घरों को उजाड़ रही शराब

पंजाब के अलग-अलग इलाकों में तीन दिन में नकली या जहरीली शराब पीने से अब तक कम से कम 93 लोगों की मौत हो चुकी है

Update: 2020-08-04 13:50 GMT

चंडीगढ़। जहरीली शराब मामले में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर विपक्ष के बाद अब अपनों ने हमला बोला है। 3 अगस्त को राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह दूलो ने सूबे के गवर्नर वीपी सिंह बदनौर को मांग पत्र सौंपकर, राज्य में हुई मौतों के मामलों पर तुरंत एक्शन लेने और सभी दोषियों को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की है। दोनों प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 2 अगस्त को आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल द्वारा जहरीली शराब मामले की सीबीआई जांच की मांग पर भड़के कैप्टन अमरिंदर सिंह का साथ देने सोमवार को कई कैबिनेट मंत्री भी मैदान में कूद गए। बलबीर सिद्धू, अरुणा चैधरी, राणा सोढी, सुंदर श्याम अरोड़ा, आशू ने मुख्यमंत्री के सुर में सुर मिलाते हुए विपक्ष पर निशाना साधा। शाम होते ही माहौल बदल गया। मौजूदा राज्यसभा सांसद और पूर्व पार्टी प्रधान प्रताप बाजवा और शमशेर दूलो अपनी ही सरकार को नाकाम साबित करते हुए गवर्नर के पास पहुंच गए। हालांकि दोनों वरिष्ठ नेताओं ने अपने मांग पत्र में कैप्टन अमरिंदर सिंह का उल्लेख नहीं किया लेकिन उनके गवर्नर के पास मदद के लिए पहुंचना प्रदेश की कांग्रेस सरकार के लिए नई मुसीबत खड़ी करने के लिए पर्याप्त है, क्योंकि इससे विपक्ष को कैप्टन सरकार पर वार करने का और सशक्त मौका हाथ लग गया है।

पंजाब के अलग-अलग इलाकों में तीन दिन में नकली या जहरीली शराब पीने से अब तक कम से कम 93 लोगों की मौत हो चुकी है राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने कहा है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री ने पुलिस को राज्य में शराब बनाने वाली इकाइयों को तलाशी अभियान शुरू करने का भी निर्देश दिया है। जांच के परिणाम चाहे जो भी हों, इतना तो स्पष्ट है कि इन मौतों के लिए जहां सस्ती विषैली शराब बनाकर बेचने वाले मौत के व्यापारी जिम्मेदार हैं, वहीं प्रशासन भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं जो अवैध शराब के धंधे पर रोक लगाने में विफल सिद्ध हो रहा है क्योंकि कई मामलों में इनमें स्वयं पुलिस विभाग के लोगों को भी संलिप्त पाया गया है।

लोगों में नशे का चलन इस कदर बढ़ चुका है, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के एक गांव में शराब के विकल्प के रूप में सैनीटाइजर पीने से 10 लोग मर गए। जहरीली शराब से लोग मरते हैं और उसके बाद अवैध कारोबार के खिलाफ अभियान शुरू होता है। कुछ लोग पकड़े जाते हैं और कुछ समय के लिए कारोबार की रफ्तार कम हो जाती है। फिर वहीं ढर्रा चलने लगता है।

पिछले 20 साल से पंजाब में शराब बनाने का धंधा फल फूल रहा है। एथाइल एलकोहल शराब तस्करों के पास कैसे पहुंचता है, इसका पता आज तक पुलिस नहीं लगा पाई है। अगर इस पर नियंत्रण हो जाए तो मौत का सिलसिला थम सकता है। इसकी सप्लाई वैध रूप से शराब की लाइसेंसी फैक्ट्रियों को की जाती है, लेकिन यह अवैध तौर पर तस्करों तक पहुंच जाता है। वहीं मिथाइल अल्कोहल, जिसे काष्ठ स्पिरिट भी कहा जाता है, एक प्रकार का जहर है। इसका उपयोग औद्योगिक प्रतिष्ठानों में रंग रोगन तैयार करने और थिनर आदि बनाने के लिए किया जाता है। कभी-कभी अवैध कारोबारी जब इसका उपयोग शराब बनाने में कर देते हैं तो यही शराब जहरीली कही जाती है। ऐसी ही शराब तरनतारन, बटाला व अमृतसर इलाकों में तैयार की गई थी, जहां पर एथाइल के स्थान पर मिथाइल एल्कोहल मिक्स कर दिया गया।

आज समूचे देश में शराब और अन्य नशों का सेवन लगातार बढ़ रहा है तथा उसी अनुपात में अपराधों में भी बढ़ोतरी हो रही है। शराब और अन्य नशों के सेवन से तो मौतें हो ही रही हैं वहीं सस्ती और विषैली शराब का सेवन भी बड़ी संख्या में मौतों का कारण बन रहा है जिससे महिलाओं के सुहाग उजड़ रहे हैं, बच्चे अनाथ हो रहे हैं और देश की युवा पीढ़ी को नशे का घुन खोखला कर रहा है।

विषैली शराब से मौतों के मामले में प्रथम स्थान पर तमिलनाडु के बाद कर्नाटक, पंजाब, बंगाल और गुजरात का स्थान है। गत वर्ष फरवरी में जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ''सस्ती विषैली शराब के सेवन से 10 वर्षों में कम से कम 11,830 लोगों, अर्थात प्रतिदिन औसतन 3 लोगों की मौत हुई जिनमें लगभग 9000 पुरुष और शेष महिलाएं थीं।'' विषैली शराब से मौतों की नवीनतम घटनाएं पंजाब के 3 जिलों अमृतसर, बटाला और तरनतारन से सामने आई हैं।

सबसे पहले तो देश में शराबबंदी होनी चाहिए परन्तु चूंकि उससे सरकार को राजस्व की भारी आय होती है, अतः इसकी संभावना नहीं है। लिहाजा आवश्यकता इस बात की है कि जहरीली शराब के व्यापारियों पर नकेल कसने के लिए कठोरतम दंड की व्यवस्था की जाए। इसके साथ ही विषैली शराब से मौतें रोकने के लिए प्रशासन की जिम्मेदारी तय है और जहां कहीं भी जहरीली शराब पीने से मौतें हों, वहां के स्थानीय प्रशासन के विरुद्ध भी कार्रवाई की जानी चाहिए।

(नाज़नींन-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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