राजनीति पर गडकरी का विराग
संघ का वरदहस्त होने के चलते भाजपा संगठन और सरकार में नितिन गडकरी का महत्व बरकरार है
लखनऊ। भाजपा के वरिष्ठ नेता और सफल केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले दिनों राजनीति को लेकर ऐसा बयान दिया जिससे राजनीतिक पंडित चौकन्ने हो गये।भाजपा सरकार में सफल मंत्री इसलिए कहा कि उनके कार्य को पार्टी के नेता यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी एक नजीर के तौर पर पेश करते रहे हैं। पार्टी ने उनको राष्ट्रीय अध्यक्ष का दायित्व भी सौंपा। हालांकि उत्तर प्रदेश में एक विवादास्पद नेता को भाजपा में शामिल कराने का आरोप भी उन पर लगा था लेकिन संघ का वरदहस्त होने के चलते भाजपा संगठन और सरकार में नितिन गडकरी का महत्व बरकरार है। इसके बावजूद जब गडकरी ने कहा कि उनका मन राजनीति छोड़ने का कहता है, तब यह अनुमान लगाए जाने लगे कि गडकरी को राजनीति से अरुचि क्यों होने लगी है। आज की सच्चाई तो यह है कि आईएएस, पीसीएस भी सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आना चाहते हैं। सवाल उठता है कि नितिन गडकरी ने ऐसा क्यों कहा है?
कुछ महीनों से उनका मन दार्शनिक हो रहा है। लगभग तीन महीने पहले की बात है जब पुणे में नितिन गडकरी ने कहा था कि इतिहास का इस्तेमाल बेहतर समाज और राष्ट्र के निर्माण के लिए किया जाना चाहिए न कि गलती खोजने के लिए। उन्होंने अपनी बात को और ज्यादा स्पष्ट करते हुए कहा था कि विवाद से किसी का कोई कल्याण नहीं होता है। गडकरी ने कहा था कि हमारा दुर्भाग्य है कि हमने इतिहास का इस्तेमाल गलती खोजने के लिए किया है। हम बेहतर भविष्य, बेहतर समाज और बेहतर देश के निर्माण के लिए इतिहास का इस्तेमाल करने में विफल रहे हैं।
उस समय भी यह कहा जा रहा था कि नितिन गडकरी ने भाजपा की मौजूदा केन्द्र सरकार और राज्यों में भाजपा सरकारों द्वारा नगरों का नाम बदलने और इतिहास में मुगल शासकों के अत्याचारों की याद ताजा करने के चलते ऐसा कहा है। हालांकि नितिन गडकरी ने पुणे के भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट में कहा था कि भारत की संस्कृति और हमारा इतिहास काफी समृद्ध है। बेहतर है, इसका इस्तेमाल कुछ इस तरह किया जाए ताकि राष्ट्र का निर्माण हो सके। उन्होने कहा था कि भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, रामायण और भगवद गीता के दर्शन में समानता है। कमोवेश इसी तरह का दर्शन स्वामी विवेकानंद ने शिकागो धर्म सम्मेलन में रखा था। नितिन गडकरी का आशय तब भी भारत की उदारवादी संस्कृति से था। इस संस्कृति का आज की राजनीति से दूर-दूर तक का नाता नहीं रह गया है। नागपुर में नितिन गडकरी की भावनएं क्या इसी के चलते वैराग्य मार्ग अपनाने का संकेत दे रही है?
