चुनाव में बन सकता है नासूर- लखीमपुर खीरी का दाग कैसे मिटा पायेगी भाजपा?
इस समय प्रदेश में चुनावी चर्चा चरम पर है ऐसे वक्त में लगे दाग को भाजपा कैसे मिटा पायेगी?
लखनऊ। लखीमपुर खीरी में हुई घटना ने हर व्यक्ति को अंदर तक झकझोर दिया है। केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टैनी एवं राज्य के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के दौरे के विरोध को लेकर हुई घटना में दर्जनों लोग घायल है और अभी तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें चार किसानों व चार भाजपाईयों के अलावा पत्रकार भी शामिल है। इस हादसे से विपक्षी दलों के हाथ भी विधानसभा चुनाव से पहले बहुत बड़ा मुद्दा लग गया है। इस समय प्रदेश में चुनावी चर्चा चरम पर है ऐसे वक्त में लगे दाग को भाजपा कैसे मिटा पायेगी? यह तो जगजाहिर है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में ऐसी कोई घटना नहीं हुई थी। लेकिन चुनाव के ऐन मौके पर इस घटना से भाजपा के विरूद्ध यूपी की पब्लिक में रोष उत्पन्न हो गया है। चुनावी चर्चा के दौरान भाजपा के लिये यह घटना सिर दर्द बन गई है। इस बवाल से उत्पन्न हुई चुनौतियों से पार पाना भाजपा के लिये शायद इतना आसान नहीं होगा।
दरअसल 3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का जनपद लखीमपुर खीरी में प्रोग्राम था। हैलीपेड पर डिप्टी सीएम का हेलीकॉप्टर उतरना था, कार्यक्रम की जानकारी मिलने पर किसान सुबह ही हैलीपेड पर काले झंडे लेकर जमा हो गये थे। इसकी सूचना एलाईयू ने सरकार को दे दी थी। उसके बाद डिप्टी सीएम कार से ही योजनाओं को लोकर्पण व शिलान्यास करने आये। बताया जा रहा है कि प्रोग्राम में केन्द्रीय राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी व उनके पुत्र मौजूद थे। प्रोग्राम के बाद डिप्टी सीएम को मंत्री के घर जाना था। व्यवस्था बनाने के लिये मंत्री ने अपने बेटे को घर के लिये भेज दिया था। सवेर से सबकुछ सही चल रहा था। लेकिन केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री के आवास पर आयोजित कार्यक्रम में डिप्टी सीएम के शामिल होने के मामले में ही सबकुछ अस्त-व्यस्त करके रख दिया। किसानों का आरोप है कि किसानों ने मंत्री के पुत्र आशीष की गाड़ी को रोकने का प्रयास किया। लेकिन आरोप है कि मंत्री पुत्र की गाड़ी नहीं रूकी और प्रदर्शन कर रहे कई किसान उसकी चपेट में आ गये, जिसमें दर्जनों किसान घायल हो गये और कई किसानों की मौके पर ही मौत हो गई थी।
बताया जा रहा है कि गुस्साए किसानों ने भी मंत्री के पुत्र काफिले में आये बीजेपी कार्यकर्ताओं व ड्राइवर के साथ मारपीट शुरू कर दी। तमाम घायलों को हॉस्पिटल भेजा गया। लेकिन अगले दिन तक यानि 4 अक्टूबर तक 9 लोगों की मौत हो गई, जिसमें 4 किसान, 3 बीजेपी कार्यकर्ता, 1 ड्राइवर और एक पत्रकार रमन कश्यप की मौत हो गई। इस हादसे के बाद सियासत गर्म हो गई और विपक्षी पार्टियों को बीजेपी के विरूद्ध बहुत बड़ा मुद्दा मिल गया। यूपी की तमाम पार्टियों ने इस घटना को उठाने का काम किया। विपक्षी पार्टियों ने केन्द्रीय राज्यमंत्री अजय मिश्रा और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे की मांग की और किसानों ने भी उनके इस्तीफे की मांग करते हुए उन पर कार्रवाई की मांग की। यह सरकार की योग्यता ही कही जा सकती है कि इस घटना को काबू करने के लिये सीएम योगी ने अनुभवी अफसरों को लखीमपुर खीरी में तैनात कर दिया था, सीएम योगी के खास अफसर प्रशांत कुमार ने किसानों को अपने अनुभव से मैनेज करने का काम किया। इस दौरान इंटरनेट भी बंद कर दिया था, जिससे वहां के हालात न बिगडें। बताया जा रहा है कि केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी व उनके पुत्र आशीष के खिलाफ तिकुनिया थाने में मामला दर्ज करवाया गया है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी नजदीक है, चुनाव होने में कुछ माह ही बाकि रह गये हैं।
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार को साढ़े चार वर्ष पूरे हो चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अभी अपनी साफ छवि लेकर चल रहे थे, जो कि एक सत्य भी है। लेकिन इन साढ़े चार वर्षों के कार्यकाल के बाद 3 अक्टूबर को हुई घटना से बीजेपी पर दाग लग गया है। चुनाव के समय इस दाग को मिटाना इतना आसान नहीं होगा क्योंकि उत्तर प्रदेश में किसानों की संख्या अधिक है और लगभग हर बिरादरी खेती करती है। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर बेदाग छवि रखते हुए कार्य कर रहे थे। अभी तक उनके कार्यकाल में ऐसा कोई दाग नहीं लगा था। लेकिन उनके साढ़े चार वर्ष के बाद अंतिम क्षणों में मंत्री के पुत्र के नाम पर बीजेपी पर बहुत बड़ा आरोप लग गया है और विपक्षी दलों को भी चुनावी वक्त पर बहुत बड़ा मुद्दा मिल गया है। भाजपा पर लगा यह दाग यूपी चुनाव में नासूर बनेगा या नहीं, यह तो पूरी तरह से भविष्य के गर्भ में है। लेकिन शायद ही किसान इस हादसे को भूला पायें। प्रथम दृष्टया कहना गलत न होगा कि बीजेपी के लिये लखीमपुर खीरी का यह बवाल सिर दर्द बन गया है। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठें योगी आदित्यनाथ एक संत भी हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ को अपनी संत वाली छवि को बचाना होगा। इस छवि को बचाने के लिये सीएम योगी आदित्यनाथ को अपनी पार्टी के मंत्री और उनके पुत्र के खिलाफ कार्रवाई करने से हिचकना नहीं होगा क्योंकि उन्हें संत की उपाधि प्राप्त है और प्रदेश की पब्लिक के मुखिया भी हैं।
अभी तक सुखद यह रहा है कि लखीमपुर खीरी बवाल को लेकर किसानों और अफसरों संग हुई वार्तालाप के पश्चात समझौता हो गया है। सरकार और किसानों के छह दौर की बातचीत के पश्चात सहमति बन पाई है। मृतक किसानों के परिवार को योगी सरकार ने 45-45 लाख रूपये एवं योग्यता के आधार पर एक-एक सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया है। इसके साथ ही योगी सरकार घायलों को 10-10 लाख रूपये देगी और इस घटना की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज के द्वारा की जायेगी।