कश्मीर में नए मतदाताओं पर विवाद
पीडीपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मूल निवासियों को विस्थापित करने का जो आरोप लगाया है
नई दिल्ली। केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में एक वर्ष से अधिक समय से रहे रह लोगों को मतदाता बनाया जा रहा था। जम्मू-कश्मीर में मतदाता सूची का विशेष सारांश संशोधन अर्थात् नए मतदाताओं का पंजीकरण, मतदाता सूची से कुछ लोगों का नाम हटाने और सूची मेंसुधार करने के लिए इसी वर्ष 15 सितम्बर से कार्य प्रारम्भ हुआ था। जम्मू प्रशासन ने तहसीलदारों को आवासीय प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार प्रदान किया था। इसी के बाद नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेताओं ने मतदाता सूची मंे गैर-स्थानीय लोगों को शामिल करने को लेकर चिंता जाहिर की थी। अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग कर रहे गुपकर गठबंधन ने भी इस व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए थे। विरोध के इन सुरों के बीच राज्य प्रशासन ने इस आदेश को वापस ले लिया है। हालांकि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाने का लक्ष्य यह भी था कि राज्य को शेष भारत से पूर्ण रूप से समरस किया जा सके। इस समरसता का हिस्सा नये मतदाता भी हैं। इसलिए नए मतदाताओं को लेकर सभी राजनीतिक दलों को राष्ट्र हित में विचार करना होगा। पीडीपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मूल निवासियों को विस्थापित करने का जो आरोप लगाया है, वह राजनीति से प्रेरित ज्यादा है। जम्मू-कश्मीर मंे 25 लाख इस तरह के मतदाता बताए जा रहे हैं।
जम्मू प्रशासन ने एक वर्ष से अधिक समय से शीतकालीन राजधानी में रह रहे लोगों को मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने में सक्षम बनाने के लिए तहसीलदारों को आवासीय प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार देने के अपने पहले के आदेश को वापस ले लिया है। हालांकि, इस आदेश को वापस लेने का कोई कारण नहीं बताया गया है लेकिन, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को छोड़कर जम्मू-कश्मीर के लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने संबंधित आदेश का विरोध किया था, जिसके बाद जम्मू प्रशासन ने इसे वापस ले लिया है। जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त (जम्मू) अवनि लवासा ने पाया था कि कुछ पात्र मतदाता आवश्यक दस्तावेज न होने की वजह से मतदाता के रूप में अपना पंजीकरण नहीं करा पा रहे हैं। इस समस्या पर गंभीरता से गौर करने के बाद उन्होंने यह आदेश जारी किया था। नए मतदाताओं के पंजीकरण, मतदाता सूची से कुछ लोगों के नाम हटाने और सूची में सुधार करने के लिए 15 सितंबर से केंद्र-शासित प्रदेश में मतदाता सूची का विशेष सारांश संशोधन शुरू किया गया था। इसे लेकर कई राजनीतिक दलों ने मतदाता सूची में 'गैर-स्थानीय' लोगों को शामिल करने को लेकर चिंता जाहिर की थी।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता और गुपकर गठबंधन के प्रवक्ता एम वाई तारिगामी ने घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इस तरह के आदेश जारी करने के कदम पर सवाल उठाए।
उन्होंने कहा, 'सबसे पहले, यह आश्चर्यजनक है कि ऐसा अनुचित आदेश जारी किया गया था। अगर आदेश को रद्द किया गया है तो एक प्रति आमजन के साथ तुरंत साझा की जानी चाहिए। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने जम्मू में नए मतदाताओं के पंजीकरण संबंधी निर्वाचन आयोग के आदेश की आलोचना करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को धार्मिक व क्षेत्रीय स्तर पर बांटने के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कथित प्रयासों को 'विफल' किया जाना चाहिए क्योंकि 'चाहे वह कश्मीरी हो या डोगरा, हमारी पहचान और अधिकारों की रक्षा तभी संभव होगी जब हम एकसाथ आकर कोशिश करेंगे।
