मुख्यमंत्री के लिए चुनौती लेकर आया नया साल
25 सीटों पर भाजपा के विधायक जीते हैं। तीन निर्दलीय भी जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं
नई दिल्ली। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नये साल में जरूरतमंद बच्चों विशेषकर अनाथ बच्चों, निराश्रित महिलाओं और वृद्ध जनों के कल्याण के लिए बडी घोषणा की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने के पहले दिन ही उन्होंने शिमला में बालिका देखभाल संस्था, टूटीकंडी का दौरा कर इस संस्थान से संबंधित विभाग की कार्य प्रणाली को जाना। साथ ही नारी सेवा सदन और वृद्ध आश्रम मशोबरा का भी निरीक्षण किया। उन्होंने महसूस किया कि बेसहारा बच्चों, निराश्रित महिलाओं एवं वृद्धजनों के लिए अभी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। जिन बच्चों के मां-बाप नहीं, उनके लिए सरकार ही माता-पिता हैं। संस्थागत देखभाल के लिए बाल देखभाल संस्थाओं, नारी सेवा सदन, शक्ति सदन और वृद्ध आश्रमों में रह रहे आवासियों को मुख्य त्योहार मनाने के लिए 500 रुपये का उत्सव अनुदान प्रदान करने की अधिसूचना पहले ही जारी की जा चुकी है। इसके बावजूद सुक्खू की सरकार के सामने गंभीर चुनौती है। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के गठन को पूरे 22 दिन हो गए है। सीएम सुखविंदर सिंह और डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने 12 दिसंबर 2022 को कार्यभार संभाला था लेकिन अब तक कैबिनेट का गठन नहीं हुआ है। वहीं, मंडी जिले के बल्ह विधानसभा से भाजपा के विधायक इंद्र सिंह गांधी ने तो सूबे में जयराम ठाकुर के दोबारा सीएम बनने का दावा कर दिया है। कांग्रेस नेताओं ने उनके बयान पर पलटवार किया है। इससे पहले, भाजपा सरकार में मंत्री रहे विक्रम सिंह ने भी 'ऑपरेशन लोटस' को लेकर एक पोस्ट डाली थी, लेकिन बाद में अपनी पोस्ट एडिट कर दी थी। दरअसल, भाजपा के विधायक इंद्र सिंह गांधी ने एक निजी चौनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि ऑपरेशन लोटस शुरू हो चुका है और कांग्रेस को भी इस बात की जानकारी है। उन्होंने कहा कि जितनी मुझे जानकारी है, उतनी में दे रहा हूं। साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 18 विधायक गायब हैं। दिल्ली में बैठे नेताओं को इस बारे में ज्यादा जानकारी है। जब उनसे पूछा गया कि भाजपा कांग्रेस के विधायकों को ले गई है तो उन्होंने कहा, 'हो सकता है। हाल ही में भाजपा सरकार में मंत्री रहे विक्रम सिंह ने भी एक पोस्ट फेसबुक पर शेयर की थी। पोस्ट में उन्होंने लिखा था, 'हमारे दवाब में नहीं अपने भार से गिरेगी कांग्रेस सरकार। ऑपरेशन लोट्स। हालांकि, बाद में उन्होंने अपनी पोस्ट को एडिट कर ऑपरेशन लोटस हटा दिया था। इस प्रकार नया साल 2023 हिमाचल प्रदेश के मुख्य मंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए गंभीर चुनौती लेकर आया है। यह तो सभी जानते हैं कि विधानसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद चार लोग सीएम बनने की लाइन में थे। कांग्रेस हाईकमान ने सुक्खू के नाम पर मोहर लगा दी थी। इसलिए पार्टी में असंतोष तो उसी समय से था। भाजपा अगर इसका राजनीतिक लाभ उठा रही है तो कोई आश्चर्य की बात नहीं। हिमाचल में 68 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 40 पर कांग्रेस को जीत मिली है, जबकि 25 सीटों पर भाजपा के विधायक जीते हैं। तीन निर्दलीय भी जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। हिमाचल में सरकार बनाने के लिए 35 विधायकों की जरूरत रहती है।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में बेशक कांग्रेस को बहुमत मिला और पार्टी ने सरकार बनाई, लेकिन मंडी जिले में कांग्रेस की करारी हार हुई। यहां पर जिले की दस विधानसभा सीटों में से कांग्रेस केवल एक सीट धर्मपुर पर ही जीत पाई। हार पर मंथन को लेकर मंडी के नाचन विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस पदाधिकारियों की मीटिंग बुलाई गई थी लेकिन मंथन के बीच ही कांग्रेसियों के बीच ढिशूम-ढिशूम शुरू हो गई। जानकारी के अनुसार, नाचन विधानसभा क्षेत्र के गोहर में यह बैठक थी। इसमें कांग्रेसी वर्करों में मारपीट भी हुई। घटना के वीडियो भी सामने आए हैं। बैठक में मौजूदा और पूर्व प्रत्याशी सहित पूर्व में रहे टिकट के कई दावेदार मौजूद
