रामपुर शहर सीट हमेशा मुसलमानो के कब्जे में- क्या इस बार टूटेगा रिकार्ड
उत्तर प्रदेश की एक ऐसी विधानसभा सीट जिस पर 1952 से 2022 तक सिर्फ मुसलमान कैंडिडेट जीतकर ही विधायक बना है
रामपुर। उत्तर प्रदेश की एक ऐसी विधानसभा सीट जिस पर 1952 से 2022 तक सिर्फ मुसलमान कैंडिडेट जीतकर ही विधायक बना है। रामपुर शहर विधानसभा सीट पर विधानसभा चुनाव में 11 बार अकेले आजम खान परिवार का कब्जा रहा है। रामपुर उत्तर प्रदेश की अकेली विधानसभा है जहां से आज तक मुसलमान के अलावा किसी भी समुदाय का विधायक नही बना है। आजम खान को अदालत से सजा के बाद रिक्त हुई इस विधानसभा सीट पर उप चुनाव में क्या भाजपा यह रिकॉर्ड तोड़ पाएगी या अभी आजम खान का दबदबा रामपुर सीट पर बना रहेगा।
दरअसल हेट स्पीच के मामले में आजम खान के को रामपुर की स्थानीय अदालत द्वारा 3 साल की सजा के बाद इलेक्शन कमीशन ने रामपुर शहर विधानसभा सीट को रिक्त घोषित करते हुए उपचुनाव की डेट फिक्स कर दी। इस चुनाव में अदालत के आदेश के बाद आजम खान चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। कौन इस विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ेगा यह तो एक-दो दिन में क्लियर होगा लेकिन रामपुर शहर विधानसभा सीट पर आजादी के बाद से आज तक सिर्फ मुसलमान प्रत्याशी ही जीतकर विधानसभा में पहुंचते रहे हैं। इनमें से 10 बार तो अकेले आजम खान ही रामपुर सीट से विधायक बने। 2019 में जब आजम खान लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद बने तब हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी तंजीन फातमा ने जीत हासिल कर ली थी। रामपुर में लोकसभा सीट के जीतने के बाद क्या भाजपा रामपुर विधानसभा सीट जीतकर उस रिकॉर्ड को तोड़ पाएगी। जिसमें आज तक रामपुर सीट पर सिर्फ मुसलमान ही जीते हैं। हालांकि अगर 2012 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो बीएसपी के टिकट पर भारत भूषण चुनाव जरूर लड़ेंगे मगर 16000 वोट ही पाए थे जबकि समाजवादी पार्टी के टिकट पर आजम खान ने कांग्रेस के प्रत्याशी तनवीर अहमद खान को 63000 वोटों से हरा दिया था।
रामपुर सीट पर अधिकतर चुनाव मुसलमान बनाम मुसलमान होता रहा। 2017 में जरूर भाजपा के टिकट पर शिव बहादुर सक्सेना ने चुनाव लड़कर आजम खान को टक्कर देने की कोशिश की लेकिन आजम खान के लगभग 1 लाख वोटों के मुकाबले शिव बहादुर सक्सेना 55000 वोट ही पा सके थे। 2019 के उपचुनाव में जब आजम खान की पत्नी तंजीम फातिमा चुनाव लड़ रही थी तब भाजपा के टिकट पर भारत भूषण ने चुनाव को जरूर रोचक बना दिया था। पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने आजम परिवार को तगड़ी चुनौती दी थी। इस चुनाव में तंजीम फातिमा लगभग 7700 वोटों से ही चुनाव जीत पाई थी। 2022 में आजम खान ने फिर रामपुर विधानसभा सीट पर ताल ठोकी तो भाजपा ने आकाश सक्सेना को उम्मीदवार बनाया। ऐसा पहली बार हुआ जब रामपुर सीट पर भाजपा दूसरे नंबर पर आई लेकिन इस बार भी आजम खान की जीत में लगभग 55000 वोटों का फर्क था।
हमेशा रामपुर में मुसलमान ही बनते रहे विधायक
1952 में वजूद में आई रामपुर शहर विधानसभा सीट पर सबसे पहले फजल उल हक कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते। अगली बार रामपुर शहर विधानसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर असलम खान ने चुनाव जीता। 1962 में हुए तीसरी विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर किश्वर आरा बेगम ने जीत दर्ज की। 1967 के विधानसभा चुनाव में स्वतंत्र पार्टी से एए खान विधायक बने थे। 1969 के विधानसभा चुनाव में सैयद मुर्तजा अली खान ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी। 1974 और 1977 के विधानसभा चुनाव में मंजूर अली खान ने लगातार दो बार रामपुर सीट पर चुनाव जीता था। उसके बाद 1980 में आजम खान ने जनता पार्टी के टिकट पर पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा तो उन्होंने फिर पलटकर नहीं देखा। 1985 में लोकदल, 1989 में जनता दल, 1991 में जनता पार्टी तथा 1993 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर आजम खान लगातार पांच बार विधायक चुनते चले गए।
इसके बाद 1996 में अफरोज अली खान ने कांग्रेस के टिकट पर आजम खान को चुनाव हरा दिया था। इस हार के बाद आजम खान ने रामपुर सीट पर कभी पलट कर नहीं देखा। 2002, 2007, 2012, 2017 के विधानसभा चुनाव में आजम खान लगातार जीत रहे। 2019 के लोकसभा चुनाव में आजम खान ने किस्मत आजमाई तो रामपुर लोकसभा सीट पर उन्हें जीत की मिली। आज़म के विधानसभा से इस्तीफे के बाद अक्टूबर 2019 में हुए विधानसभा उप चुनाव में उनकी पत्नी तंजीम फातिमा चुनाव लड़ी और जीत गई। 2022 में आजम खान ने फिर से रामपुर विधानसभा सीट पर ताल ठोकी और आकाश सक्सेना को हराते हुए विधायक बन गए लेकिन स्थानीय एमपी एमएलए कोर्ट ने एक हेट स्पीच के मामले में 27 अक्टूबर को उनको 3 साल की सजा सुनाई तो आजम खान की विधायकी चली गई।
अब आजम खान को चुनाव लड़ने के लिए कुछ साल के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। अब रामपुर शहर विधानसभा सीट के उपचुनाव के रण में समाजवादी पार्टी की तरफ से आजम खान परिवार लड़ेगा या किसी और पर दांव लगाया जाएगा, यह तो आने वाला समय बताएगा। लेकिन इस बार भाजपा के सामने रामपुर शहर विधानसभा सीट पर उस मिथक को तोड़ने की चुनौती होगी कि रामपुर शहर विधानसभा सीट पर मुसलमान ही चुनाव जीत आया है। इस बार भाजपा रिकॉर्ड बनाएगी या पुराना रिकॉर्ड कायम रहेगा, यह तो दिसंबर में जब चुनावी नतीजे आएंगे, तभी तय हो पाएगा।