महबूबा से लोगों का मोहभंग
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पिछले हफ्ते राज्य में जिला विकास परिषद चुनाव के साथ पंचायत और नगरपालिका उपचुनाव का ऐलान किया है।
श्रीनगर। पिछले विधानसभा चुनाव में मुफ्ती मोहम्मद सईद की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को जम्मू कश्मीर की जनता ने सबसे ज्यादा विधायक दिये थे। भाजपा के साथ सरकार बनाने का उनको अवसर भी मिला लेकिन उस सरकार से लोगों को जो अपेक्षाएं थीं, वे पूरी नहीं हो सकीं। युवाओं को रोजगार चाहिए था, जनता को आतंकवाद से मुक्ति चाहिए थी और कश्मीरी पंडितों को ऐसी जगह घर चाहिए था, जहां उन्हे कोई धमकी न दे सके।सरकार के दो प्रमुख घटक भाजपा और पीडीपी में तालमेल भी नहीं बन पाया। इसी बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल रहे मुफ्ती मोहम्मद सईद की मौत हो गयी। इसके बाद उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती ने गद्दी संभाली और भाजपा के साथ उनके मतभेद इतने बढ गये कि भाजपा ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। जम्मू कश्मीर में राज्यपाल का शासन था तो वहाँ की सरकार की सहमति से 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और धारा 35 ए को निष्प्रभावी कर जम्मू कश्मीर व लद्दाख को अलग अलग केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया। राज्य में अशांति न पैदा हो, इसलिए महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था। अभी कुछ दिन पहले ही महबूबा मुफ्ती को रिहा किया गया है और वे इस तरह के बयान दे रही हैं जिससे उनकी पार्टी के लोग ही साथ छोडने लगे हैं। महबूबा मुफ्ती ने डाॅ फारूक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) और अन्य के साथ पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकार डिक्लरेशन बनाया है।
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पिछले हफ्ते राज्य में जिला विकास परिषद चुनाव के साथ पंचायत और नगरपालिका उपचुनाव का ऐलान किया है। ये चुनाव राज्य में आठ चरणों में कराए जाएंगे। उधर, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के राज्य प्रशासन के मुख्य कार्यालय सिविल सचिवालय ने 9 नवम्बर को जम्मू से काम करना शुरू कर दिया। पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकार डिक्लरेशन और नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रेसिडेंट फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि हम देश के नहीं, बीजेपी के दुश्मन हैं। वे लोग हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई को एक-दूसरे से अलग करना चाहते हैं। हम महात्मा गांधी के भारत में विश्वास करते हैं, जहां सब एक दूसरे के बराबर हैं। अब डाॅ फारूक अब्दुल्ला की बात पर कोई कैसे यकीन करेगा कि वे महात्मा गांधी के भारत में यकीन रखते हैं? महात्मा गांधी गुलामी के सख्त विरोधी थे लेकिन फारूक अब्दुल्ला चीन की मदद से भारत सरकार पर दबाव डलवाना चाहते हैं। इसी प्रकार की विचारधारा महबूबा मुफ्ती की है। पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकार डिक्लरेशन ने राज्य में 28 नवंबर से होने वाले आगामी डीडीसी (जिला विकास परिषद) चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के बयानों से आहत होकर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से इस्तीफा देने वाले तीन नेता कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। वेद महाजन, हुसैन अली वफ्फा और टीएस बाजवा ने कुछ दिन पहले पीडीपी से इस्तीफा दे दिया था। इन नेताओं ने 26 अक्टूबर को महबूबा मुफ्ती द्वारा कही गई बातों से पैदा हुई असहजता के चलते पार्टी को छोड़ दिया था।
