कपट की खटाई से नीतीश के दांत खट्टे

जल पय सरिस बिकाय, देखहु प्रीति कै रीति यह। विलग होय फटिजाय कपट खटाई परति ही यह सच्चाई तुलसीदास ने रामचरित मानस में बतायी

Update: 2020-12-29 03:06 GMT

पटना। जल पय सरिस बिकाय, देखहु प्रीति कै रीति यह। विलग होय फटिजाय कपट खटाई परति ही। यह सच्चाई गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में बतायी है। भाजपा नीत गठबंधन एनडीए में आज कल इसी की बानगी देखी जा रही है। बिहार में सरकार चला रहे नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के साथ भाजपा का गठबंधन है लेकिन भाजपा ने अरूणाचल प्रदेश में जेडीयू के साथ कपट का व्यवहार किया है। जद(यू) के 6 विधायक भाजपा में शामिल हो गये। जद(यू) इसे पीठ में छुरा घोंपने की बात कह रही है। इसबीच जद(यू) में एक बड़ा परिवर्तन यह हुआ है कि नीतीश कुमार ने राज्य सभा सदस्य राम चंद्र प्रसाद सिंह यानी आर सीपी सिंह को जेडीयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया। नीतीश कुमार भाजपा से इतने रूखे ढंग से बात नहीं करपाते थे लेकिन आरसीपी सिंह तलवार लेकर भाजपा के सामने खड़े हो गये हैं। ऐसा लगता है नया साल शुरू होने से पहले बिहार की सियासत में कोई तूफान आने वाला है। कपट की खटाई ने एकता के दूध को फाड़ दिया है।

बिहार में आरसीपी सिंह को जनता दल (यूनाइटेड) यानी जेडीयू की कमान सौंपे जाने पर पार्टी के कार्यकर्ता जश्न मना रहे थे। नए अध्यक्ष के लिए नारे लगा रहे थे। नीतीश कुमार जिंदाबाद भी कह रहे थे. लेकिन कार्यकर्ताओं में जोश वाले इस माहौल के बीच जेडीयू के नेताओं की वो बेचैनी और नाराजगी छुपी नहीं, जो सहयोगी बीजेपी को लेकर हो रही है।

जेडीयू अध्यक्ष बनते ही आरसीपी सिंह ने इशारों-इशारों में बिना नाम लिए बीजेपी को आड़े हाथों लिया। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उन्होंने कहा कि हम किसी को मौका नहीं देते कि कोई हमारी पीठ में छुरा मार सके। दरअसल, जेडीयू अध्यक्ष अरुणाचल प्रदेश में पार्टी के 6 विधायकों के बीजेपी में शामिल होने को लेकर अपनी राय रख रहे थे। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अरुणाचल में जो हुआ वो सही नहीं है।


नीतीश कुमार ने जेडीयू की कमान अपने करीबी और विश्वासपात्र आरसीपी सिंह को सौंप दी है। आरसीपी सिंह जेडीयू के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए हैं. लेकिन बिहार की राजनीति में इस बदलाव के बीच एनडीए के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं. क्योंकि अरुणाचल प्रदेश में जिस तरह से जेडीयू में तोड़-फोड़ हुई, उसके साइड इफेक्ट्स बिहार की राजनीति में दिखने लगे हैं। जेडीयू इससे नाराज भी है और बहुत बेचैन भी. बिहार में गृह मंत्रालय पर भी विवाद चल रहा है. एलजेपी को लेकर भी उहापोह की स्थिति है। अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू के गिने चुने विधायक टूट गए। सात में से छह विधायक बीजेपी में शामिल हो गए और जेडीयू के पास एक विधायक ही रह गया। इससे बिहार में जेडीयू का टेंशन में आना स्वाभाविक है. इसलिए जेडीयू भी अब बीजेपी पर दबाव बनाने में जुट गई है और बीजेपी के लव जेहाद जैसे फेवरेट विषय पर अलग लाइन ले ली।

जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने बीजेपी के प्रिय विषय लव जिहाद के मसले पर कहा कि देश में घृणा का माहौल पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं बैठक के दौरान पार्टी के नए अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने इशारों-इशारों में बीजेपी को टारगेट किया। उनका निशाना अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए विधायकों को लेकर था. पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि कि हम साजिश नहीं रचते, किसी को धोखा नहीं देते, सहयोगी के प्रति ईमानदार रहते हैं।

