राज्यपाल धनखड़ की चेतावनी

पश्चिम बंगाल में राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने जनता की चुनी ममता बनर्जी की सरकार के कामकाज पर उंगली उठाना तो तभी से शुरू कर दिया जबसे वे इस कुर्सी पर बैठे थे

Update: 2020-12-13 00:45 GMT

कोलकाता। प्रदेश के प्रथम पुरुष के दायित्व भी बहुत हैं और अधिकार भी लेकिन जनतांत्रिक व्यवस्था के अनुसार उनको मनोनीत किया जाता है। इस प्रकार राज्यपाल जनप्रतिनिधि नहीं होता यह बात उसे भी याद रखनी चाहिए। पश्चिम बंगाल में राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने जनता की चुनी ममता बनर्जी की सरकार के कामकाज पर उंगली उठाना तो तभी से शुरू कर दिया जबसे वे इस कुर्सी पर बैठे थे। इससे पूर्व केशरीनाथ त्रिपाठी ने शालीनता से विपक्षी राज्य सरकार के साथ अपना कार्यकाल पूरा किया था, भाजपा ने मिशन बंगाल के तहत भवानीपुर और डायमंड हार्बर में पूरी ताकत लगाकर विरोध प्रदर्शन शुरू किया और इसकी प्रतिक्रिया में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की गाड़ी पर पथराव किया गया। यह पथराव किसने किया इस पर भी अलग-अलग बयान आ रहे हैं। बहरहाल, इस मामले को राज्यपाल ने ममता सरकार के संविधान से भटकने की बात माना और 11 दिसम्बर को पत्रकार सम्मेलन में कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि सीएम जहां संविधान से भटकती हैं। वहीं से मेरा दायित्व शुरू होता है। हालांकि उन्होंने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है कि तृणमूल कांग्रेस के सांसद और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के बंगले पर कालिख किसने पोती। इतना ही नहीं वंग भवन पर भी पथराव को राज्यपाल नजरंदाज कर गये।

राज्यपाल जगदीप धनखड़ को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रशासनिक अधिकारियों से शुरू से शिकायत रही है। इसके पीछे वह सीएम की शह को ही मानते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि राज्यपाल ने आरोप ठीक उसी तरह से लगाये जैसे विपक्षी नेता लगाते हैं। जेपी नड्डा के काफिले पर पथराव के बाद तो राज्यपाल आपे से बाहर हो गये। पश्चिम बंगाल में अगले साल अप्रैल-मई में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इन चुनावों से पहले राजनीतिक तकरार चरम पर पहुंच गयी है। कानून-व्यवस्था पर उठ रहे सवालों के बीच राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर ममता बनर्जी की सरकार को एक तरह से कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने यहां तक कह दिया कि पश्चिम बंगाल में विपक्ष के लिए कोई जगह नहीं है। राज्यपाल धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से सवाल किया है कि राज्य में कौन बाहरी है उनका इससे क्या मतलब है? क्या भारतीय नागरिक भी बाहरी हैं, वह कहते हैं कि ममता बनर्जी को इस तरह से बयान नहीं देना चाहिए। इसके बाद कड़े शब्दों का प्रयोग करते हुए राज्यपाल कहते हैं कि मुख्यमंत्री को आग से नहीं खेलना चाहिए और उन्हें संविधान का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जहां से भटकेंगी, वहीं से मेरा दायित्व शुरू होता है। राज्यपाल ने ममता बनर्जी को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि मुख्यमंत्री संविधान की आत्मा का ख्याल रखें। भारत एक है उसका नागरिक एक है। अगर आप इस रास्ते से भटकती हैं तो मेरे दायित्व की शुरूआत होती है। इसके बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर पथराव के मामले पर आ गये। इस पथराव को लेकर जहां भाजपा के नेताओं ने आरोप लगाया है कि तृणमूल कांग्रेस के लोगो ने उपद्रव किया है तो दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस के नेता कहते हैं कि भाजपा और संघ ने अपने ही लोगों से पत्थर फेंकवाए हैं ताकि राज्य में कानून-व्यवस्था को बदतर साबित कर राष्ट्रपति शासन लगाया जा सके। बहरहाल राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि कल (10 दिसम्बर 2020) की घटना को लेकर मैंने राज्य के डीजीपी और मुख्य सचिव को तलब किया है। राज्यपाल ने यह भी बताया कि चीफ सेक्रेटरी ने मुझे संदेश भेजा था कि उन्होंने राजनीतिक दौरे को लेकर डीजीपी को एलर्ट किया है।