इन नेताओं ने महबूबा मुफ्ती को लिखे एक पत्र में कहा था कि वह मुफ्ती के कुछ कार्यों और अवांछनीय कथनों से विशेष रूप से असहज महसूस करते हैं, जो देशभक्ति की भावनाओं को चोट पहुंचाते हैं।जम्मू एवं कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने 9 नवम्बर को भड़काऊ बयान देते हुए राज्य में बंदूक उठाने वालों का समर्थन किया। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जब नौकरी नहीं होगी तो यहां के लड़के बंदूक ही उठाएंगे। राज्य में खिसकती सियासी जमीन पर अपनी बौखलाहट दिखाते हुए पीडीपी अध्यक्ष ने कहा, अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद बीजेपी की मंशा जम्मू-कश्मीर की जमीन और नौकरी छीनने की है। उन्होंने कहा अनुच्छेद 370 डोगरा संस्कृति को बचाने के लिए था। महबूबा मुफ्ती जब इस तरह के भड़काऊ बयान देते हुए आतंकवाद का अर्थात राज्य में बंदूक उठाने वालों का समर्थन करेंगी तो कौन उनके साथ खड़ा होगा। महबूबा मुफ्ती कहती हैं कि चाहे मुल्क का झंडा हो या जम्मू कश्मीर का झंडा...वह हमें संविधान ने दिया था, बीजेपी ने हमसे वह झंडा छीन लिया है।
भड़काऊ बयान देते हुए राज्य की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती कहती हैं, आज इनका (बीजेपी) वक्त है, कल हमारा आएगा। इनका भी ट्रंप वाला हाल होगा। बॉर्डर्स के रास्ते खुलने चाहिए। जम्मू-कश्मीर दोनों मुल्कों के बीच अमन का पुल बने। हमारा झंडा हमें वापस मिले। अनुच्छेद 370 को लेकर महबूबा मुफ्ती कहती हैं कि ये मुस्लिम या हिंदू से जुड़ा विषय नहीं है, बल्कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की पहचान है। लोगों को अपने भविष्य की चिंता है। केंद्र सरकार ने बाबा साहेब के संविधान के साथ खिलवाड़ किया है। बीजेपी पर निशाना साधते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कश्मीरी पंडितों का क्या हुआ? बीजेपी ने उनसे वादा किया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इतना ही नहीं महबूबा का पाकिस्तान प्रेम भी उमड रहा है। महबूबा मुफ्ती इन दिनों जम्मू के दौरे पर हैं। यहां उन्होंने पार्टी नेताओं के अलावा समाज के अन्य तबकों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। इन बैठकों के बाद महबूबा ने जम्मू में प्रेस वार्ता की। पाकिस्तान को लेकर महबूबा मुफ्ती का प्रेम एक बार फिर उमड़ा। उन्होंने कहा कि जब हम चीन से बात कर सकते हैं तो पाकिस्तान से क्यों नहीं। राज्य के एक अन्य पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला ने तो कुछ दिन पहले कहा था कि चीन की मदद से कश्मीर में फिर से आर्टिकल 370 बहाल करवाया जाएगा। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती कहती हैं कि जब तक जम्मू-कश्मीर को लेकर पिछले साल पांच अगस्त को संविधान में किए गए बदलावों को वापस नहीं ले लिया जाता, तब तक उन्हें चुनाव लड़ने अथवा तिरंगा थामने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को पिछले वर्ष अगस्त में समाप्त किए जाने के बाद से महबूबा हिरासत में थीं. रिहा होने के बाद पहली बार मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह तभी तिरंगा उठाएंगी, जब पूर्व राज्य का झंडा और संविधान बहाल किया जाएगा।महबूबा मुफ्ती को कुछ समय पहले ही रिहा किया गया है। मुफ्ती पिछले साल 5 अगस्त को राज्य का विशेष दर्जा वापस लिए जाने और जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटे जाने के पहले से ही हिरासत में थीं। हिरासत खत्म होने के बाद से ही महबूबा मुफ्ती लगातार केंद्र सरकार पर तीखे हमले कर रही हैं। पीडीपी प्रमुख राज्य के विशेष दर्जे की वापसी के लिए गुपकार गठबंधन में भी शामिल हुई हैं। नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) समेत जम्मू कश्मीर की मुख्य धारा के सात दलों ने जम्मू कश्मीर राज्य के विशेष दर्जे की बहाली और इस मुद्दे पर संबंधित पक्षों के साथ संवाद शुरू करने के लिए 15 अक्टूबर को गुपकर घोषणापत्र गठबंधन बनाया था। (हिफी)