अखिलेश यादव का भाजपा के खिलाफ खुला पत्र, जान के बदले एग्जाम नहीं चलेगा
कोरोना व बाढ़ में जब बस-ट्रेनें बाधित हैं तो छात्र दूर-दूर से कैसे आएंगे ?
लखनऊ । जेईई और नीट (NEET) परीक्षा को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने खुला पत्र लिखा। इसमें उन्होंने मांग की है कि अगर परीक्षा होती है तो परिक्षार्थियों के आने-जाने, खाने-पीने और रहने की व्यवस्था कराई जानी चाहिए। अखिलेश यादव ने सवाल खड़ा किया है कि अगर किसी छात्र को संक्रमण हो गया तो क्या उसकी क़ीमत सरकार चुकाएगी? पत्र में अखिलेश ने नारा भी दिया है कि 'जान के बदले एक्ज़ाम, नहीं चलेगा, नहीं चलेगा।
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— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 27, 2020
अखिलेश यादव ने पत्र में लिखा है कि अगर भाजपा को लगता है कि छात्रों और अभिभावकों को लोकप्रिय मांग पर वो ऐसे हालात में जानलेवा एग्जाम करवा रही है, तो केंद्रों के बाहर वो अपने कैबिनेट मंत्री, सांसद और विधायक तैनात करे। जहां पर कोई भी नियम-कानून व एसओपी नहीं होगा। साथ ही विद्यार्थियों के आने-जाने, खाने-पीने व ठहरने का प्रबंध भी ठीक वैसे ही करें, जैसा वो विधायकों की खरीद और फरोख्त के समय करते हैं।
अखिलेश यादव ने पत्र में आगे लिखा है कि भाजपा की तरफ से ये हास्यास्पद और तर्कहीन बातें फैलाई जा रही है कि जब लोग दूसरे कामों के लिए घर से निकल रहे हैं तो परीक्षा क्यों नहीं दे सकते। भाजपाई सत्ता के मोह में ये भी भूल गए हैं कि लोग मजबूरी में निकल रहे हैं और जो लोग घर पर रहकर बचाव करना भी चाहते हैं आपकी सरकार परीक्षा के नाम पर उन्हें भी बाहर निकलने के लिए बाध्य कर रही है। ऐसे में अगर किसी परीक्षार्थी, उनके संग आए अभिभावक या घर लौटने के बाद उनके संपर्क में आए घर के बुजुर्गों को संक्रमण हो गया तो इसकी कीमत क्या ये सरकार चुकाएगी?
अखिलेश ने पूछा है कि कोरोना व बाढ़ में जब बस-ट्रेनें बाधित हैं तो छात्र दूर-दूर से कैसे आएंगे? न तो हर एक की सामर्थ्य टैक्सी करने की है और न ही हर शहर में इतनी टैक्सियां हैं। भाजपा के एक प्रवक्ता तो ये तर्क दे रहे हैं कि गरीब तो जैसे पहले प्रबंध करता वैसे अब भी करेगा। दुर्भाग्यपूर्ण, अर्थव्यवस्था के ज्ञाता वो प्रवक्ता ये भूल गए हैं कि संक्रमण के इस आपदाकाल में परिवहन, खाने-ठहरने की सेवाएं अति सीमित हैं। मतलब मांग के अनुपात में आपूर्ति नग्ण्य होने पर सब सेवाएं बहुत अधिक दाम में मिलेंगी। ऐसे में गरीब-ग्रामीण ही नहीं बल्कि वो मां-बाप भी पैसा कहां से लाएंगे, जिनका रोजगार कोरोना व बाढ़ ने छीन लिया है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लिखा है कि ऐसा लगता है कि भाजपा ये समझ चुकी है कि बेरोजगारी से जूझ रहा युवा और कोरोना, बाढ़ व अर्थव्यवस्था की बदमइंतजामी से त्रस्त गरीब, निम्न व मध्य वर्ग अब कभी उसको वोट नहीं देगा। इसीलिए वो युवाओं और अभिभावकों के खिलाफ प्रतिशोधात्मक कार्रवाई कर रही है। भाजपा को सिर्फ वोट देने वालों से मतलब है। नकारात्मक व हठधर्मी बदले की राजनीति करने वाली भाजपा व उसके सहयोगी दलों के खिलाफ देश में एक नई युवा क्रांति जन्म ले रही है। हम सब साथ हैं, आइए मिलकर कहें- जान के बदले एग्जाम, नहीं चलेगा-नहीं चलेगा।