कागजों में हो रहा पानी का छिड़काव - सड़क पर उड़ रही धूल ही धूल
मुजफ्फरनगर के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी खुद को सक्रिय होना बताते हुए सड़कों पर पानी का छिड़काव करने के दावे किए हैं।
मुजफ्फरनगर। राजधानी दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद एवं मेरठ की तरह मुजफ्फरनगर की भी आबोहवा भी इस कदर खराब हो रही है कि लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत होती दिखाई दे रही है। इस बीच प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से सड़कों पर पानी का छिड़काव कराने के दावे किए जा रहे हैं। मगर सड़कों पर उड़ रही धूल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तमाम दावों पर पानी फेर रही है। जनपद में वायु की गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है, जिसके चलते लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है और उन्हें अनेक बीमारियों ने आकर घेर लिया है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल होने की वजह से मुजफ्फरनगर के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी खुद को सक्रिय होना बताते हुए सड़कों पर पानी का छिड़काव करने के दावे किए हैं। जिसके चलते प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से कहा गया है कि उसके द्वारा लगातार गुड बनाने के कोल्हुओं पर छापा मार कार्यवाही करते हुए इस बात की जांच कराई जा रही है कि वहां पर प्रतिबंधित किए गए ईंधन जैसे पॉलिथीन एवं वेस्ट प्लास्टिक का प्रयोग हो रहा है या नहीं?
इसके अलावा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से सड़कों पर पानी के छिड़काव के भी दावे किए जा रहे हैं, लेकिन हकीकत इसके ठीक उलट दिखाई दे रही है। क्योंकि शहर के सबसे व्यस्ततम चौराहों में शुमार किए जाने वाले सुजडू चुंगी चौराहे से लेकर आईटीआई चौराहा, वहलना चौक, वहलना गेट, हाईवे बाईपास पर मुजफ्फरनगर कट से लेकर गुप्ता रेसोर्ट के सामने से होते हुए गांव जड़ौदा कट तक सड़क पर धूल के गुब्बार उड़ते दिखाई दे रहे हैं।
हाईवे के इन स्थानों पर हालात ऐसे हो चले हैं कि यदि कोई व्यक्ति 5 मिनट भी सड़क पर खड़ा हो जाए तो उसके बाद उसके ऊपर जमीं धूल को देखते हुए उसे पहचानना तक मुश्किल है। वायु प्रदूषण के ऐसे ही हालात जनपद मुजफ्फरनगर के खतौली कस्बे में भी हो चले हैं। भैंसी हाईवे कट से लेकर भंगेला कट और जानसठ तिराहे से लेकर जानसठ रोड राजबाहे तक सड़क पर धूल का साम्राज्य व्याप्त है।
ऐसे हालातो में सड़क किनारे हुआ अतिक्रमण भी जनपद की आबोहवा को खराब करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है, क्योंकि अतिक्रमण की वजह से रास्ता संकरा हो जाने से जब सड़क पर जाम लग जाता है तो वहां पर वाहनों का धुआं इस कदर व्याप्त हो जाता है कि वहां से निकलने वालों को सांस के साथ धुएं और धूल के कण भी अपने शरीर में ना चाहकर भी उतारने पड़ते हैं।