प्रशांत किशोर बने अबूझ पहेली
चुनाव को लेकर सफल रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर अब किसके साथ हैं और क्या कर रहे हैं, इसे ठीक-ठीक कोई नहीं बता सकता
नई दिल्ली। चुनाव को लेकर सफल रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर (पीके) अब किसके साथ हैं और क्या कर रहे हैं, इसे ठीक-ठीक कोई नहीं बता सकता। जद(यू) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके पीके के साथ नीतीश कुमार का गुप्त अंदरूनी समझौता हैं, यह बात भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद कहते हैं। भाजपा के प्रवक्ता ने उन्हें राजनीतिक बिचौलिया भी कहा है जबकि नीतीश कुमार की पार्टी जद(यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने पीके पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जद(यू) का कहना है कि प्रशांत किशोर भाजपा की तरफ से काम कर रहे हैं। जद(यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने तो इस बात की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है कि प्रशांत किशोर के बहुप्रचारित जनसुराज अभियान को पैसा कहां से मिल रहा है? प्रशांत किशोर ने भाजपा, जद(यू), तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और अन्य दलों के लिए भी कार्य किया है। पिछली बार पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी और लग रहा था कि वह ममता बनर्जी से सत्ता छीन लेगी। उस समय प्रशांत किशोर ममता बनर्जी के चुनावी रणनीतिकार थे और कहा था कि भाजपा दहाई के अंक में ही सिमट कर रह जाएगी। पीके की भविष्यवाणी सटीक निकली थी। इसी के बाद प्रशांत किशोर ने यह भी घोषणा कर दी थी कि अब वह किसी भी पार्टी के लिए कार्य नहीं करेंगे लेकिन देश की जनता की सेवा करेंगें। बीच-बीच में उनके कांग्रेस मेंशामिल होने की खबरें भी आयीं लेकिन सदस्यता की पुष्टि नहीं हुई। अब वह जन सुराज अभियान पर निकले हैं लेकिन बीच में भाजपा के समर्थन मंे बयान भी दिया था। पीके ने कहा था विपक्षी दल अभी मोदी को नहीं हटा पाएंगे। इसी के साथ 13 सितंबर को प्रशांत किशोर की नीतीश कुमार के साथ भी खुशनुमा वातावरण में मुलाकात हुई थी। सवाल उठता है कि प्रशांत किशोर क्या कर रहे हैं?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने अपने पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर पर भाजपा की ओर से काम करने का आरोप लगाते हुए सवाल उठाया कि उनके बहुप्रचारित जन सुराज अभियान के लिए धन का स्रोत क्या है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने किशोर की राज्यव्यापी पदयात्रा की निंदा करते हुए कहा, बिहार के लोग जानते हैं कि नीतीश कुमार के शासन में कितनी प्रगति हुई है, हमें प्रशांत किशोर से प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है। हालांकि किसी भी अन्य नागरिक की तरह वह मार्च या प्रदर्शन करने के लिए स्वतंत्र हैं। उन्होंने यह भी कहा कि किशोर अपने अभियान को चाहे कोई भी नाम दें लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि वह भाजपा की ओर से काम कर रहे हैं। ललन ने कहा कि अच्छी तरह से स्थापित राजनीतिक दलों को कितनी बार पूरे पृष्ठ का विज्ञापन देते हुए देखा गया है। उन्होंने प्रशांत किशोर ने अपनी पद यात्रा के लिए ऐसा किया। उन्होंने सवाल किया कि आयकर विभाग, सीबीआई या ईडी क्यों नहीं संज्ञान ले रहे हैं। जदयू की यह टिप्पणी भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद द्वारा एक बयान जारी करने के एक दिन बाद आई है जिसमें किशोर को राजनीतिक बिचौलिया कहा गया था, जिनका नीतीश कुमार के साथ गुप्त अंदरूनी समझौता है।
