PM ने कहा- एक राष्ट्र, एक चुनाव देश की जरूरत
अलग-अलग समय पर चुनावों से खर्च तो बढता ही है विकास के कार्य भी प्रभावित होते हैं।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक राष्ट्र-एक चुनाव को देश की जरूरत बताते हुए कहा कि अलग-अलग समय पर चुनावों से खर्च तो बढता ही है विकास के कार्य भी प्रभावित होते हैं।
नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के केवडिया में पीठासीन अधिकारियों के 80वें अखिल भारतीय सम्मेलन के समापन सत्र को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए कहा, " एक महत्वपूर्ण विषय है चुनावों का। वन नेशन वन इलेक्शन सिर्फ एक चर्चा का विषय नहीं है, बल्कि ये भारत की जरूरत है। हर कुछ महीने में भारत में कहीं न कहीं बड़े चुनाव हो रहे होते हैं। इससे विकास के कार्यों पर जो प्रभाव पड़ता है, उसे आप सब भली-भांति जानते हैं। ऐसे में वन नेशन वन इलेक्शन पर गहन अध्ययन और मंथन आवश्यक है।"
उन्होंने कहा कि इसमें पीठासीन अधिकारी मार्गदर्शन और पहल कर सकते हैं। इसके लिए लोकसभा , विधानसभा या फिर पंचायत चुनाव सबके लिए एक ही मतदाता सूची बनायी जानी चाहिए। उन्होंने कहा , " इसके लिए हमें सबसे पहले रास्ता बनाना होगा। आज हर एक के लिए अलग-अलग वोटर लिस्ट है, हम क्यों खर्चा कर रहे हैं, समय क्यों बर्बाद कर रहे हैं। अब हर एक के लिए 18 साल से ऊपर तक तय है। पहले तो उम्र में फर्क था, इसलिए थोड़ा अलग रहा, अब कोई जरूरत नहीं है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज संविधान दिवस भी है और संविधान की रक्षा करने में अहम भूमिका निभाने वाले पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन भी है। ये वर्ष पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन का शताब्दी वर्ष भी है। उन्होंने कहा, "आज डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद और बाबा साहब डॉ. भीमराव आम्बेडकर से लेकर संविधान सभा के उन सभी व्यक्तित्वों को नमन करने का दिन है, जिनके अथक प्रयासों से हम सब देशवासियों को संविधान मिला। आज का दिन पूज्य बापू की प्रेरणा को, सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिबद्धता को प्रणाम करने का दिन है। ऐसे ही अनेक दूरदर्शी प्रतिनिधियों ने स्वतंत्र भारत के नवनिर्माण का मार्ग तय किया था।"
उन्होंने वर्ष 2008 में आज ही के दिन हुए मुंबई आतंकी हमले में मारे गए लोगों को भी उन्होंने याद किया। आतंकवादियों का मुकाबला करते हुए शहीद हुए सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि आज भारत एक नये प्रकार के आतंकवाद से संघर्ष कर रहा है। उन्होंने कहा , " मुंबई हमले के जख्म भारत भूल नहीं सकता। अब आज का भारत नई नीति-नई रीति के साथ आतंकवाद का मुकाबला कर रहा है। मुंबई हमले जैसी साजिशों को नाकाम कर रहे, आतंक को मुंह-तोड़ जवाब देने वाले, भारत की रक्षा में प्रतिपल जुटे हमारे सुरक्षाबलों का भी मैं आज वंदन करता हूं।"