तबलीगी जमात पर सऊदी के प्रतिबंध से दारुल उलूम हुआ लाल पीला

देश में तबलीगी जमात पर विभिन्न गंभीर आरोप लगाते हुए अपने देश में जमात की गतिविधियों पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है।

Update: 2021-12-13 06:35 GMT

सहारनपुर। सऊदी अरब सरकार की ओर से अपने देश के भीतर तबलीगी जमात पर लगाई गई पाबंदी की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम के मोहतमिम ने सऊदी सरकार को अपने फैसले पर फिर से विचार करने तथा इस तरह के फैसले लेने से परहेज करने की नसीहत दी है।

सऊदी अरब सरकार की ओर से अपने देश में तबलीगी जमात पर विभिन्न गंभीर आरोप लगाते हुए अपने देश में जमात की गतिविधियों पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है। सोमवार को दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासमी ने प्रेस बयान जारी करते हुए कहा है कि दारुल उलूम के वरिष्ठ उस्ताद रह चुके हजरत मौलाना महमूद हसन के शागिर्द स्वर्गीय मौलाना मोहम्मद इलियास ने तबलीगी जमात की शुरुआत की थी, जो दीनी व धार्मिक तौर से काफी फायदेमंद रही है।और मामूली स्तर पर हुए विरोध के बावजूद तबलीगी जमात अपने मिशन में सफलता के साथ काम कर रही है। उन्होंने कहा है कि लगभग पूरी दुनिया में तबलीगी जमात काम करते हुए अपना विस्तार कर रही है। ऐसे में तबलीगी जमात के ऊपर शिरक बिदअत आतंकवाद के इल्जाम पूरी तरह से बेईमानी और निराधार हैं। उधर प्रख्यात लेखक मौलाना नदीम अल वाजिदी ने सऊदी अरब सरकार के फैसले पर अपनी नाराजगी जताते हुए कहा है कि इस तरह के गैर जिम्मेदाराना रवैया की सऊदी सरकार से उम्मीद नहीं थी। सऊदी सरकार को अगर तबलीगी जमात को लेकर कोई कदम उठाना ही था तो उसे भारत समेत अन्य देशों के विद्वानों के सामने इस पर विचार करना चाहिए था।



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