पश्चिम चंपारण जिले से अपनी राज्यव्यापी पदयात्रा शुरू करने वाले प्रशांत किशोर ने बिहार पर शासन करने वाले सभी राजनीतिक दलों पर हमला करते हुए कहा कि राज्य 1990 से नहीं बदला है। उन्होंने कहा कि यहां के लोग रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन करने के लिए बाध्य हैं। प्रशांत किशोर के इस आरोप पर राजद नेता मनोज कुमार झा ने कहा, बिहार को समझने के लिए आपको पहले इसका विश्लेषण करना होगा। मनोज झा ने कहा, जब झारखंड अलग हुआ, उसके बाद बिहार को क्या मिला? झारखंड के कारण हमारे उद्योग की नींव मजबूत थी। झारखंड के अलग होने के बाद सरकार ने बिहार को विशेष दर्जा क्यों नहीं दिया? एक विशेष पैकेज क्यों नहीं दिया गया? और क्यों घोषणा के बाद भी प्रधानमंत्री चुप हैं? मैं चेतावनी दे रहा हूं, बिहार एक ज्वालामुखी पर बैठा है।
फिलहाल चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अपनी 3500 किलोमीटर की जन सुराज पदयात्रा का आगाज किया। प्रशांत किशोर ने अपने जन सुराज अभियान के तहत महात्मा गांधी की जयंती पर पश्चिम चंपारण जिले से बिहार में 3500 किलोमीटर की पदयात्रा शुरू की। प्रशांत किशोर ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ जन सुराज यात्रा की शुरुआत की। प्रशांत किशोर की यह यात्रा 12 से 18 महीनों तक चलेगी। इसके बाद उनके व्यापक रूप से राजनीति के क्षेत्र में नए सिरे से कदम रखने की संभावना व्यक्त की जा रही है। हालांकि प्रशांत किशोर ने अक्सर इस बात पर जोर दिया है कि ऐसा कोई भी निर्णय केवल वे लोग ही ले सकते हैं जो खुद को उनके साथ अभियान में जोड़ते हैं।
राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर साल 2018 में जनता दल यूनाईटेड में शामिल हुए थे लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सार्वजनिक आलोचना करने पर 2020 में उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। खासकर जब नीतीश कुमार ने संशोधित नागरिकता कानून का समर्थन किया था तब प्रशांत किशोर ने उनकी आलोचना की थी। एक बयान में कहा गया है कि प्रशांत किशोर यात्रा के दौरान हर पंचायत और प्रखंड तक पहुंचने का प्रयास करेंगे और बिना कोई अवकाश लिए इसके अंत तक इसका हिस्सा बने रहेंगे।
प्रशांत किशोर ने अपनी यात्रा की शुरुआत पश्चिम चंपारण के भितिहारवा में गांधी आश्रम से की। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1917 में अपना पहला सत्याग्रह आंदोलन यहीं से शुरू किया था। बयान में कहा गया है कि यात्रा के तीन मुख्य लक्ष्य हैं जिसमें जमीनी स्तर पर सही लोगों की पहचान करना और उन्हें एक लोकतांत्रिक मंच पर लाना शामिल है। यह यात्रा शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और उद्योग सहित विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के विचारों को शामिल करके राज्य के लिए एक विजन दस्तावेज बनाने का भी काम करेगी। बिहार में सियासी सरगर्मी के बीच प्रशांत किशोर 13 सितम्बर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मिले थे। इस बात की पुष्टि खुद सीएम ने की है। वहीं, नीतीश कुमार ने ये भी बताया है कि पवन वर्मा भी मिलने आए थे। बता दें कि पवन वर्मा ने जेडीयू छोड़ टीएमसी ज्वाइन कर ली थी। अब दोबारा टीएमसी का साथ छोड़ने के बाद पूर्व राज्यसभा सांसद के जेडीयू में लौटने को लेकर अटकलें तेज हैं। बिहार से ही प्रशांत किशोर एक नये सियासी समीकरण के साथ यात्रा पर निकले हैं। (हिफी)