लाॅक डाउन में गन्ना किसानों के घर हुई धनवर्षा, गन्ना भुगतान 1 लाख करोड़ के पार
वर्तमान सरकार के कार्यकाल में पूर्व के पेराई सत्रों के भुगतान सहित अब तक रू.1,03,719 करोड़ का भुगतान प्रदेश के गन्ना किसानों को कराया जा चुका है।
लखनऊ। किसानों के कल्याण का भरोसा जगाते हुए प्रचंड बहुमत के साथ उत्तर प्रदेश की सत्ता में आयी तो भाजपा के जनता से किये गये वादों को पूरा करने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही दिन से काम किया। सरकार के केन्द्र बिन्दू किसान ही रहे। सबसे पहले किसान कर्जमाफी का बड़ा और चुनौतीपूर्ण निर्णय लेकर इसको लागू कराया और इसके बाद गन्ना किसानों की बदहाली को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहल शुरू की। उनके संकल्प को पूर्ण करने के लिए गन्ना मंत्री सुरेश राणा दिन रात जुट गये, उनको इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए गन्ना विभाग में वरिष्ठ आईएएस संजय आर. भूसरेड्डी के रूप में एक ऐसा साथी मिला, जिसके बाद इस जोड़ी ने यूपी में गन्ना किसानों के लिए दिशाहीन हो चले सरकारी तंत्र को नई दिशा और दशा देने का काम किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व का ही नतीजा था कि गन्ना विभाग ने मंत्री सुरेश राणा और अपर मुख्य सचिव गन्ना एवं चीनी संजय आर. भूसरेड्डी के बीच समन्वय ने ऐसा माहौल बनाया कि साढ़े तीन साल में गन्ना विभाग ने नित्य नये रिकाॅर्ड स्थापित किये। सबसे बड़ी चुनौती रहे कोरोना लाॅक डाउन में यूपी सरकार की ओर से प्रदेश के गन्ना किसानों को 5,954 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जोकि एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। आज साढ़े तीन साल के शासन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार की नीतियों के सहारे गन्ना मंत्री सुरेश राणा और अपर मुख्य सचिव गन्ना एवं चीनी संजय आर. भूसरेड्डी ने नये आयाम पर पहुंचते हुए किसानों को एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का गन्ना मूल्य का भुगतान कराया है। इसमें पूर्ववर्ती सपा सरकार द्वारा छोड़े गये 4 हजार करोड़ से ज्यादा का भुगतान भी शामिल है।
2017 में भाजपा सरकार बनने के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत में बड़ा असर रखने वाले गन्ना किसानों के हितों को साधने के लिए शामली जनपद की थानाभवन सीट से दूसरी बार विधायक बने सुरेश राणा को गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग में मंत्री बनाकर बड़ी जिम्मेदारी दी गयी। इसके साथ ही प्रबंधन में महारत रखने वाले 1989 बैच के आईएएस अफसर संजय आर. भूसरेड्डी को गन्ना विभाग का प्रमुख सचिव बनाया गया। मुख्यमंत्री के दिशा निर्देशन में गन्ना मंत्री सुरेश राणा एवं प्रमुख सचिव संजय आर . भुसरेड्डी ने 2017-18 में पिछली सरकारों का बकाया गन्ना भुगतान कराना शुरू करने के साथ ही मौजूदा सरकार की नीतियों को लागू कराते हुए गन्ना विभाग का कायाकल्प करने की ओर कदम बढ़ाने शुरू कर दिये। गन्ना भुगतान एवं पेराई व्यवस्था को पटरी पर लाने के साथ-साथ पहले ही साल से बंद पड़ी चीनी मिलों को चलवाना शुरू किया। पिछली सरकारों में जो चीनी मिलें बंद और बिक रही थी, उनको 2019-20 के पेराई सत्र तक चलाने के साथ-साथ उनकी क्षमता भी बढ़ाई गई। 2019-20 के पेराई सत्र तक साढ़े तीन साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने गन्ना किसानों के हितों के लिए बड़े फैसले लेकर उनको लागू किया। गन्ना मंत्री सुरेश राणा एवं प्रमुख सचिव संजय आर. भूसरेड्डी की रणनीति के सहारे अब गन्ना विभाग ने रिकॉर्ड 1 लाख करोड़ से ज्यादा गन्ना मूल्य का भुगतान किसानों को कर दिया है।
