17 में से 12 बार कैराना सीट पर रहा है चबूतरे और चौन्तरे का कब्ज़ा
विधानसभा सीट पर अब तक 17 बार इलेक्शन हुए हैं। जिसमें से 12 बार दो परिवार का ही कब्जा रहा है
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सबसे चर्चित शामली जनपद की कैराना विधानसभा सीट पर अब तक 17 बार इलेक्शन हुए हैं। जिसमें से 12 बार दो परिवार का ही कब्जा रहा है। कैराना विधानसभा सीट पर कभी चबूतरा तो कभी चौतरा का कब्ज़ा रहता चला रहा है। 3 दशक से अधिक से इस सीट पर इन दोनों परिवारों का ही लगातार चला रहा है। चबूतरा और चौतरा के कब्जे पर पढ़िए आज की खोजी न्यूज़ की खबर .....
उत्तर प्रदेश की सबसे हॉट सीट मानी जाने वाली कैराना विधानसभा सीट वैसे तो 1952 में वजूद में आई थी, मगर इस विधानसभा सीट पर सबसे पहले अप्रैल 1957 में चुनाव हुआ। इसमें वीरेंद्र वर्मा ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी। उसके बाद 1962 में चंदन सिंह निर्दलीय, 1967 में शफ्फक़त जंग कांग्रेस, 1969 में चंद्रभान भारतीय क्रांति दल, 1974 में हुकुम सिंह कांग्रेस, 1977 में बशीर अहमद जनता पार्टी से तो फिर 1980 में जनता पार्टी सेकुलर से हुकुम सिंह और 1985 में कांग्रेस से हुकुम सिंह ने ही जीत दर्ज की थी।
इसके बाद जब 1984 में कैराना लोकसभा सीट से सांसद रह चुके चौधरी अख्तर हसन के बेटे मुनव्वर हसन ने 1989 में चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोकी तो उनकी उम्र कम रह गई। जिस पर उन्होंने शामली के राजेश्वर बंसल को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ाया और उनकी जीत हासिल कराने में मुनव्वर हसन ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसके बाद 1991 और 1993 में जनता दल के टिकट पर मुनव्वर हसन लगातार दो बार विधायक बने।
बस यहीं से कैराना विधानसभा सीट पर चौतरा और चबूतरे की सियासत शुरू हो गई। दरअसल चौधरी अख्तर हसन और उनके बेटे मुनव्वर हसन के घर को कैराना विधानसभा की जनता चौतरा कहकर बुलाती है। आज भी अगर कोई समस्या का समाधान इस परिवार से कराने के लिए कोई जाता है, तो उसका एक ही कहना होता है कि चलो चौतरा पर चलते हैं।
यही हाल बाबू हुकुम सिंह के दरबार कलस्यान चौपाल का रहता था। कलस्यान चौपाल की जगह को चबूतरा कहा जाता है। जब भी दिवंगत बाबू हुकुम सिंह के दरबार में हाजिरी की बात होती थी तो कहा जाता था क चबूतरे पर ही इस समस्या का समाधान होगा।
1991 से कैराना विधानसभा सीट पर चबूतरे और चौतरा के बीच ही सियासत सिमट कर रह गई है। कैराना विधानसभा सीट पर 2022 के इलेक्शन तक 17 बार विधानसभा का चुनाव हो चुका है। जिसमें 7 बार हुकुम सिंह कैराना से विधायक बने तो 5 बार चौधरी मुनव्वर हसन की फैमिली ने भी इस विधानसभा सीट पर कब्जा किया है। तीन दशक से भी अधिक समय से कैराना विधानसभा सीट पर इन दोनों परिवार का कब्जा बना हुआ है
1991 और 1993 में जहां मुनव्वर हसन जनता दल के टिकट पर चुनाव जीते थे तो वहीं अब उनके बेटे चौधरी नाहिद हसन लगातार तीसरी बार कैराना विधानसभा सीट पर अपना कब्जा जमाए हुए हैं। हुकुम सिंह के 2014 में लोकसभा चुनाव में जीत के बाद इस विधानसभा सीट पर जब उपचुनाव हुआ तो नाहिद हसन ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर अपनी ताल ठोकी और तब से उनकी जीत का सिलसिला लगातार जारी है। 2017 के चुनाव में भी नाहिद हदन चुनाव जीते तो 2022 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के तमाम घेराव के बाद भी जेल में रहते हुए नाहिद हसन ने चुनाव जीता है। जब नाहिद हसन जेल में थे तब उनकी बहन इकरा हसन कैराना विधानसभा सीट पर जोरदार चुनाव प्रचार कर रही थी। भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं की घेराबंदी के बावजूद इकरा हसन ने अपने भाई नाहिद हसन की जीत में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।