अल कायदा ने अलापा कश्मीर को आजाद कराने का राग
तालिबान के साथ घनिष्ठ संबंध रखने वाले अल कायदा ने कहा कि अफगानिस्तान ‘निस्संदेह सल्तनतों का कब्रिस्तान और इस्लाम का एक अभेद्य किला था’।
नयी दिल्ली। दुनिया भर में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन अल कायदा ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों के बाहर निकलने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह साबित करता है कि 'जिहाद ही एकमात्र रास्ता है जो जीत और सशक्तीकरण की ओर ले जाता है'। लेकिन इसी दौरान उसने यह राग अलापा कि वह इसी तरह कश्मीर को भी 'इस्लाम के दुश्मनों' से आजाद कराने की दुआ करता है। तालिबान के साथ घनिष्ठ संबंध रखने वाले अल कायदा ने कहा कि अफगानिस्तान 'निस्संदेह सल्तनतों का कब्रिस्तान और इस्लाम का एक अभेद्य किला था'। संगठन ने अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान से वापसी पूरी करने के बाद जारी एक बयान में कहा, "अमेरिकियों की हार के साथ, यह तीसरी बार है कि अफगानिस्तान ने दो सदियों से भी कम समय के भीतर एक हमलावर साम्राज्यवादी ताकत को सफलतापूर्वक पराजित और निष्कासित कर दिया है।
अल कायदा ने अमेरिका पर तंज कसते हुए कहा, "अमेरिकी शैतानी साम्राज्य की हार निश्चित रूप से इस युग में अल्लाह की मौजूदगी की निशानी है और दुनिया भर के दमितों और पीड़ितों के लिए प्रेरणा का जबरदस्त स्रोत है।"अल कायदा ने तालिबान या 'इस्लामिक अमीरात', विशेष रूप से इसके सर्वोच्च नेता हिबतुल्ला अखुंदजादा को बधाई देते हुए कहा कि इस जीत ने 'यह दिखा दिया है कि इस्लामिक राष्ट्र जब एकजुट हो जाता है, हथियार उठाता है और अपने धर्म, इसकी पवित्रता, इसकी भूमि और धन की रक्षा के लिए अल्लाह की राह पर लड़ता है तो वह कुछ भी कर सकने में सक्षम है।
अल कायदा ने कहा कि तालिबान की 'जीत' साबित करती है कि 'जिहाद ही एकमात्र रास्ता है, जो जीत और सशक्तीकरण की ओर ले जाता है'।अल कायदा ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में जीत 'फिलिस्तीन को यहूदियों के कब्जे से मुक्त कराने की प्रस्तावना साबित होगी'संगठन ने कहा कि अल्लाह ने अफगानिस्तान को अमेरिकी कब्जे से मुक्त किया और इसी तरह उसे फिलिस्तीन को यहूदियों के कब्जे से और इस्लामिक मगरेब को फ्रांसीसी कब्जे से मुक्त करना चाहिए ... साथ ही लेवेंट, सोमालिया, यमन, कश्मीर और सभी इस्लामी जमीनों को 'इस्लाम के दुश्मनों' के चंगुल से मुक्त करना चाहिए।