कश्मीर में सियासत का खेल
चार महीने में ही 87 लोग इसी गुनाह में धरे गये। इसी से वहां की संवेदनशीलता का आकलन किया जा सकता है।
नई दिल्ली। हमारे देश का स्वर्ग कहा जाने वाला कश्मीर संवेदनशील परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। वहां पर सियासत का खेल अच्छा नहीं कहा जाएगा। कश्मीर में जनता को समझाने की जरूरत है। सत्तापक्ष की भी यही कमी है कि दावे बढ़-चढ़कर किये जाते हैं लेकिन वहां की जनता तो सच्चाई को समझती ही है। स्कूल मंे एक विशेष समुदाय के व्यक्ति की हत्या जैसी वारदातें यही बताती हैं कि सब कुछ ठीक नहीं है। दूसरी तरफ विपक्षी दल के नेता असंतोष की आग को भड़का रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने गत दिनों पुलिस पर ही आरोप लगाया लेकिन वही पुलिस सामान्य जनता की आतंकवादियों से रक्षा करते हुए अपने प्राण गवां रही है। सुरक्षा बल के जवान लगातार यही प्रयास कर रहे हैं कि पड़ोसी देश से आने वाले आतंकियों को रोका जाए और जो आतंकी यहां आ चुके हैं उनको गिरफ्तार किया जाए या मार गिराया जाए। पुलिस और सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ाने की जरूरत है। सियासत का खेल उसमंे बाधा डाल रहा है। अभी हाल में कांग्रेस पार्टी को छोड़कर डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी बनाने वाले गुलाम नबी आजाद ने साफ-साफ कह दिया कि वह और उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर मंे अनुच्छेद 370 को बहाल करने का वादा नहीं करेंगे क्योंकि यह फिलहाल संभव नहीं है। इसी तरह अन्य विपक्षी दलों को भी यह बात साफ-साफ कहनी चाहिए ताकि वहां की जनता इस परिवर्तन से सामंजस्य स्थापित कर सके। आतंकवाद को समाप्त करने में लम्बा समय लगेगा और कश्मीरी पंडितों की बस्ती बसाने मंे भी जल्द ही कोई उम्मीद नहीं दिख रही है, इसलिए पुलिस और सुरक्षा बलों की नैतिक मदद की ज्यादा जरूरत महसूस की जा रही है। पिछले साल आतंकी संगठनों के लिए काम करने वाले 495 ओवर ग्राउंड वर्कर पकड़े गये थे। इस साल चार महीने में ही 87 लोग इसी गुनाह में धरे गये। इसी से वहां की संवेदनशीलता का आकलन किया जा सकता है।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और पुलिस के बीच ट्विटर पर उस समय विवाद देखने को मिला जब महबूबा ने दावा किया कि उन्हें उत्तरी कश्मीर के एक इलाके में जाने से रोकने के लिए घर में नजरबंद रखा गया था। पुलिस ने पीडीपी प्रमुख के दावों का खंडन किया और कहा कि वह कहीं भी यात्रा करने के लिए स्वतंत्र हैं। महबूबा मुफ्ती ने दावा किया कि चूंकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह उत्तरी कश्मीर में श्रीनगर से 54 किलोमीटर दूर बारामूला की यात्रा पर थे और वहां एक सार्वजनिक रैली को संबोधित कर रहे थे, उन्हें श्रीनगर से 27 किलोमीटर दूर पट्टन में एक पार्टी कार्यकर्ता की शादी में शामिल होने से रोक दिया गया। उन्होंने ट्वीट किया कि जब गृह मंत्री (अमित शाह) कश्मीर में स्थिति के सामान्य होने का ढोल पीटते हुए कश्मीर में घूम रहे थे तो मैं केवल एक कार्यकर्ता की शादी के लिए पट्टन जाने की इच्छा के कारण नजरबंद हूं। उन्होंने लिखा कि अगर किसी पूर्व मुख्यमंत्री के मौलिक अधिकारों को इतनी आसानी से सस्पेंड किया जा सकता है तो आम आदमी की दुर्दशा की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती। उन्होंने अपने घर के मुख्य दरवाजे को कथित रूप से बंद करने की तस्वीरें भी डाली। हालांकि लगभग 40 मिनट बाद श्रीनगर पुलिस ने ट्वीट किया कि उनकी पट्टन की यात्रा पर कोई प्रतिबंध नहीं था। पुलिस ने यहां तक दावा किया कि उन्होंने खुद गेट को अंदर से बंद कर लिया था। इसका महबूबा मुफ्ती ने तुरंत खंडन किया। उन्होंने कहा कि एसएसपी बारामूला ने उन्हें सूचित किया कि उन्हें यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने दावा किया कि पुलिस झूठ बोल रही है।