रहे। इस दौरान नाचन से पहली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके नरेश चौहान के एक समर्थक ने इशारों ही इशारों में पूर्व में प्रत्याशी रहे लाल सिंह कौशल को कई बातें सुना डाली। यहां तक कि पैसे खाकर पार्टी के लिए काम तक न करने की बात भी कह डाली। इस पर पूर्व प्रत्याशी लाल सिंह कौशल तैश में आ गए और उसके बाद दोनों गुटों के बीच ढिशूम-ढिशूम शुरू हो गई। यह भी जानकारी मिली है कि मौजूदा प्रत्याशी नरेश चौहान को हार के बाद सरकार में बड़ी जिम्मेदारी देने का प्रस्ताव भी इस बैठक में पास किया गया था, जिसको लेकर भी दूसरे धड़ों में नाराजगी थी।
हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी मंडी पहुंचने पर भाजपा के ऑपरेशन लोटस की तरफ इशारा किया था। जयराम ठाकुर का कहना है कि हो सकता है कि भाजपा को सत्ता के लिए पांच वर्षों का इंतजार न करना पड़े और उससे पहले ही सत्ता मिल जाए। यह बात उन्होंने सर्किट हाउस मंडी के मुख्यमंत्री संवाद कक्ष में भाजपा कार्यकर्ताओं की तरफ से आयोजित अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए कही थी। विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद जयराम ठाकुर पहली बार अपने गृहजिला मंडी पहुंचे थे वहां पहुंचने पर कार्यकर्ताओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। संबोधन में जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में इस वक्त अस्थिर सरकार चल रही है। ज्योतिषी भी इस बात को कह चुके हैं कि सरकार ने गलत मुहूर्त में शपथ ली है और अस्थिरता का माहौल बना रहेगा। उन्होंने कहा कि अभी तक न तो विधायक शपथ ले पाए हैं और न ही मंत्रीमंडल का गठन हो पाया है। भाजपा मौजूदा सरकार के मंत्रीमंडल के गठन का इंतजार कर रही है. उन्होंने कहा कि जोरदार तरीके से विपक्ष की भूमिका निभाई जाएगी, लेकिन हो सकता है कि सत्ता के लिए पांच वर्षों का इंतजार न करना पड़े. जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार बदले की भावना से काम कर रही। डिप्टी सीएम खुद को सीएम से कम नहीं मानते और दोनों ही संस्थानों को बंद करने का काम कर रहे हैं। कहीं ऐसा न हो कि संस्थान बंद करते करते एक दिन सरकार ही बंद हो जाए। जयराम ने कहा जो संस्थान डिनोटिफाई किए गए हैं, यदि सरकार सच में उन्हें बंद करना ही चाहती है तो फिर उस क्षेत्र से अपने विधायक से इस बारे में लिखकर ले। यदि विधायक लिखकर देता है तो ही संस्थान बंद किए जाएं। बहुत से कांग्रेसी विधायक संस्थानों को बंद करने के फैसलों से नाखुश हैं। जयराम ठाकुर ने कहा कि मंडी हमारी थी, है और रहेगी। इस बात को जिला के लोगों से सच साबित करके दिखाया है। यहां के लोगों ने एकतरफा जनादेश दिया है जिसका कर्ज वे कभी नहीं चुका सकते। उन्होंने पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर पर भी जुबानी हमला बोला और कहा कि जो खुद को सबसे वरिष्ठ होते हुए सीएम पद का दावेदार मान रहे थे। उन्हें भी भाजपा प्रत्याशी ने हराकर घर बैठा दिया है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने 2 जनवरी को कहा कि 'प्रदेश सरकार 101 करोड़ रुपये की धनराशि से मुख्यमंत्री सुखाश्रय सहायता कोष स्थापित करेगी' ताकि जरूरतमंद बच्चों एवं निराश्रित महिलाओं को उच्च शिक्षा प्रदान की जा सके। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग कॉलेजों, आईआईआईटी, एनआईटी, आईआईटी, आईआईएम, पॉलिटैक्निक संस्थानों, नर्सिंग एवं डिग्री कॉलेजों आदि में ऐसे बच्चों की उच्च शिक्षा और व्यावसायिक कौशल विकास शिक्षा पर होने वाले व्यय को प्रदेश सरकार वहन करेगी। आवश्यकता के अनुसार जेब खर्च के लिए भी आर्थिक सहायता दी जाएगी, ताकि ये बच्चे सम्मानपूर्वक जीवन व्यतीत कर सकें। उन्होंने कहा कि यह कोई करुणा नहीं बल्कि उनका प्रदेश सरकार पर अधिकार है। इस कोष से सहायता प्राप्त करना सरकारी बंधनों से मुक्त होगा और इनसे कोई आय प्रमाण-पत्र भी नहीं लिया जाएगा। साधारण आवेदन पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा संपूर्ण सहायता त्वरित रूप से सीधे लाभार्थी के खाते में दी जाएगी।
इस तरह का परोपकार हो सकता है सुक्खू को चुनौती से मुक्ति दिला दे। (हिफी)