लियाकत का टिकट कटना एक साजिश-आज़ाद

समाजवादी पार्टी में एक सच्चे सिपाही की तरह हाजी लियाकत ने जो मेहनत की है।

Update: 2022-02-05 10:05 GMT

मुज़फ्फरनगर। सामाजिक और राजनीतिक विश्लेषक मुहम्मद आज़ाद मुज़फ्फरनगर जनपद की मीरापुर विधानसभा पर विश्लेषण करते हुए सोशल मीडिया पर लिखते है " समाजवादी पार्टी में एक सच्चे सिपाही की तरह हाजी लियाकत ने जो मेहनत की है। स्वच्छ राजनीति में वो सही मायने में एक उच्च मानदंड स्थापित करती है। साजिश के तहत उनका टिकट काटना, बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और ये मुस्लिम समाज के मुंह पर जोरदार तमाचा है।

मीरापुर विधानसभा में उनके टिकट कटने से सर्वसमाज या यू कहे हिंदू मुस्लिम एकता में विश्वास रखने वाले लोगो के लिए एक बड़ा आघात है। खासकर मुस्लिम समाज दुविधा की स्थिति में है कि गठबंधन को वोट क्यों करे।

मुस्लिम समाज की यही नाराजगी बसपा को मजबूत कर रही है। दिन प्रतिदिन मुस्लिम समाज मीरापुर विधानसभा के समीकरण को समझ रहा है कि 2017 की मजबूत लहर में हाजी लियाकत मात्र 193 वोटों से हारे । थे अब कोन सा समीकरण होगा जो अब गठबंधन प्रत्याशी जीतेगा ?

राजनीति के जानकार कह रहे है कि इस बार सपा की वो लहर भी नही है तो दूसरी तरफ बसपा से मौलाना सालिम लोकल बसपा मुस्लिम प्रत्याशी होने के कारण दौड़ में आगे निकल रहे है ।

मुहम्मद आज़ाद समीकरण समझाते है कि सीट पर 65000 हजार दलित और 130000 मुस्लिम वोट है, अगर 20 से 30% मुस्लिम समाज बसपा को वोट करता है और जिले की 6 विधानसभा में से सिर्फ एक मुस्लिम प्रत्याशी के लिए भावना दिन प्रतिदिन जागती जा रही है तो सपा गठबंधन की हालत पतली होती जाएगी तो दूसरी तरफ बाहरी प्रत्याशी का सर्वसमाज विरोध कर रहा है ।

ऐसे में गेंद मुस्लिम समाज के पाले में है कि अपने वजूद और अपने हक की आवाज को बुलंद करने के लिए जिला मुजफ्फरनगर से एकमात्र मुस्लिम प्रत्याशी को वोट करना है ।

वो लिखते है मात्र 30% मुस्लिम वोटर अगर 65000 हजार दलित वोटों की वोटों में मिला दे तो बसपा प्रत्याशी मौलाना सालिम की जीत की राह मजबूती के साथ हमवार हो जाये।

यह विश्लेषक मुहम्मद आज़ाद के अपने निजी विचार है। इसमें खोजी न्यूज़ की निजी राय नही है।

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