महबूबा ने ट्वीट किया कि निर्वाचन आयोग ने नए मतदाताओं के पंजीकरण को मंजूरी देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि जम्मू में भारत सरकार औपनिवेशिक सोच के तहत मूल निवासियों को विस्थापित कर नए लोगों को बसाने के लिए कार्रवाई कर रही है। जम्मू में अधिकारियों ने अधिकृत तहसीलदारों (राजस्व अधिकारियों) को एक वर्ष से अधिक समय से शीतकालीन राजधानी में रहने वाले लोगों को आवासीय प्रमाणपत्र जारी करने को कहा था, ताकि मतदाता सूची के विशेष सारांश संशोधन में इन लोगों के नाम शामिल हो पाएं। नए मतदाताओं के पंजीकरण, मतदाता सूची से कुछ लोगों के नाम हटाने, सूची में सुधार करने के लिए 15 सितंबर से केंद्र शासित प्रदेश में मतदाना सूची का विशेष सारांश संशोधन शुरू किया गया था। इसी बात को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) ने कहा कि भाजपा चुनाव से 'डरी' हुई है और उसे पता है कि उसकी बड़ी हार होगी। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने ट्वीट किया, 'सरकार जम्मू-कश्मीर में 25 लाख गैर-स्थानीय लोगों को मतदाता बनाने की अपनी योजना पर आगे बढ़ रही है। हम इस कदम का विरोध करना जारी रखेंगे। भाजपा चुनाव से डरी हुई है और उसे पता है कि उसे बड़ी हार का सामना करना पड़ेगा। जम्मू-कश्मीर के लोगों को चुनाव में इस साजिश का जवाब देना चाहिए।
इस बीच राज्य में नये सियासी समीकरण बनाने वाले डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर में चुनाव से पहले क्षेत्रीय और जिला-स्तरीय समितियों के गठन से संबंधित प्रस्ताव सौंपने के लिए कई दल बनाये हैं। पार्टी के एक नेता ने बताया कि वरिष्ठ नेताओं की सदस्यता वाले छह पैनल को कहा गया है कि वह संबंधित क्षेत्र में इस कवायद को 10 दिन के अंदर पूरी करके प्रस्तावित क्षेत्रीय या जिला समितियों के बारे में अपनी सिफारिशें 18 अक्टूबर तक सौंपें। पूर्व मुख्यमंत्री आजाद ने यह फैसला ऐसे समय लिया है, जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को आश्वस्त किया कि मतदाता सूची को लेकर जारी प्रक्रिया के पूरी होने के बाद विधानसभा चुनाव होंगे। आजाद ने ऐलान किया कि जम्मू और कश्मीर संभाग के लिए तीन-तीन दल गठित किये गये हैं, ताकि सभी 20 जिलों को इसके दायरे में लाया जा सके। उन्होंने कहा, ''एक बार क्षेत्रीय और जिला समितियों का गठन हो जाने पर संबंधित पदाधिकारियों को प्रखंड और पंचायत स्तर पर जाने के लिए कहा जायेगा, ताकि प्रखंड समिति और पंचायत समिति का गठन हो सके। इसलिए मतदाता सूचियों मंे संशोधन तो जरूरी है, तभी चुनाव की सार्थकता साबित होगी।
आजाद के हवाले से पार्टी नेताओं ने कहा कि 11-सदस्यीय केंद्रीय जम्मू जोन की अध्यक्षता पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद करेंगे, जिसके तहत जम्मू (शहरी एवं ग्रामीण), कठुआ, सांबा, उधमपुर जिले आयेंगे। उन्होंने बताया कि नौ-सदस्यीय चेनाब घाटी जोन का नेतृत्व जी। एम। सरूरी करेंगे, जिसके तहत रामबन, डोडा, किश्तवाड़ और रियासी जिले आएंगे। छह-सदस्यीय पीर पंजाल जोन की अध्यक्षता अशोक शर्मा करेंगे, जिसके तहत राजौरी एवं पुंछ जिले आएंगे। कश्मीर घाटी में
ताज मोहिउद्दीन के नेतृत्व वाले उत्तरी कश्मीर जोन के तहत बारामूला, कुपवाड़ा और बांदीपोरा जिले आएंगे। पीरजादा मोहम्मद सईद के नेतृत्व वाले दक्षिण कश्मीर जोन में अनंतनाग, कुलगाम, शोपियां और पुलवामा जिले आएंगे। केंद्रीय कश्मीर जोन के सदस्यों का नाम तय करना अभी बाकी है, जिसके तहत श्रीनगर, बडगाम और गांदेरबल जिले आएंगे। (हिफी)