अवैध वसूली पर योगी का रुख
पिछले दिनों (4 अगस्त 22) कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक में अवैध वसूली की शिकायतों पर योगी आदित्यनाथ ने सख्त रुख अपनाया
लखनऊ। वाराणसी में पिछले दिनों (4 अगस्त 22) कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक में अवैध वसूली की शिकायतों पर योगी आदित्यनाथ ने सख्त रुख अपनाया। उन्होने कहा, अवैध वसूली किसी भी दशा में नहीं होनी चाहिए। पुलिस थाना, सीओ और एसडीएम स्तर से इस पर पूरी तरह निगरानी रखी जाए। इस काम में शामिल लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते पांच साल में (वर्ष 2017 से 22 तक) पुलिस की छवि सुधरी है, मगर इसमें और सुधार की जरूरत है।
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार कितनी उपलब्धि हासिल कर पाएगी, यह तो अभी नहीं कहा जा सकता लेकिन प्रयास जरूर किये जा रहे हैं। गुण्डों-माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। उनकी सम्पत्ति पर जो अवैध रूप से बनी है, उस पर बुलडोजर चल रहा है। ये विशेष राजनीतिक दलों से जुड़े हैं, ऐसा कहने से गुण्डे और माफिया शरीफ नहीं बन जाएंगे, उन्हांेने गलत ढंग से निर्माण कराया तो उसे ढहाने का अधिकार सरकार को है। अफसरों पर भी सरकार ने कार्रवाई की है। डीएम, एसपी निलंबित किये गये। अब जानकारी मिली है कि योगी सरकार पुलिस की अवैध वसूली रोकना चाहती है। हालांकि यहां पर अवैध शब्द ही अनावश्यक प्रतीत होता है क्योंकि पुलिस का काम वसूली करना नहीं है। यदि पुलिस कर्मी वसूली करता है तो यह अवैध है। योगी सरकार का तात्पर्य भी संभवतः यही है। पुलिस की यह वसूली यूपी में ही नहीं है बल्कि महाराष्ट्र के एक बड़े पुलिस अधिकारी ने वहां के गृहमंत्री पर ही आरोप लगाया था कि उससे (पुलिस अफसर से) हर महीने कुछ करोड़ रुपये वसूल करके देने को कहा गया। इसकी जांच हुई और गृहमंत्री को जेल जाना पड़ा।
इससे दो बातें साफ हुईं। पहली यह कि पुलिस अवैध रूप से वसूली करती है और उसके पीछे राजनेताओं का हाथ भी रहता है। यह बड़े स्तर का खेल है लेकिन छोटे स्तर पर भी पुलिस अवैध रूप से वसूली करती है। यह वसूली चौकी और थाना स्तर तक होती है। ट्रक वालों से वसूली सबसे ज्यादा चर्चित है लेकिन इसके अलावा कई तरह से पुलिस वाले अपनी मुट्ठी गर्म करते रहते हैं। एक बार मैं राजधानी लख्नऊ के ही गोमती नगर में मिठाई वाले चौराहे पर खोंमचे वाले से मूंगफली ले रहा था। इसी बीच एक कांस्टेबल वहां आया। खोंमचे वाले ने 20 रुपये का नोट उसे पकड़ाया। सिपाही चला गया तो मैंने मूंगफली वाले से पूछा कि लगता है आपके पास टूटे रुपये नहीं थे। उसने कहा, 'अरे साहब! काहे के टूटे पैसे। पुलिस को रोज पैसे देने पड़ते हैं। रुपये नहीं देंगे तो यहां खोंमचा नहीं लगा सकता। उसी ने बताया कि पुलिस का सिपाही तो कभी-कभार ही रुपये लेने आता हे, हममें से ही कोई दुकानदार सबसे वसूलकर पुलिस को पहुंचा देता है।
