सैनी के भाजपा छोड़ने से पड़ेगा सहारनपुर की सभी सात सीटों पर असर
गुधवार को ही भाजपा छोड़ने की अटकलों पर विराम लगाते हुए खुद को भाजपा का अनुशासित सिपाही बताने का वीडियो जारी किया था
सहारनपुर। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले योगी सरकार के वरिष्ठ मंत्री डा धर्म सिंह सैनी के इस्तीफा देने का सीधा असर उनके गृह जनपद सहारनपुर की सभी सात सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।
डा सैनी सहारनपुर जिले की नकुड़ सीट से पिछले चार बार से विधायक हैं। इलाके के दिग्गज नेताओं में शुमार डा सैनी 14वीं, 15वीं, 16वीं, 17वीं विधानसभा के लिये चुने गये और उन्होंने गुरुवार को ही वर्तमान योगी सरकार में आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के पद से इस्तीफा दे दिया।
सैनी ने हालांकि गुधवार को ही भाजपा छोड़ने की अटकलों पर विराम लगाते हुए खुद को भाजपा का अनुशासित सिपाही बताने का वीडियो जारी किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने बिना उनसे पूछे और सहमति लिए इस्तीफा देने वालों में उनका नाम मीडिया में जारी किया है। अपने ही बयान को 24 घंटे के भीतर धता बताते हुए 61 वर्षीय डा सैनी ने गुरुवार को इस्तीफा दे दिया।
इस बीच उनकी समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद सपा में उनका जाना लगभग तय हो गया है। डा सैनी के इस फैसले से सहारनपुर जिले की चुनावी राजनीति पर पड़ने वाले असर की अगर बात की जाये तो इसका सीध असर उनकी अपनी नकुड़ सीट पर भी पड़ता दिख रहा है। अब तक सपा नकुड़ सीट से पार्टी के दिवंगत प्रदेश अध्यक्ष रामशरण दास के बेटे जगपाल दास गुर्जर को चुनाव लड़ाना चाहती थी। डा. सैनी को सपा ने विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) बनाने की पेशकश की। सूत्रों के मुताबिक डा सैनी द्वार इस पेशकश पर राजी नहीं होने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश ने उनके टिकट पर सहमति दे दी है। ऐसे में सपा नेतृत्व को इस सीट पर गुर्जर गुट को संतुष्ट करना पड़ेगा। साथ ही भाजपा, बसपा और कांग्रेस भी सपा की घेराबंदी कर मुकाबले को दिलचस्प बनाने की कोशिश करेंगे।
डा. सैनी मायावती की बसपा सरकार में 2007 में बेसिक शिक्षा मंत्री रहे हैं। लेकिन योगी सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री के बजाय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का ही दर्जा दिया गया था। पांच साल तक डा सैनी इस मलाल के साथ काम करते रहे।
भाजपा से उनकी नाराजगी की दूसरी वजह गृह जनपद में पांच साल तक स्थानीय प्रशासन में कोई सुनवाई नहीं होना भी रही। वह भाजपा से इस्तीफा देने वाले मंत्रियों और विधायकों के धड़े की अगुवाई कर रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले बसपा से भाजपा में शामिल हुए थे। उन्होंने पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी इमरान मसूद को कांटे के मुकाबले में चार हजार वोटों से हराया था।
इस बार इमरान मसूद की भी सपा के टिकट पर जिले की बेहट सीट से चुनाव लड़ने की संभावना है। वहीं भाजपा खेमा पूर्व सांसद और पूर्व विधायक राघव लखनपाल शर्मा का नाम नकुड़ सीट से प्रस्तावित कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि पिछले 24 घंटे के भीतर डा. सैनी सहारनपुर जिले के ऐसे तीसरे विधायक हैं जिन्होंने दल-बदल किया है। बुधवार को जिले की बेहट सीट से कांग्रेस के विधायक नरेश सेनी ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। जबकि सहारनपुर देहात के विधायक मसूद अख्तर कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल हो गये। इस दलबदल ने जिले की सियासत में उलटफेर कर दिया है।
स्पष्ट है कि सहारनपुर जिले के सात विधायकों में से तीन ने पार्टी बदल ली है। इमरान मसूद के भाई नोमान मसूद ने रालोद छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया। नोमान को बसपा ने गुरुवार को जिले की गंगोह सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया।
वार्ता