गहलोत के उद्दंड मंत्री
वरिष्ठ नेताओं को इस पर मंथन करना चाहिए कि उनके राज्य तो सुरक्षित रहें, साथ ही अन्य राज्यों पर फिर से कब्जा किया जाए।
लखनऊ। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को इस पर मंथन करना चाहिए कि उनके राज्य तो सुरक्षित रहें, साथ ही अन्य राज्यों पर फिर से कब्जा किया जाए।इसके लिए जनता के साथ नेताओं और कार्यकर्ताओं का संवाद करना, अच्छा बर्ताव करना और यह विश्वास दिलाना कि भविष्य में ऐसी गलतियां नहीं होंगी, जिनके चलते राज्यों कांग्रेस की सत्ता चली गयी है। इस तरह की सोच रखने की जगह कांग्रेस के नेता जनता से और जनता के प्रतिनिधियों से भी अशोेभनीय व्यवहार करते हैं। कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान से इसी तरह की एक घटना सामने आयी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इसे संज्ञान में लेना चाहिए। उनके एक मंत्री ने राजस्थान नहर परियोजना के बारे मंे प्रत्यावेदन देने आयी एक महिला नेता को अपमानजनक तरीके से घर से बाहर कर दिया। जनता पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग कर रही है। इससे परियोजना की 90 फीसद धनराशि केन्द्र सरकार से मिलेगी। इसकी लागत करीब 40 हजार करोड़ रुपये है।
राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य मंत्री परसादीलाल मीणा के आवास पर गत 17 जुलाई को ज्ञापन देने की बात पर जमकर हंगामा हो गया। इस दौरान मंत्री मीणा और समाजसेवी राजेश्वरी मीणा के बीच तकरार हो गई। हंगामा बढ़ने पर मंत्री ने राजेश्वरी मीणा समेत उनके साथ आये अन्य लोगों को बाहर निकालने के लिये पुलिसकर्मी को बुलाया लिया। पुलिसकर्मी ने भी बिना महिला कांस्टेबल के ही समाजसेवी महिला को मंत्री आवास से बाहर निकाल दिया। राजेश्वरी मीणा ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि बिना महिला पुलिसकर्मी के ही पुलिसकर्मियों ने धक्के देकर उनको बाहर निकाल दिया। उनके साथ अभद्रता की गई।
दरअसल पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को लागू करने की मांग को लेकर दौसा के खुर्रा गांव से जयपुर के लिए पैदल यात्रा रवाना हुई थी। यह पैदल यात्रा जैसे ही मंडावरी में मंत्री परसादीलाल मीणा के आवास पर पहुंची तो वहां जमकर हंगामा हो गया। राजेश्वरी मीणा के नेतृत्व में निकाली जा रही इस पैदल यात्रा के दौरान मंत्री परसादीलाल मीणा को ज्ञापन दिया गया। पैदल यात्रा के रूप में ज्ञापन देने पहुंचे लोगों की मांग थी ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाने के लिए सरकार संशोधित डीपीआर भिजवाए। पैदल यात्रा के रूप में पहुंचे लोग जब काफी देर तक मंत्री से बहस करते रहे तो उन्होंने आपा खो दिया और वे खड़े हो गए। इस दौरान उन्होंने समाजसेवी राजेश्वरी मीणा सहित ज्ञापन देने आए लोगों को बाहर निकालने के लिए पुलिसकर्मी को बुला लिया। मंत्री परसादीलाल मीणा ने ज्ञापन देने आए लोगों से कहा गेट आउट। इस पर पुलिसकर्मी ने राजेश्वरी मीणा और उनके साथ आये लोगों को मंत्री आवास से बाहर निकाल दिया। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान महिला मंत्री परसादीलाल मीणा के हाथ जोड़ती रही और कहा कि उन्हें सिर्फ पानी चाहिए। ऐसे में ईआरसीपी को लेकर राज्य सरकार अपनी कार्रवाई करें और केंद्र पर दबाव बनाएं। इस हंगामे के दौरान मंत्री परसादीलाल मीणा और राजेश्वरी मीणा के बीच जमकर तीखी बहस हुई। वहां मौजूद लोगों ने इसका वीडियो भी बना लिया। बाद में यह वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ।
राजस्थान के मुख्यमंत्री द्वारा पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग की गई है। इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिलने का मुख्य लाभ यह होगा कि परियोजना को पूर्ण करने हेतु 90 फीसद राशि केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी। ईआरसीपी की अनुमानित लागत लगभग 40,000 करोड़ रुपए है।