गन्ना एवं चीनी आयुक्त संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व तथा चीनी उद्योग तथा गन्ना विकास मंत्री, सुरेश राणा के मार्गदर्शन में गन्ना विकास विभाग द्वारा गन्ना किसानों के हित में किये जा रहे प्रयासों के फलस्वरूप पेराई सत्र 2018-19 के देय गन्ना मूल्य के सापेक्ष शत-प्रतिषत गन्ना मूल्य भुगतान प्रदेष के गन्ना किसानों को सुनिश्चित हुआ।
चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग कोरोना महामारी की इस देशव्यापी विभीषिका के दौरान जब प्रदेश का गन्ना किसान अपने खेतों में खड़े गन्ने की चिंता में डूबकर मायूस नजर आ रहा था, तो लाॅक डाउन के आर्थिक संकट से गन्ना किसानों को मुक्त रखते हुए प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुगर मिलों को चलाये रखने और किसानों को लाॅक डाउन की पाबंदी से मुक्त रखने की व्यवस्था दी। सरकार ने यह निर्णय लेकर खुले तौर पर साबित किया कि वह गन्ना किसानों के आर्थिक हितों की रक्षा हेतु प्रतिबद्ध है। संजय आर भूसरेड्डी ने गन्ना मंत्री सुरेश राणा के मार्गदर्शन में जिस रणनीति को गन्ना विभाग में लागू किया, उनके उस मैनेजमेंट ने जहां चीनी मिलों के रूप में यूपी में इन उद्योगों को संवारने का काम किया, वहीं गन्ना भुगतान में पारदर्शिता पैदा करते हुए किसानों के जीवन स्तर को निखारने में भी वह सफल नजर आये। संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि प्रदेष की चीनी मिलों द्वारा पेराई सत्र 2018-19 के देय गन्ना मूल्य रू. 33,048 करोड़ के सापेक्ष शत-प्रतिषत गन्ना मूल्य भुगतान किसानों को कर दिया गया है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में पूर्व के पेराई सत्रों के भुगतान सहित अब तक रू.1,03,719 करोड़ का भुगतान प्रदेश के गन्ना किसानों को कराया जा चुका है। उन्होंने यह भी बताया कि लाॅकडाउन की अवधि के दौरान जब प्रदेश एवं देश के अधिकतर उद्योग बन्द रहे, तब केवल उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें अनवरत संचालित होती रहीं तथा चीनी की बिक्री लाॅक डाउन के कारण नगण्य होने के बावजूद भी विभाग द्वारा चीनी मिल के सभी उत्पादों एवं उप उत्पादों के विक्रय मूल्य को गन्ना मूल्य भुगतान हेतु टैगिंग करने के कारण ही लगभग रू.5,954 करोड़ का भुगतान लाॅक डाउन की अवधि में गन्ना किसानों को कराना सम्भव हो सका। इससे किसानों को कोरोना संकट काल में भी आर्थिक रूप से मजबूती मिली। किसानों को किये गये इस भुगतान में एथनाॅल एवं सेनिटाइजर के विक्रय मूल्य को गन्ना मूल्य हेतु टैग करने का निर्णय महत्वपूर्ण रहा। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों द्वारा विगत 03 वर्षाें में रिकार्ड 3,262 लाख टन गन्ना पेराई एवं रिकार्ड 365 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया है। वर्तमान पेराई सत्र 2019-20 के दौरान भी 1,118 लाख टन गन्ना पेराई एवं 126 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया है, यह भी प्रदेश के इतिहास में एक रिकार्ड है।
योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा 2017 से 2020 के साढ़े तीन वर्षो के कार्यकाल के मध्य गन्ना किसानों के हित में किये गये अथक प्रयासों के फलस्वरूप रू.1,03,719 करोड़ का रिकार्ड गन्ना मूल्य भुगतान गन्ना मंत्री सुरेश राणा और विभाग के आयुक्त संजय आर. भूसरेड्डी की संवेदनशीला एवं ठोस रणनीति के कारण ही सम्भव हो सका, यह भुगतान इससे पूर्व के 03 वर्षो के सम्मिलित गन्ना मूल्य भुगतान रू.53,367 करोड़ से भी रू. 50,352 करोड़ रुपये अधिक है। संजय आर. भूसरेड्डी के अनुसार 2017-2020 के मध्य गन्ना किसानों को किया गया यह गन्ना मूल्य भुगतान 2012-2017 के शासन काल के कुल गन्ना मूल्य भुगतान रू. 95,215 करोड़ से भी रू.8504 करोड़ अधिक है। यह भी उल्लेखनीय है कि 2012-2017 के मध्य का भी रू.4,466 करोड़ का बकाया गन्ना मूल्य भुगतान भी 2017-2020 के मध्य ही कराया गया है।