यहां पर चलता है 'मुलायम परिवार' का सिक्का

मुलायम सिंह यादव को देश के राजनीति फलक में स्थापित कराने वाली जसवंतनगर विधानसभा सीट सपा का ऐसा अभेद्य दुर्ग है

Update: 2022-02-04 18:30 GMT

इटावा। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव को देश के राजनीति फलक में स्थापित कराने वाली जसवंतनगर विधानसभा सीट सपा का ऐसा अभेद्य दुर्ग है, जिसमें करीब चार दशक से सेंधमारी की हर दल की कोशिश अब तक लगभग नाकाम साबित हुई है, हालांकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का दावा है कि उनकी पार्टी मौजूदा चुनाव में इस मिथक को तोड़ने में सफल होगी।

जसवंतनगर को मुलायम सिंह यादव के परिवार की परंपरागत सीट भी कहा जाता है। 1967 में इसी सीट से पहली दफा मुलायम सिंह यादव चुनाव मैदान में उतरे और जीत हासिल कर विधानसभा तक पहुंचे थे और उसके बाद छह बार इस सीट से चुनाव जीत चुके है फिलहाल इस सीट पर उनके अनुज एवं प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव विराजमान हैं, जो 1996 से यहां अब तक अपराजेय रहे हैं और छठी बार सपा के चुनाव चिह्न पर फिर चुनावी रणक्षेत्र में किस्मत आजमा रहे हैं।

प्रसपा प्रमुख के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने विवेक शाक्य और बहुजन समाज पार्टी ने वी पी सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। दोनों पहली बार चुनाव मैदान मे उतरे हैं। भाजपा की दलील है, जब डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव और अक्षय यादव लोकसभा के चुनाव में पराजित हो सकते हैं तो फिर जसवंतनगर सीट से शिवपाल सिंह यादव क्यों नहीं पराजित हो सकते।

भाजपा की राज्य सभा सदस्य एवं उत्तर प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष गीता शाक्य ने कहा कि यह लोकतंत्र है। सैफई परिवार में जन्म लेने से कोई बड़ा नहीं हो जाता। शिवपाल सिंह यादव कोई बड़ा चेहरा नहीं हैं। लोकतंत्र में भ्रम हो जाना बड़ी समस्या हो जाती है। भाजपा उम्मीदवार विवेक शाक्य दावे के साथ कहते है कि गुना में ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके ही पुराने साथी ने पराजित कर दिया जो उनके मुकाबले मामूली सा आदमी ही था, ऐसे में कोई मुगालता पालना बड़ा भ्रम जाल पैदा करता है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा सांसद प्रो. रामशंकर कठेरिया ने दावा किया कि जसवंतनगर सीट का समीकरण भाजपा के पक्ष में बहुत ही मजबूत हो चला है कि इस दफा भाजपा की जीत मे कोई अवरोध नहीं होगा। उधर, शवपाल सिंह यादव ने जसवंतनगर क्षेत्र की जनता से अपील की है कि वह पहले भी उन्हें भारी मतों से जिताये। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता से अपील है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में जो गठबंधन बना है, उसे प्रचंड बहुमत दिला करके 2022 के चुनाव में जिताये जिससे अखिलेश यादव इस प्रदेश के मुख्यमंत्री बने ओर इस गठबंधन की सरकार बने।

शिवपाल सिंह यादव 1996 से इस सीट से विधायक चुने जा रहे हैं। 2017 में जब सपा को पूरे प्रदेश में सपा को 47 सीटें मिली तब भी शिवपाल सिंह यादव को यहां से अच्छी जीत मिली थी, हालांकि 2017 के बाद शिवपाल सिंह यादव सपा से अलग हो गए थे। उन्होंने अलग पार्टी बनाई, लेकिन इस बार वह सपा के चुनाव चिह्न पर ही चुनाव लड़ रहे हैं।

दिलचस्प है कि 1967 के बाद से इस सीट पर विधायक सिर्फ 'यादव' को चुना गया। 1967 में पहली बार मुलायम सिंह यादव यहां से विधायक चुने गए थे। 1969 में मुलायम सिंह यादव कांग्रेस के विशम्भर सिंह यादव से हार गए थे, लेकिन 1974 के चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने विशम्भर यादव को हरा दिया था। इसके बाद 1977 के चुनाव में भारतीय लोक दल के टिकट पर उतरे मुलायम सिंह यादव चुनाव जीते। 1980 में कांग्रेस के बलराम सिंह यादव ने मुलायम सिंह यादव को हरा दिया। इसके बाद 1985 में मुलायम सिंह यादव ने फिर जीत दर्ज की और फिर कभी नहीं हारे। 1989,1991,1993 में मुलायम सिंह यादव उतरे और जीत दर्ज की। मुलायम सिंह यादव इस सीट पर सात बार जीते।

1993 के बाद मुलायम सिंह यादव ने ये सीट अपने भाई को सौंप दी। शिवपाल सिंह यादव 1996 में पहली बार यहां से चुनाव लड़े और तब से अब तक जीतते आ रहे हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के शिवपाल सिंह यादव ने भाजपा के मनीष यादव को 52616 वोट से शिकस्त दी थी जबकि 2012 में भी इस सीट पर बसपा के मनीष यादव को हराकर शिवपाल यादव ने जीत दर्ज की थी लेकिन आज मनीष यादव भाजपा छोड़कर सपा मे शामिल हो गये हैं इसका भी फायदा समाजवादी पार्टी के गठबंधन उम्मीदवार शिवपाल सिंह यादव को मिलने की उम्मीद जताई जा रही

है।

जसवंतनगर विधानसभा की सबसे अधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित है और क्षेत्रफल में भी सर्वाधिक है क्योंकि सैफई तहसील का क्षेत्र और ताखा तहसील का क्षेत्र भी इसी विधानसभा में लगता है। ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीतिक दृष्टिकोण से ब्राह्मण, ठाकुर कम संख्या में हैं वहीं पिछड़े वर्ग में यादव, लोधी, शाक्य, पाल, राजपूत, निषाद, मल्लाह, बाथम, कहार, सविता, अनुसूचित समाज में जाटव, कोरी, धानुक समाज के सर्वाधिक लोग निवास करते हैं और यही लोग चुनाव में वोट करके अपना प्रत्याशी चुनते हैं। सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक दृष्टिकोण से पिछड़ा वर्ग का समाज जिस ओर जाता है, यहां उसी की जीत होती है।

जसवंतनगर विधानसभा सर्वाधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है इसलिए कस्बे में पहले की तरह कोई विशेष व्यापार नहीं हैं। यह प्रमुख समस्या बनी हुई है, सपा का गढ़ होने के नाते यह सीट राजनीति का केंद्र बिंदु बनी हुई है। आगरा-कानपुर हाईवे पर जसवंतनगर के कस्बा होने की वजह से वहां पहुंचना आना-जाना आसान है। एक बस स्टैंड भी बना हुआ है और जसवंतनगर की प्रसिद्ध रामलीला जो पूरे विश्व में मानी जाती है। यूनेस्को के द्वारा भी उसको धरोहर का दर्जा दिया गया है। इस विधानसभा में जसवंतनगर के नाम का एक रेलवे स्टेशन भी बना हुआ है और इसी विधानसभा में सैफई होने की वजह से सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी और मेडिकल कालेज भी मौजूद है जो कि कई जिलों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहा है।

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