राज्य जल संसाधन विभाग के अनुसार, राजस्थान का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 342.52 लाख हेक्टेयर है जो संपूर्ण देश के भौगोलिक क्षेत्र का 10.4 फीसद है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह भारत का सबसे बड़ा राज्य है। देश में उपलब्ध कुल सतही जल की 1.16 फीसद और भूजल की 1.72 फीसद मात्रा यहाँ पाई जाती है। राज्य जल निकायों में केवल चंबल नदी के बेसिन में अधिशेष जल की उपलब्धता है परंतु इसके जल का सीधे तौर पर उपयोग नहीं किया जा सकता है क्योंकि कोटा बैराज के आस-पास का क्षेत्र मगरमच्छ अभयारण्य के रूप में संरक्षित है। ईआरसीपी का उद्देश्य मोड़दार संरचनाओं की सहायता से अंतर-बेसिन जल अंतरण चैनलों को जोड़ने तथा मुख्य फीडर चैनलों को जल आपूर्ति हेतु वाटर चौनलों का एक नेटवर्क तैयार करना है जो राज्य की 41.13 फीसद आबादी के साथ राजस्थान के 23.67 फीसद क्षेत्र को कवर करेगा।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का उद्देश्य दक्षिणी राजस्थान में बहने वाली चंबल नदी और उसकी सहायक नदियों (कुन्नू, पार्वती, कालीसिंध) में वर्षा ऋतु के दौरान उपलब्ध अधिशेष जल का उपयोग राज्य के उन दक्षिण-पूर्वी जिलों में करना है जहाँ पीने के पानी और सिंचाई हेतु जल का अभाव है। ईआरसीपी को वर्ष 2051 तक पूरा किये जाने की योजना है जिसमें दक्षिणी एवं दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में मानव तथा पशुधन हेतु पीने के पानी तथा औद्योगिक गतिविधियों हेतु पानी की आवश्यकताओं को पूरा किया जाना है। इसमें राजस्थान के 13 जिलों में पीने का पानी और 26 विभिन्न बड़ी एवं मध्यम परियोजनाओं के माध्यम से 2.8 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हेतु जल उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है। इन 13 जिलों में झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा और धौलपुर शामिल हैं।
इस परियोजना से महत्त्वपूर्ण भू-क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी। इससे राज्य के ग्रामीण इलाकों में भूजल तालिका में सुधार होगा। यह लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों को सकारात्मक रूप से परिवर्तित करेगा। यह परियोजना विशेष रूप से दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारे पर जोर देते हुए इस बात की परिकल्पना करती है कि इससे स्थायी जल स्रोतों को बढ़ावा मिलेगा जो क्षेत्र में उद्योगों को विकसित करने में मदद करेंगे। इसके परिणामस्वरूप राज्य में निवेश और राजस्व में वृद्धि होगी। चंबल नदी भारत की सबसे कम प्रदूषित नदियों में से एक है। इसका उद्गम स्थल विंध्य पर्वत (इंदौर, मध्य प्रदेश) के उत्तरी ढलान पर स्थित सिंगार चौरी चोटी है। यहाँ से यह लगभग 346 किमी. तक
मध्य प्रदेश में उत्तर दिशा की ओर बहती हुई राजस्थान में प्रवेश करती है। राजस्थान में इस नदी की कुल लंबाई 225 किमी. है जो इस राज्य के उत्तर-पूर्व दिशा में बहती है।
उत्तर प्रदेश में इस नदी की कुल लंबाई लगभग 32 किमी। है जो इटावा में यमुना नदी में मिल जाती है। यह एक वर्षा आधारित नदी है, जिसका बेसिन विंध्य पर्वत शृंखलाओं और अरावली से घिरा हुआ है। चंबल और उसकी सहायक नदियाँ उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में बहती हैं। राजस्थान में हाडौती/हाड़ौती का पठार चंबल नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र मेवाड़ मैदान के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। चंबल नदी की मुख्य बिजली परियोजनाएं गांधी सागर बाँध, राणा प्रताप सागर बाँध, जवाहर सागर बाँध और कोटा बैराज। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)