महासंघ अध्यक्ष बोले - खो खो खिलाड़ियों का भविष्य है उज्जवल
खो खो एक पारंपरिक भारतीय खेल है और यह अब भारत में युवाओं के बीच लोकप्रियता हासिल कर रहा है।
नई दिल्ली। भारतीय खो-खो महासंघ के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने कहा है कि राष्ट्र के स्वदेशी खेल को आखिरकार खिलाड़ियों के बीच करियर विकल्प के रूप में मान्यता दी जा रही है और इसके खिलाड़ियों का भविष्य सुरक्षित है।
खो खो एक पारंपरिक भारतीय खेल है और यह अब भारत में युवाओं के बीच लोकप्रियता हासिल कर रहा है। इसकी अनुभवी खिलाड़ी सारिका काले को इस साल अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया जिससे खो-खो खिलाड़ियों एवं भारतीय खो-खो संघ में एक नई ऊर्जा आई है।
मित्तल ने खेल में वृद्धि पर खुशी व्यक्त करते हुए सोमवार को कहा कि राष्ट्र के स्वदेशी खेल को आखिरकार खिलाड़ियों के बीच करियर विकल्प के रूप में मान्यता दी जा रही है। उन्होंने कहा,"मैं खो खो को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खेल मंत्री किरेन रिजिजू को धन्यवाद देना चाहता हूं। पहले सरकारी नौकरियों के लिए खो खो पर विचार नहीं किया जाता था, लेकिन अब खो खो खिलाड़ियों को भी इस योजना के तहत नौकरी मिल सकती है और इसका श्रेय केंद्र सरकार को जाता है।
उन्होंने कहा, "इसलिए खिलाड़ी अब सुरक्षित महसूस कर रहे हैं और मुझे यकीन है कि इस तरह के प्रेरक कदम भारत में खेल को बढ़ावा देंगे।" भारतीय खो-खो महासंघ के अध्यक्ष ने आगे कहा कि खेल ने अपने पंख खोल दिए हैं और विश्व पर छा जाने के लिए तैयार हैं।
मित्तल ने कहा,"भारतीय खो-खो महासंघ के लिए यह गर्व का क्षण है कि खो खो को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली है। किसने सोचा होगा कि खो खो विदेशों में भी इतना लोकप्रिय हो जाएगा। इसे संभव बनाने के प्रयास किए गए और मैं उन सभी का आभारी हूं जो इस संबंध में हमारा समर्थन कर रहे हैं। विदेशों मे लोगों ने इस खेल को पसंद किया क्योंकि इसमें धीरज, फुर्ती और ताकत है। लोग निश्चित रूप से इसे पसंद करेंगे।"