बीजेपी को लेकर जेडीयू की बेचैनी तो उसी दिन से दिख रही है जब से बिहार में विधानसभा चुनाव के नतीजे आए और जेडीयू बीजेपी की जूनियर पार्टी बनकर रह गई। बीजेपी का एक खेमा बिहार में नीतीश की जगह, बीजेपी से ही सीएम बनाना चाहता था। जेडीयू कार्यकारिणी में नीतीश कुमार ने इस पर भी जवाब दे दिया कि मुख्यमंत्री बनने की उनकी इच्छा नहीं थी. ऐसे बयानों से सीधे संकेत यही हैं कि जेडीयू बीजेपी को लेकर अब कंफर्टेबल नहीं है। ये बात अलग है कि बीजेपी इस वक्त इन बातों को ज्यादा तवज्जो देना नहीं चाहती और वो नीतीश कुमार का ही गुणगान कर रही है। लेकिन सवाल ये है कि अगर जेडीयू की बेचैनी बढ़ती रही, तो क्या गठबंधन में टकराव का कोई रास्ता आगे बन जाएगा क्योंकि जेडीयू कैंप में नाराजगी तो साफ दिख रही है।


जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के तुरंत बाद रामचंद्र प्रसाद सिंह यानी कि आरसीपी सिंह ने इशारों-इशारों में सहयोगी दल बीजेपी को चेतावनी दी है। आरसीपी सिंह ने कहा है कि हम कोई साजिश नहीं रचते हैं। हम हमेशा अपने सहयोगियों के प्रति ईमानदार रहते हैं मगर अरुणाचल में जो हुआ वह सही नहीं है। आरसीपी के इस बयान को अरुणाचल प्रदेश के घटनाक्रम से जोड़कर देखा जा रहा है. जहां जेडीयू के 6 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए हैं।

आरसीपी सिंह ने अध्यक्ष पद संभालते ही चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि हमारी पार्टी किसी की पीठ में छुरा नहीं मारती है। साथ ही हम किसी को मौका भी नहीं देते हैं कि कोई हमारे पीठ में छुरा मार सके। जेडीयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में साफ कर दिया कि उन्हें अपने नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ एक भी शब्द बर्दाश्त नहीं होगा. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से ठीक पहले अरुणाचल में मिले झटके ने जेडीयू को बैकफुट पर ला दिया है। नए अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने बीजेपी को ईमानदारी की सीख दी और कहा, हम जिसके साथ भी रहते हैं, पूरी ईमानदारी के साथ रहते हैं। हम कोई साजिश नहीं रचते हैं। हम हमेशा अपने सहयोगियों के प्रति ईमानदार रहते हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अपने संबोधन के दौरान आरसीपी ने बीजेपी को 2010 के विधानसभा चुनाव की याद दिलाई और कहा कि जनता दल यूनाइटेड किसी की पीठ में छुरा नहीं मारती है और किसी को मौका भी नहीं देती है कि कोई उसकी पीठ में छुरा मारे।

गौरतलब है कि साल 2010 विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू गठबंधन में थे और एक साथ चुनाव लड़े थे। हाल के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के मुकाबले जेडीयू के स्ट्राइक रेट कम होने का जिक्र करते हुए आरसीपी सिंह ने कहा कि "आज जो भी लोग स्ट्राइक रेट की बात कर रहे हैं और चेहरे की बात कर रहे हैं उन्हें 2010 का विधानसभा चुनाव याद करना चाहिए. चुनाव के परिणाम आने से पहले ही बीजेपी बड़ी-बड़ी बातें कर रही थी मगर जब नतीजा आया तो जनता दल यूनाइटेड का स्ट्राइक रेट 90 फीसदी था। बीजेपी को इतिहास की याद दिलाते हुए आरसीपी सिंह ने कहा कि 2010 में चुनावी नतीजे आने के बाद बीजेपी नेता अरुण जेटली और सुशील मोदी नीतीश कुमार से मिलने आए थे और इस बात पर चर्चा हुई थी कि किस दल का क्या स्ट्राइक रेट रहा है और किसे कितनी सीटें मिली है और उसी के आधार पर मंत्री पद का बंटवारा होना चाहिए। आरसीपी ने कहा कि लेकिन तब नीतीश कुमार ने स्पष्ट कर दिया था कि विधानसभा चुनाव से पहले दोनों दलों के बीच में जो तय हुआ था उसी के आधार पर मंत्री पद का बंटवारा होगा।

बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जहां 110 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे, वहीं जेडीयू 115 सीटों पर चुनाव लड़ी. बीजेपी ने इन चुनावों में 74 सीटों पर जीत हासिल की वहीं जेडीयू 43 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी।

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