा स्थलों पर कतारबद्ध हो गये, सभी के हाथों में जल का लोटा एवं पूजा का थाल सजा था। सभी मंदिर में पहुंचने की अपनी बारी का इंतजार करते दिखाई दिए। हालांकि सभी ने कोविड-19 के चलते मास्क पहन रखा था लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के नियम को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया।

नगर में यूं तो तमाम प्राचीन दुर्गा मंदिर स्थापित हैं । उसके बावजूद नगर में कोतवाली क्षेत्र स्थित पंचकुइयां मंदिर, सीपरी क्षेत्र स्थित लहर की माता मंदिर,मां कालियन मंदिर या काली मंदिर,बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी स्थित कैमासिन माता मंदिर,प्रेमनगर क्षेत्र स्थित नीम वाली माता मां छिन्नमस्ता देवी का मंदिर व सदर बाजार स्थित मेमासिन माता मंदिर आदि विशेष प्रचलित हैं और इन मंदिरों में भक्तों की तांता सुबह से ही लगा रहा

नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर मां महागौरी की पूजा की जाती है। मां महगौरी, मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है। इन्हें आठवीं शक्ति कहा जाता है। महागौरी हीं शक्ति मानी गई हैं। पुराणों के अनुसार, इनके तेज से संपूर्ण विश्व प्रकाशमान है। दुर्गा सप्तशती के अनुसार, शुंभ निशुंभ से पराजित होने के बाद देवताओं ने गंगा नदी के तट पर देवी महागौरी से ही अपनी सुरक्षा की प्रार्थना की थी। मां के इस रूप के पूजन से शारीरिक क्षमता का विकास होने के साथ मानसिक शांति भी बढ़ती है। माता के इस स्वरूप को अन्नपूर्णा, ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी भी कहा जाता है।

इस संबंध में नीम वाली माता मां छिन्नमस्ता मंदिर पर कर्मकांड करने वाले प़ं सौरभ पटैरिया ने बताया कि मां की महिमा निराली है । पूरी सृष्टि मां की ही कृपा से सृजित है। ऐसा श्रीदेव्यथर्वशीर्षम में कहा गया है। उनकी कृपा का विशेष स्वरुप महाशक्ति महागौरी के रूप में जाना जाता है। और सभी भक्तजन आज उसी स्वरूप की पूजा कर मां की कृपा प्राप्त करने की आशा करते हैं।

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