कोरोना से तबाही- लोगों मे खौफ- गांवों में जागरूकता की जरूरत

लखनऊ के किनारे बसे इस गांव में एक स्वास्थ्य उपकेंद्र भी है, लेकिन वह भी लंबे वक्त से बंद पड़ा है।

Update: 2021-05-26 15:54 GMT

लखनऊ। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक एक राहत भरी खबर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय दे रहा था कि देश में पहली बार कोरोना से संक्रमित होने वालों की संख्या 2 लाख से कम हुई। कम कितनी, यह भी जान लें। यह संख्या एक लाख 94 हजार के आस-पास रही। मन को संतोष तो दे सकते हैं लेकिन भयावहता को कम नहीं आंका जा सकता है। कई राज्यों में कोरोना ने गांवों में हाहाकार मचा रखा है। इतनी ज्यादा लाशें एक साथ इस युग की पीढ़ी ने कभी नहीं देखी थी। उत्तर प्रदेश के एक गांव में तो लोग उस समय नदी में कूट गये जब स्वास्थ्य विभाग की टीम उन्हें वैक्सीन देने गयी थीं। कोरोना के लिए सभी संभव उपाय करने होंगे। हरियाणा में ग्रामीण इलाकों में कोरोना के मामलों मे काफी इजाफा होते देखकर पतंजलि की कोरोनिल किट मुफ्त बांटी जा रही है। कोरोनिल का आधा खर्च पतंजलि और आधा हरियाणा सरकार के कोविड राहत कोष से वहन किया जा रहा है। ध्यान रहे कि इसी साल फरवरी महीने में पतंजलि के प्रमुख बाबा रामदेव ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन की मौजूदगी में कोरोनिल को लांच किया था। रामदेव ने दावा किया था कि यह कोरोना की पहली दवा है। इस पर बहुत विवाद हुआ था। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सवाल किया था कि एक डॉक्टर और एक स्वास्थ्य मंत्री कैसे देश में एक अवैज्ञानिक प्रोडक्ट को बढ़ावा दे सकते हैं। अब गांवों में कोरोना जिस तरह से फैला है, उसके लिए कोरोनिल जैसे प्रयोग भी आवश्यक प्रतीत हो रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में भले ही कोरोना के नए मामलों में कमी देखने को मिल रही है, लेकिन सूबे के गांवों में इस वक्त स्थिति काफी खतरनाक हो चली है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ के ग्रामीण इलाके भी इस वक्त कोरोना की मार झेल रहे हैं। यहां चिनहट ब्लॉक के अमराई गांव में कोरोना के कारण तबाही मची है। हाल ये है कि यहां एक परिवार के चार लोगों की एक हफ्ते के भीतर ही मौत हो गई। जबकि पूरे गांव में करीब चालीस लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जिनमें कोरोना जैसे लक्षण पाये गये। गांव में कोरोना का कहर झेलने वाला ये परिवार एक होम्योपैथिक डॉक्टर का था, जो कोरोना काल में लोगों की सेवा करने में जुटे थे। अमराई गांव के डॉ. हरिराम यादव की तबीयत अचानक ही बिगड़ी, उनके भाई अवधेश के मुताबिक, उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई, अस्पताल ले गए तो जांच हुई, लेकिन रिपोर्ट आने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया। अवधेश ने बताया कि शाम में हरिराम यादव का निधन हुआ, उसके अगले दिन 62 साल की चाची की भी मौत हो गई। इतना ही नहीं, दो दिन बाद हरिराम यादव की पत्नी सिज्मा। यादव, बहू संध्या यादव की तबीयत बिगड़ी और देखते ही देखते दोनों ने दम तोड़ दिया। कोरोना जैसे लक्षणों के बीच एक परिवार पूरी तरह उजड़ गया।

कोरोना के कारण लखनऊ के इस गांव में हाहाकार मचा है। ग्रामीणों की मानें, तो जब कोरोना अपने पीक पर था, तब करीब 40 लोगों की जान चली गई थी सभी में कोरोना लक्षण थे। ग्रामीणों का कहना है कि अगर शुरू से ही जांच और अन्य कदम उठाए जाते, तो शायद इतनी जान ना जाती। ग्रामीणों के मुताबिक, करीब एक हफ्ते पहले टेस्टिंग के लिए टीम आई थी, लेकिन अभी कुछ ही लोगों की टेस्ट रिपोर्ट आई है लखनऊ के किनारे बसे इस गांव में एक स्वास्थ्य उपकेंद्र भी है, लेकिन वह भी लंबे वक्त से बंद पड़ा है।

