भाकियू के राजू अहलावत ने धारण किया भगवा चोला-थामा भाजपा का दामन

किसान यूनियन के मंडल अध्यक्ष राजू अहलावत अब किसान संगठन की हरी और सफेद टोपी का परित्याग करते हुए भगवाधारी हो गए हैं।

Update: 2021-10-10 10:01 GMT

मुजफ्फरनगर। भारतीय किसान यूनियन के मंडल अध्यक्ष राजू अहलावत अब किसान संगठन की हरी और सफेद टोपी का परित्याग करते हुए भगवाधारी हो गए हैं। राजधानी लखनऊ में आयोजित किए गए कार्यक्रम में प्रदेशाध्यक्ष ने राजू अहलावत को भाजपा का कमलधारी पटका पहनाते हुए जनपद मुजफ्फरनगर और उसके आसपास में भाकियू को आज करारा झटका दे दिया।

रविवार को भारतीय जनता पार्टी के लखनऊ स्थित राज्य मुख्यालय पर आयोजित किए गए कार्यक्रम में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने भारतीय किसान यूनियन के मंडल अध्यक्ष राजू अहलावत समेत तकरीबन डेढ़ दर्जन लोगों को पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई है। केंद्र सरकार के फैसलों के खिलाफ किए गए किसान आंदोलनों में सक्रिय रहे और हाल ही में 5 सितंबर की किसान महापंचायत के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राजू अहलावत के राकेश टिकैत का साथ छोड़कर भाजपा में शामिल होने को एक बड़ी घटना माना जा रहा है। जनपद के खतौली थाना क्षेत्र के गांव भैंसी में रहने वाले राजू अहलावत मौजूदा समय में भारतीय किसान यूनियन के सहारनपुर मंडल अध्यक्ष और संगठन के उत्तराखंड प्रभारी भी थे। लखनऊ में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा द्वारा आयोजित कराए गए कार्यक्रम के दौरान प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह द्वारा राजू अहलावत को भाजपा की सदस्यता ग्रहण कराई गई है। राजनीतिक क्षेत्रों में अब इस बात के कयास लगाए जाने लगे हैं कि भाकियू की हरी और सफेद टोपी का परित्याग कर भगवा चोला धारण कर भाजपा में शामिल हुए राजू अहलावत को पार्टी खतौली विधानसभा सीट से इस बार का विधानसभा चुनाव लड़ा सकती है? यदि राजू अहलावत की बात करें तो भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक व किसानों के मसीहा बाबा महेंद्र सिंह टिकैत से प्रभावित होकर वह आरंभ से ही भाकियू से जुड़ गए थे।

जनपद मुजफ्फरनगर की तहसील व थाना खतौली के गांव भैंसी निवासी राजू अहलावत किसानों के हित की बात हो या सामाजिक सरोकारों की, वह हमेशा अपनी जीवटता के सहारे नंबर वन ही साबित होते रहे हैं। किसानों या पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए राजू अहलावत ने कभी भी यह नहीं देखा कि सामने वाला कितना ताकतवर है। उन्होंने बस न्याय दिलाने की ठान ली तो बस फिर उतर पड़े मैदान में और हमेशा हर मौके पर किसान संगठन की ताकत का लोहा मनवा कर ही दम लिया है। वर्ष 2012 में भाकियू जिलाध्यक्ष बनने से पहले राजू अहलावत ने भाकियू के युवा तुर्क के रूप में किसानों को सरकार द्वारा अधिग्रहित की गई उनकी जमीन का वाजिब मुआवजा दिलाने के लिए 22 मर्तबा हाईवे जाम किया था। जिसका नतीजा यह रहा कि सरकार जिस जमीन का मुआवजा किसानों को केवल 60 रूपये दे रही थी उसी जमीन का मुआवजा उसे 4500 रूपये तक देना पड़ा था। इसके बाद वर्ष 2012 में भाकियू जिलाध्यक्ष बनने के बाद राजू अहलावत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह अभी तक किसानों और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए 200 से भी अधिक धरना प्रदर्शन कर चुके है।

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