स्कूलों में धार्मिक पोशाक के बजाय ड्रेस ही बेहतर- डॉक्टर खान
एक स्कूल में ड्रेस के स्थान पर हिजाब पहनकर पहुंची छात्राओं को प्रबंधन की ओर से कक्षाओं के भीतर हिजाब उतारने के लिए कहा गया था
लखनऊ। कर्नाटक के स्कूल कॉलेजों से निकला हिजाब का विवाद पूरे देश में सुर्खियां बटोर रहा है। इस मामले को लेकर जहां कई शहरों में प्रदर्शन किए जा चुके हैं, वही यह मामला अदालत की चौखट पर भी जा पहुंचा है। इस बीच बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा है कि स्कूल कॉलेजों में धार्मिक पोशाक पहनकर जाना ठीक नहीं है। स्कूल कॉलेजों का एक ड्रेस कोड होता है जिसका सभी को पालन करना चाहिए।
दरअसल कर्नाटक के एक स्कूल में ड्रेस के स्थान पर हिजाब पहनकर पहुंची छात्राओं को प्रबंधन की ओर से कक्षाओं के भीतर हिजाब उतारने के लिए कहा गया था। लेकिन छात्राओं ने स्कूल ड्रेस के बजाय हिजाब को प्राथमिकता देते हुए उसे उतारने से मना कर दिया था। स्कूल प्रबंधन की ओर से जब हिजाब पहनकर आई छात्राओं को कालेज में प्रवेश नहीं दिया गया तो यह मामला कर्नाटक के अन्य स्कूल कॉलेजों से होता हुआ देश के कई अन्य हिस्सों तक पहुंच गया। अब हिजाब मामले को लेकर जगह-जगह एकजुटता दिखाते हुए प्रदर्शन किए जा रहे हैं जिनमें महिलाएं भी शामिल हो रही है। इस मामले को लेकर कुछ लोगों का मानना है कि यह विवाद पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव की वजह से तूल पकड़ रहा है। लेकिन इस बाबत बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ एमएच खान का मानना है कि स्कूल कॉलेजों में धार्मिक पोशाक से शिक्षा ग्रहण करने वाले की पहचान नहीं होती है बल्कि स्कूल कॉलेजों में एक ड्रेस कोड होता है जो छात्र-छात्राओं को शिक्षा की अहमियत दिखाता है। इसलिए सभी छात्र छात्राओं को अपने स्कूल कॉलेज की ड्रेस कोड का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा की धार्मिक पहनावा ठीक नहीं है। स्कूल कॉलेजों में ड्रेस ही सबसे बेहतर है जो एक दूसरे के बीच अमीर गरीब, ऊंच नीच और जाति पाति का भेदभाव नहीं होने देती है।