उत्तर प्रदेश में हो रहे उपचुनाव अब किसे किसे करायेंगे फीलगुड
राजनीति का स्तर इतना गिर गया है कि आम चुनाव तो दूर उपचुनाव में भी सतही राजनीति होने लगती है।
लखनऊ। लोकतंत्र में चुनाव एक स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा माने जाते हैं जिसका फैसला मतदाता करते हैं। राजनीति का स्तर इतना गिर गया है कि आम चुनाव तो दूर उपचुनाव में भी सतही राजनीति होने लगती है।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह के निधन से मैनपुरी ससदीय सीट पर उपचुनाव हो रहा है। प्रमुख मुकाबला सपा प्रत्याशी और मुलायम सिंह यादव की बहू डिम्पल यादव तथा भाजपा प्रत्याशी रघुराज शाक्य के बीच है। रामपुर में आजम खान को सजा मिलने के बाद सीट खाली हुई। यहां पर भाजपा ने आकाश सक्सेना को उम्मीदवार बनाया है जबकि मुजफ्फरनगर दंगे के मामले में एमपी एमएलए कोर्ट से भाजपा विधायक विक्रम सैनी को दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद रिक्त हुई खतौली विधानसभा सीट पर भाजपा ने विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने रामपुर में असीम रजा को अपना प्रत्याशी बनाया जबकि खतौली में सपा-रालोद के प्रत्याशी मदन भैया हैं। मतदान 5 दिसम्बर को होना है लेकिन इससे पहले तिकड़म की राजनीति भरपूर हुई है। समाजवादी पार्टी मीडिया सेल के आधिकारिक ट्यूटर हैंडिल पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं पर अभद्र टिप्पणी की गयी तो चाचा शिवपाल जैसे ही बहू के पक्ष में प्रचार करने को आगे बढ़े तो उनकी सुरक्षा घटा दी गयी। अखिलेश यादव भी सीएम योगी आदित्यनाथ की फाइल की चर्चा करने लगे जो 2012 में उनके मुख्यमंत्री बनने के दौरान उनके सामने लायी गयी थी। बकौल अखिलेश यादव उस समय उस फाइल के आधार पर योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कार्रवाई हो सकती थी लेकिन उन्होंने राजनीतिक शुचिता को ध्यान में रखकर फाइल अफसरों को लौटा दी। इस प्रकार लगता है चुनाव प्रतिस्पर्द्धा नहीं कटुता पैदा कर रहे हैं।
समाजवादी पार्टी मीडिया सेल के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं के प्रति अभद्र टिप्पणी करने के मामले में लखनऊ के विभूति खंड थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। यह मामला संघ के स्वयंसेवक एवं वकील प्रमोद कुमार पांडे की शिकायत पर दर्ज किया गया। शिकायतकर्ता का आरोप है कि सपा मीडिया सेल के खाते से किए गए एक ट्वीट में संघ की शाखाओं के बारे में अभद्र टिप्पणी की गई है। पांडे ने शिकायत में यह भी कहा कि संघ की शाखाओं में बच्चों के साथ व्यवहार को लेकर कई घोर आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं, जिनसे उसे मानसिक आघात पहुंचा है। पांडे ने कहा कि संघ से करोड़ों स्वयंसेवक जुड़े हैं और इस ट्वीट के जरिए सामाजिक और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की साजिश की गई है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने गत दिनो राजनीतिक प्रतिशोध पर भी सवाल उठाया। पहले तो उन्होंने उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक पर तंज कसते हुए कहा कि वे मुख्यमंत्री बनने के अवसर की तलाश में थे, लेकिन विफल हो गए। अखिलेश यादव ने सपा उम्मीदवार के समर्थन में उपचुनाव से पहले रामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, राज्य में दो उपमुख्यमंत्री हैं। दोनों ही मुख्यमंत्री बनने का अवसर तलाश रहे हैं। उन्होंने आगे दोनों उपमुख्यमंत्रियों को 'प्रस्ताव' दिया और कहा, हम उन्हें एक प्रस्ताव देने आए हैं। हमसे 100 