इस प्रकार अवैध वसूली एक व्यवस्था का रूप धारण कर चुकी है। इसका आभास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी है। मुझे याद है कि अपनी पहली सरकार के दौरान सफाई को लेकर मुख्यमंत्री ने एक ऐसी बात कही थी जो मुख्यमंत्री आवास या लोकभवन में बैठकर कोई नहीं कह सकता। मुख्यमंत्री ने शहर में नालियों की सफाई को लेकर व्यावहारिक बात कही थी। उन्हांेने कहा कि मजदूर नालियां साफ करते हैं और उसका मलवा नाली के किनारे ही पड़ा रहता है। चूंकि नाली साफ कराने का ठेका किसी और के पास होता है और उस मलवे को उठाने की जिम्मेदारी किसी दूसरे के पास होती है। सफाई करने वाले मलबा निकाल देते हैं लेकिन उसे उठाया नहीं जाता। धीरे-धीरे वहीं मलबा नाली या नाले मंे फिर से चला जाता है। इस प्रकार पैसे का भुगतान भी हो जाता है लेकिन नाले और नालियों की समस्या जस की तस रहती है। मुख्यमंत्री ने इसी के साथ दूसरी महत्वपूर्ण बात यह कही थी कि उस नाली या नाले के किनारे लगे मलबे के ढेर को तमाम अधिकारी और जनप्रतिनिधि भी देखते हैं लेकिन मलबा क्यों नहीं उठाया गया, इसके लिए अपने-अपने स्तर से प्रयास कोई नहीं करता। मुख्यमंत्री ने कहा था कि सभी को पता है कि नगर निगम के कंट्रोल रूम में यह शिकायत की जा सकती है।
इस बात की चर्चा हमने यहां इसलिए भी की है क्योंकि यह समस्या आज तक बनी हुई है। सड़क खोदकर डाल दी जाती है लेकिन उसको बनाने पर ध्यान नहीं दिया जाता। ऐसा भी नहीं कि सड़क खोदने की कोई इमर्जेन्सी थी। यह काम मुख्यमंत्री का है भी नहीं। इसको नगर विकास मंत्री को देखना चाहिए लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास गृह विभाग है, इसलिए पुलिस द्वारा की जा रही कथित अवैध वसूली को रोकने के लिए वे कोई रणनीति भी बना चुके होंगे। योगी आदित्यनाथ के काम करने का तरीका अलग है। अपने दूसरे कार्यकाल मंे उन्हांेने लोक निर्माण विभाग और स्वास्थ्य विभाग के तबादलों को लेकर जिस तरह से सख्त कदम उठाए हैं, उसी तरह पुलिस की अवैध वसूली को रोक सकते हैं। शत-प्रतिशत न सही, पचास प्रतिशत भी इस पर रोक लग जाए तो पुलिस का चेहरा निखर आएगा।
वाराणसी मंे पिछले दिनों (4 अगस्त 22) कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक में अवैध वसूली की शिकायतों पर योगी आदित्यनाथ ने सख्त रुख अपनाया। उन्हांेने कहा, अवैध वसूली किसी भी दशा मंे नहीं होनी चाहिए। पुलिस थाना, सीओ और एसडीएम स्तर से इस पर पूरी तरह निगरानी रखी जाए। इस काम में शामिल लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते पांच साल मंे (वर्ष 2017 से 22 तक) पुलिस की छवि सुधरी है, मगर इसमें और सुधार की जरूरत है। योगी ने कहा पुलिस की छवि जनता के हितैषी की बननी चाहिए। मुख्यमंत्री ने अवैध बस और ऑटो स्टैण्ड का संचालन बन्द कराने के लिए भी सख्त कदम की अपेक्षा की है।
यह अपेक्षा सख्त कार्रवाई में योगी आदित्यनाथ तब्दील करेंगे, यह बात भी लोगों को अब सिर्फ कागजी नहीं लग रही है लेकिन अवैध वसूली सिर्फ पुलिस तक ही सीमत नहीं है। राजनेता भी इससे जुड़े हैं। मैंने महाराष्ट्र की घटना का उल्लेख किया है। पश्चिम बंगाल में पूर्व मंत्री पार्थ चटर्ती की महिला मित्र के आवासों से जो बेनामी नोटों की गड्डियां मिली हैं, उनके बारे में भी शिक्षक भर्ती मंे वसूली बतायी जाती है।
बिडम्बना की बात तो यह है कि जिन पर भ्रष्टाचार की जांच करने का दायित्व है, उनको भी रिश्वत लेते, जो एक तरह की अवैध वसूली ही है, पकड़ा गया है। अवैध कमाई नेताओं से लेकर कार्यपालिका तक है। न्याय से जुड़े लोगों ने न्यायपालिका पर भी इस प्रकार के आरोप लगाए हैं। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)