भाजपा को मिल सकता है पश्चिम में सपा की अंतर्कलह का फायदा

पश्चिम का किला फतह करने की कमान रालोद के हवाले करने के फैसले से सपा में असंतोष का फायदा भाजपा को मिलने की संभावना है।

Update: 2021-12-26 15:48 GMT

सहारनपुर। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पश्चिम का किला फतह करने की कमान राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के हवाले करने के अखिलेश यादव के फैसले से समाजवादी पार्टी (सपा) में व्याप्त असंतोष का फायदा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिलने की संभावना है।

दरअसल,पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा-रालोद गठबंधन को चुनाव में जीत की गारंटी माना जा रहा था लेकिन सपा नेतृत्व ने रालोद के समक्ष एक तरह से समर्पण कर 38 सीटें उसके लिए चुनाव लड़ने को छोड़ी है। इस फैसले से सपा के ताकतवर और जिताऊ उम्मीदवार सकते में हैं। उनमें से कई ऐसे हैं जिन्हें खुद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनाव लड़ाने का भरोसा दिया था। लेकिन ऐन वक्त पर अखिलेश ने एक तरह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गन्ना पट्टी रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के हवाले कर दी।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार रालोद की दिक्कत है कि उसके पास राजनीतिक जमा-पूंजी कृषि बिलों के खिलाफ जाटों में उपजे असंतोष और नाराजगी के रूप में मौजूद है। बड़े चौधरी अजित सिंह के गुजरने के बाद रालोद का संगठनात्मक ढांचा कमजोर हुआ है। हालांकि अखिलेश के साथ आने से जयंत चौधरी और रालोद दोनों की साख और विश्वसनीयता बढ़ी है। उपर्युक्त उम्मीदवारों के अभाव में रालोद के पास ऐसे टिकार्थियों का जमावड़ा लग गया है। यदि उनको उम्मीदवार बना दिया गया तो नतीजे अनुकूल नहीं रहेंगे। चुनाव में उनकी प्रतिक्रिया स्पष्ट रूप से सामने आएगी और जो बाजी अभी जीतती हुई दिख रही है वो हार में बदल सकती है।

सहारनपुर में जहां रालोद का कोई प्रभाव नहीं है वहां देवबंद और रामपुर मनिहारान सुरक्षित सीट रालोद को दी गई है। देवबंद में तो रालोद को पूर्व विधायक ठाकुर वीरेंद्र सिंह के रूप में उपर्युक्त उम्मीदवार मिल गया है लेकिन रामपुर मनिहारान के टिकट को लेकर जुआं दौड़ लगी है।

शामली जिले में भी रालोद को शामली और थानाभवन दो सीट दी गई हैं। प्रोफेसर सुधीर पंवार के सपा से चुनाव लड़ने की स्थिति से गन्ना मंत्री सुरेश राणा परेशानी में पड़ गए थे और भाजपा नेतृत्व उन्हें देवबंद या चरथावल से लड़ाने की रणनीति पर विचार कर रहा था लेकिन जीत रालोद के खाते में जाने से और राव वारीश के चुनाव लड़ने की संभावना से सुरेश राणा को राहत मिली है। अब भाजपा ने सुरेश राणा को वहीं से चुनाव लड़ाने का निर्णय ले लिया है। मुजफ्फरनगर जिले में छह विधानसभा सीटें हैं। चरथावल को छोड़कर अन्य पांच सीटों पर रालोद अपने उम्मीदवार उतारेगा।

सं प्रदीप

जारी वार्ता

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