नागपुर के एक कार्यक्रम में गत दिनों केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अपने दिए एक बयान से राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि उन्हें कभी-कभी राजनीति छोड़ने का मन करता है क्योंकि समाज के लिए और भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि आजकल राजनीति सामाजिक परिवर्तन और विकास का वाहन बनने के बजाय सत्ता में बने रहने का साधन मात्र बन कर रह गई है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री सामाजिक कार्यकर्ता गिरीश गांधी को सम्मानित करने के लिए आयोजित नागपुर के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। गिरीश गांधी को सभी राजनीतिक दलों के दोस्तों के लिए भी जाना जाता है। गिरीश गांधी पूर्व में एमएलसी भी रह चुके हैं। वह पहले एनसीपी के साथ थे, लेकिन बाद में 2014 में उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी।
नितिन गडकरी ने कहा कि आज हमें यह समझने की आवश्यकता है कि आखिर राजनीति शब्द का अर्थ क्या है। क्या यह समाज, देश के कल्याण के लिए है या सरकार में बने रहने के बारे में है। महात्मा गांधी के युग से ही राजनीति सामाजिक आंदोलन का हिस्सा रही है लेकिन बाद में इसने राष्ट्र और विकास के लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित किया है।
उन्होंने आगे कहा कि आज हम जो राजनीति में देख रहे हैं वह 100 प्रतिशत सत्ता में आने के बारे में है। राजनीति सामाजिक-आर्थिक सुधार का एक सच्चा साधन है और इसीलिए आज के राजनेताओं को समाज में शिक्षा, कला आदि के विकास के लिए काम करना चाहिए। नितिन गडकरी ने अपने संबोधन में कहा कि जब गिरीश भाऊ राजनीति में थे, तो मैं उन्हें हतोत्साहित करता था। क्योंकि मैं भी कभी-कभी राजनीति छोड़ने के बारे में सोचता हूं। राजनीति के अलावा जीवन में बहुत कुछ ऐसा है जो करने लायक है। नागपुर से लोकसभा सदस्य नितिन गडकरी ने समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडीस को भी याद किया। उन्होंने जॉर्ज फर्नांडीस की सादगीपूर्ण जीवन शैली के लिए उनकी प्रशंसा की। समाजवादी नेता की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा क्योंकि उन्होंने कभी भी सत्ता की परवाह नहीं की। उन्होंने एक प्रेरक जीवन शैली का नेतृत्व किया। आज हमें उनके प्रेरक जीवन शैली से प्रेरणा लेनी चाहिए। मुझे भी इससे नफरत है कि जब लोग मेरे लिए बड़े-बड़े गुलदस्ते लाते हैं या मेरे पोस्टर लगाते हैं।
नितिन गडकरी ने राजनीतिक लालसा के ऊपर कहा कि जो मुख्यमंत्री बनते हैं वो परेशान रहते हैं कि पता नहीं कब हटा दिए जायेंगे। लोग आज कल काफी दुखी हैं, विधायक दुखी रहते हैं कि मंत्री नहीं बने, मंत्री दुखी होते हैं कि अच्छा विभाग नहीं मिला, अच्छे विभाग वाले दुखी हैं कि मुख्यमंत्री नहीं बने और मुख्यमंत्री दुखी हैं कि पता नहीं कब उन्हें हटना पड़ जाये। नितिन गडकरी का यह बयान राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है। इस बयान पर तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसे बात करें तो नितिन गडकरी अपने साफगोई बयान के लिए जाने जाते हैं। इस बयान को भी लोग नितिन गडकरी के राजनीतिक मामलों से जोड़ देख रहे हैं।
गडकरी एक सफल उद्यमी हैं। वह एक बायो-डीजल पंप, एक चीनी मिल, एक लाख 20 हजार लीटर क्षमता वाले इथानॉल ब्लेन्डिंग संयत्र, 26 मेगावाट की क्षमता वाले बिजली संयंत्र, सोयाबीन संयंत्र और को जनरेशन ऊर्जा संयंत्र से जुड़े हैं। गडकरी ने 1976 में नागपुर विश्वविद्यालय में भाजपा की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की। बाद में वह 23 साल की उम्र में भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने। अपने ऊर्जावान व्यक्तित्व और सब को साथ लेकर चलने की खूबी की वजह से वे सदा अपने वरिष्ठ नेताओं के प्रिय बने रहे। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)