आश्चर्य की बात यह भी है कि एक तरफ राज्यपाल जगदीप धनखड़ यह कह रहे हैं कि चीफ सेक्रेटरी उनको संदेश दे रहे हैं दूसरी तरफ यह शिकायत भी करते हैं कि डीजीपी और मुख्य सचिव ने रिपोर्ट ही नहीं सौंपी। संदर्भ जेपी नड्डा के काफिले पर हमले को लेकर है। इसका एक मतलब तो यह लगाया ही जा रहा है कि जेपी नड्डा के काफिले पर हमले को राज्यपाल कुछ ज्यादा ही तवज्जो दे रहे हैं। राज्यपाल कहते हैं कि उन्होंने उस घटना को लेकर डीजीपी और मुख्य सचिव से बात की और दुख भी जताया। राज्यपाल कहते हैं कि मैंने उन दोनों अफसरों को लिखित में दिया था लेकिन दोनों के पास से कोई जवाब नहीं आया। राज्यपाल सवाल करते हैं कि क्या राज्य की पुलिस राजनीतिक पुलिस हो गयी है। राज्य के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं सिर्फ भ्रष्टाचार चल रहा है। सरकारी तंत्र का राजनीतिक तंत्र हो चुका है और विपक्ष के लिए कोई जगह नहीं रह गयी है। राज्यपाल कहते हैं कि बंगाल में इस समय ऐसे हालात हैं कि किसी विपक्ष के लिए जगह नहीं है। सत्ता दल के अलावा अन्य कोई नेता सुरक्षित नहीं है।

राज्यपाल सभी विपक्षी दलों की पैरोकारी कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस और वामपंथी दलों को कोई शिकायत नहीं है। इन दोनों दलों को अच्छा जरूर लग रहा होगा कि राज्यपाल ने उनके पक्ष में बोला है। जेपी नड्डा पर हमले के चलते गृह मंत्रालय भी ऐक्शन में आ गया है। डीजीपी और मुख्य सचिव को गृह मंत्रालय ने तलब किया तो ममता बनर्जी ने कहा कि मेरे अफसर दिल्ली नहीं जाएंगे। स्वाभाविक है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी अपनी आक्रामक शैली में दिखाई पड़ रही है। वे स्वयं जवाब देने मैदान में उतर पायी है। ममता बनर्जी ने कहा चड्ढा, नड्डा, गड्ढा, भड्डा सब चले आ रहे हैं। खुद ही जुलूस निकोंगे और खुद ही नौटंकी करेंगे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पूर्व में भी राज्यपाल धनखड़ को खरी-खरी सुना चुकी हैं। उन्होंने कहा था राज्यपाल को यह नहीं भूलना चाहिए कि हमें जनता ने चुनकर भेजा है सरकार चलाने के लिए और वे (राज्यपाल) केन्द्र सरकार के माध्यम से मनोनीत किये गये हैं।

बहरहाल, राज्यपाल की प्रेस कांफ्रेस के बाद गृह मंत्रालय ने मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख (डीजीपी) को तलब किया। गृह मंत्री अमित शाह 19 ओर 20 दिसम्बर को पश्चिम बंगाल के दौरे पर जाएंगे। जेपी नड्डा के काफिले पर हमले के मामले में पश्चिम बंगाल पुलिस ने तीन एफआईआर दर्ज कर ली है और सात लोगों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। इस मामले में अभी विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है लेकिन ममता बनर्जी पर जब राज्यपाल सीधे अटैक करेंगे तो अन्य राज्यों के गैर भाजपाई ऐक्शन में आ सकते हैं। (हिफी)

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