पुलिस-सुरक्षा बल का मनोबल बढ़ाने की जरूरत है। जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच को हुई दो मुठभेड़ों में चार आतंकवादी मारे गए। पुलिस ने बताया कि मारे गए आतंकवादियों में तीन दिन पहले एक पुलिसकर्मी की हत्या करने वाले आतंकवादी भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि शोपियां के द्राच कीगाम इलाके में जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकवादी मारे गए, जबकि दक्षिण कश्मीर के जिले के मूलु इलाके में लश्कर-ए-तैयबा का एक आतंकवादी मारा गया। पहली मुठभेड़ के बारे में पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि क्षेत्र में आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना पाकर सुरक्षा बलों ने वहां घेराबंदी और तलाशी अभियान चलाया। प्रवक्ता ने बताया कि तलाशी दस्ते के मौके पर पहुंचने के साथ ही आतंकवादियों ने उन पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं और पुलिस की जवाबी कार्रवाई के साथ ही मुठभेड़ शुरू हो गई। उन्होंने बताया कि मुठभेड़ में जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकवादी मारे गए हैं। मारे गए आतंकवादियों की पहचान दूमपोरा कीगाम निवासी जुबैर मकबूल वानी, राजपोरा निवासी जमशीद अहमद मगरे और पुलवामा में करीमाबाद निवासी हनान बिन याबूक उर्फ साकिब के रूप में हुई है। इनमें से मगरे और साकिब पुलवामा के पिंगलाना में 2 अक्टूबर को हुई विशेष पुलिस अधिकारी जावेद डार की हत्या में शामिल रहे थे। दोनों आतंकवादी पश्चिम बंगाल के गदूरा निवासी एक कामगार की हत्या में भी शामिल रहे थे। उन्होंने बताया कि मगरे ने रत्नीपोरा में भी दो प्रवासी कामगारों को गोली मारी थी। वहीं, मुलू में हुई मुठभेड़ में मारे गए आतंकवादी की पहचान शिरमल निवासी आरिफ राशिद वानी के रूप में हुई है। प्रवक्ता ने बताया कि द्राच में मारे गए तीन आतंकवादियों की भांति वानी भी वर्गीकृत आतंकवादी था और वह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ था। प्रवक्ता ने बताया कि दोनों मुठभेड़ स्थलों से एके सीरिज के चार राइफल, एक पिस्तौल, एके राइफलों की आठ मैगजीन, पिस्तौल की चार मैगजीन और अन्य सामग्री बरामद हुई है।
जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं के बीच सुरक्षा बलों का ऐक्शन जारी है। इसके चलते कश्मीर घाटी में फिलहाल कम से कम 168 आतंकवादी सक्रिय हैं जबकि 75 आतंकवादी इस साल एनकाउंटर में मारे गए। सेना के अधिकारियों की माने तो मारे गए आतंकवादियों में 21 विदेशी थे। बीते 11 महीने में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास ही एनकाउंटर में आतंकवादियों का सफाया किया गया और घुसपैठ की 12 कोशिशें नाकाम की गईं। सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सख्त अभियान (आतंकवाद रोधी) तबतक पूरी ताकत से चलेगा जब तक कि बाकी बचे करीब 168 आतंकवादी आत्मसमर्पण नहीं कर देते या मारे जाते हैं। उन्होंने कहा कि सेना की विशेष तैनाती से संपूर्ण स्थिति लगातार सुधर रही है। वर्ष 2021 में सुरक्षाबलों ने 180 आतंकवादियों को मार गिराया था। (हिफी)