कोरोना की रोकथाम के लिए तेजी से साफ-सफाई और सैनेटाइजेशन का अभियान चलाया जा रहा है। इस बीच यूपी के गोरखपुर के सरदार नगर ब्लॉक के गौनर गांव में पॉजिटव केस और मरने वालों का आंकड़ा चौंकाने वाला है। यहां दो महीने में हुई 100 मौतों से लोग हैरान हैं। हैरत की बात ये है कि 15 हजार की आबादी वाले इस गांव में कोई भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। गोरखपुर से 30 किलोमीटर दूर ऐतिहासिक चैरीचैरा तहसील के सरदार नगर ब्लॉक के गौनर गांव में दो महीने में 100 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से अधिकतर पॉजिटिव रहे हैं तो वहीं बाकी को भी बुखार, सर्दी-खांसी के साथ सांस लेने में परेशानी रही है गांव के हर घर में कोई न कोई पॉजिटिव है। यहां तक कि इस गांव के प्रधान भी पॉजिटिव हैं। यही वजह है कि यहां पर कोई न तो घर से निकलना चाहता है और न ही किसी से बात करना चाहता है। लोग अगल-बगल के घरों में जाने से भी डर रहे हैं, इसकी वजह भी साफ है दो महीने में हुई 100 मौतों ने इस गांव के लोगों में खौफ पैदा कर दिया है।

दो महीने में अप्रैल से लेकर अब तक 100 लोगों की मौत हो गई है। इनमें से अधिकतर कोरोना से मरे हैं। ज्यादातर की मौत असामयिक ही है। टेस्टिंग होती, तो पता चलता कि मौत कैसे हुई। यहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी नहीं है, यहां के प्रधान कैलाश निषाद को भी कोरोना हो गया है। वो भी आईसोलेशन में हैं। गांव मेडर का माहौल है और अस्पताल में कहीं कोई जगह नहीं है। वहीं, गौनर गांव के बुजुर्ग मुन्ना प्रसाद मिश्र बताते हैं कि हर दूसरे-तीसरे दिन दो-तीन लोगों। की मौत हो जाती है। यहां न अस्पताल है न कोई डॉक्टर। इस ग्राम सभा में एक स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था जरूर कराई जानी चाहिए। गांव वाले बताते हैं कि दो महीने में 100 लोगों की मौत हुई है। मौत कैसे हुई उन्हें जानकारी नहीं है। डर तो लग ही रहा है, कोरोना की वजह से डर लग रहा है। डर बना हुआ है क्यों और कैसे लोग मर रहे हैं, ये समझ में नहीं आ रहा। गांव के 80 प्रतिशत लोगों में डर और दहशत है। ग्राम विकास अधिकारी सचिंद्र राव का कहना है इस गांव में लगभग 50 से 55 के बीच मौत हुई है, यह मौत का आंकड़ा तब से चल रहा है जब से कोरोना के सेकेंड वेव की शुरुआत हुई, मौत की वजह कोरोना ही है या कुछ और यह तो जांच का विषय है।

एक तरफ जहां कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच पूरे देश में वैक्सीन लेने के लिए स्वास्थ्य केंद्रों पर लंबी-लंबी लाइनें नजर आ रही है। वहीं, बाराबंकी में अजीबोगरीब नजारा देखने को मिला। स्वास्थ्य विभाग की टीम जैसे ही वैक्सीन लगाने एक गांव में पहुंची वहां इससे बचने के लिए कुछ लोग डर से सरयू नदीं में कूद गए। यह देखकर अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए। मामला रामनगर के सिसौदा गांव का है जहां स्वास्थ्य विभाग की टीम ग्रामीणों को कोरोना वैक्सीन देने गई थी। इसी बीच गांव के ज्यादातर ग्रामीण वैक्सीन लगाए जाने के डर से गांव के बाहर सरयू नदी के पास जाकर खड़े हो गए। एसडीएम रामनगर राजीव शुक्ला गांव में चल रहे टीकाकरण का जायजा लेने पहुंचे तो उन्हें देखकर सरयू नदी के किनारे मौजूद लोग समझाने के बावजूद नदी में कूद गए। वो वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते थे। मौके पर पहुंचे एसडीएम ने नदी में कूदे लोगों को बुलाकर समझाया। इसके बावजूद सिर्फ 14 लोगों ने ही टीका लगवाया। इससे लगता है कि वैक्सीन के साथ गांवों में जागरूकता की भी जरूरत है। (हिफी)

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