यशवंत सिन्हा की अगुवाई में बिहार में बनेगा थर्ड फ्रंट

एनडीए और महागठबंधन से अलग बिहार में अब तीसरे मोर्चे की कवायद शुरू हो गई है.

Update: 2020-06-27 13:47 GMT

पटना बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इसे लेकर राजनीतिक दलों में भी सुगुबुगाहट शुरू हो गई है. एनडीए और महागठबंधन से अलग बिहार में अब थर्ड फ्रंट की कवायद शुरू हो गई है. पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा की अगुवाई में मोर्चा बनाने की कोशिश की जा रही है।

माना जा रहा कि इस तीसरे मोर्चे में राज्य के राज्य के कई छोटे दल शामिल हो सकते हैं. पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह, देवेंद्र यादव, नागमणि, पूर्व सांसद अरुण कुमार जैसे नेता मोर्चे का चेहरा होंगे। यशवंत ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर सभी को चैका दिया

तीसरे मोर्चे का नारा इस बार बदलें बिहार होगा। पहला एक महीना सरकार की नाकामियों को लेकर आंदोलन किया जाएगा. आंदोलन में प्रवासी श्रमिकों का मुद्दा प्रमुखता से उठाया जाएगा. किसानों और युवाओं के मुद्दे पर भी तीसरे मोर्चे के नेता आंदोलन करेंगे. मोर्चे के रूप को लेकर नेताओं की कई दौर की बैठकें भी हो चुकी है।

माना जा रहा है कि यह एनडीए और महागठबंधन से नाराज नेताओं को एक साथ लाने की कोशिश है. तीसरा मोर्चा छोटे दलों के साथ मिलकर एक सिंबल पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है. मोर्चा के नेताओं का कहना है कि हम बनेंगे महागठबंधन और एनडीए का विकल्प बनेंगे।

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सबको चौका दिया है. उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार पर आंकड़ों का हवाला देते हुए निशाना साधा और तमाम नीतियों की आलोचना की. उन्होंने कहा कि सरकारी की ओर से पेट्रोल और डीजल की कीमत में बढ़ोतरी मुनाफाखोरी के सिवा कुछ नहीं है।

बिहार में मजदूरों के हालात पर यशवंत सिन्हा ने कहा कि उन्होंने जिंदगी में बिहारी होने की शर्मिंदगी कभी महसूस नहीं की लेकिन इस लॉकडाउन में उन्हें शर्मिंदगी हुई. आजादी के 72 साल बाद भी बिहार के लोगों को रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ रहा है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिहार की प्रतिष्ठा को वापस लाने की कोशिश हमलोग शुरू करेंगे. बचा हुआ जीवन अब इसमें लगाना है. हमारे साथी भी इसी काम में लगेंगे. हर हफ्ते बिहार के विभिन्न पहलू पर मीडिया से बात करूंगा. मैं थाली नहीं बजाऊंगा। उन्होंने यह भी कहा कि ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स के मुताबिक बीते 27 सालों से हम आखिरी पायदान पर ही रहे हैं. हमारा प्रतिव्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत का महज एक तिहाई है. हर साल 40 लाख लोग काम करने बाहर चले जाते हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिहार में स्वास्थ्य और शिक्षा दोनों का ही बुरा हाल है. बिहार के किसानों की मासिक आय एक किसान की 3528 है जबकि उत्तर प्रदेश में 4928 है. बिहार में उद्योग का राष्ट्रीय स्तर पर योगदान 1.5 प्रतिशत ही है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार का आलम यह है कि सरकार के नाक के नीचे से ट्रेजरी से पैसे गायब हो जाते हैं. हमलोग बिहार में एक शक्ति पैदा करना चाहते हैं. एक शक्ति केंद्र बनाने की कोशिश है. ये भविष्य तय करेगा कि हम पहले हैं, दूसरे हैं या तीसरे हैं. हम सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे. बेहतर बिहार बनाने में सरकार की बड़ी भूमिका होगी. जबतक वर्तमान सरकार है बिहार को बेहतर बिहार नहीं बनाया जा सकता है। बीजेपी के वर्चुअल कैंपेनिंग पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि यह बात हमे समझ में नहीं आती. ये खर्चीली व्यवस्था है. ये चीटिंग के अलावा कुछ नहीं है. 5 हजार लोगों से संपर्क करने पर 1 करोड़ लोगों के साथ संपर्क का दावा किया जाता है। इसलिए हमारी पारंपरिक प्रचार व्यवस्था ही बेहतर है. अगर वर्चुअल वाली व्यवस्था रही तो पूंजी वाले दलों को अपरोक्ष से मदद मिलेगी. उन्होंने कहा- मैं चुनाव आयोग से अपील करूंगा वर्चुअल प्रचार को रोक कर पारंपरिक तरीके से प्रचार कराएं।

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