विधायक ले लीजिए, हम आपके साथ हैं, जब चाहें मुख्यमंत्री बन जाएं। अखिलेश यादव ने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार को विपक्षी दल के प्रति इतना कठोर नहीं होना चाहिए कि वह सत्ता में लौटने पर प्रतिशोधी बन जाए। "जो लोग अन्याय कर रहे हैं, मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि सीएम (योगी आदित्यनाथ) की फाइल मेरे पास (मेरे कार्यकाल के दौरान) आई थी। फाइल में कहा गया था कि उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए लेकिन, हम नफरत और प्रतिशोध की राजनीति में लिप्त नहीं है। हमने फाइल वापस कर दी। अब हमें इतना सख्त मत करो कि जब हम सत्ता में आएंगे तो हम वही करेंगे जो आप हमारे साथ कर रहे हैं।
इस बीच प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव की सुरक्षा में कटौती की गई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने उनकी सुरक्षा को जेड से वाई कैटेगिरी की कर दिया है। शिवपाल सिंह यादव समाजवादी पार्टी के टिकट पर इटावा के जसवंतनगर से उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य यानी विधायक हैं। शिवपाल सिंह यादव इन दिनों मैनपुरी लोकसभा उप चुनाव में समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी डिंपल यादव के प्रचार में लगे हैं। इटावा जिले की जसवंतनगर विधानसभा सीट भी मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में आती है। यहां का वोट प्रतिशत मैनपुरी लोकसभा सीटजीतने में अहम भूमिका अदा करता है।मैनपुरी लोकसभा का उप चुनाव पांच दिसंबर को है। उत्तर प्रदेश शासन के गृह विभाग ने सुरक्षा निदेशालय की रिपोर्ट पर उनकी सुरक्षा में कमी की है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इन दिनों इटावा और मैनपुरी के दौरे पर चल रहे समाजवादी पार्टी के विधायक शिवपाल यादव की सुरक्षा घटा दी है। उनके सिक्योरिटी कवर को कम कर दिया गया है। शिवपाल सिंह यादव अब जेड के स्थान पर वाई श्रेणी की सुरक्षा में रहेंगे।
योगी आदित्यनाथ सरकार ने ही वर्ष 2017 में समाजवादी पार्टी के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाने वाले शिवपाल सिंह यादव की सुरक्षा का दायरा बढ़ाया था। इतना ही नहीं उनको लखनऊ के माल एवेन्यू क्षेत्र में बड़ा कार्यालय भी अलाट किया था। करीब पांच वर्ष पहले शिवपाल सिंह यादव को जेड सिक्योरिटी कवर दिया गया था। जेड कैटेगरी की सिक्योरिटी प्राप्त हस्ती की सुरक्षा में सीआईएसएफ, आईटीबीपी, बीएसएफ या पुलिस के 22 जवान तैनात रहते हैं। इनमें पांच एनएसजी कमांडो के साथ पुलिस अफसर होते हैं। अपनी सुरक्षा में कटौती होने पर विधायक और पीएसपी प्रमुख शिवपाल यादव ने कहा, बीजेपी से यही उम्मीद थी, अब हमारी सुरक्षा हमारे कार्यकर्ता और जनता करेगी। अब डिंपल यादव की जीत और बीजेपी प्रत्याशी की हार और बढ़ी होगी। इसके अलावा सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा, माननीय शिवपाल सिंह यादव की सुरक्षा श्रेणी को कम करना आपत्तिजनक है। साथ ही ये भी कहना है कि पेंडुलम समय के गतिमान होने का प्रतीक है और वो सबके समय को बदलने का संकेत भी देता है और ये भी कहता है कि ऐसा कुछ भी स्थिर नहीं है जिस पर अहंकार किया जाए। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर लिखा, शिवपाल सिंह यादव को भतीजे अखिलेश यादव और सपा के अपराधियों से खतरा था, अब दोनों में मिलाप हो गया है तो सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा टल गया है। जाहिर है, इस तरह की राजनीति को लोकतंत्र के हित में नहीं कहा जा सकता। (हिफी)