जन्मदिन विशेष- तीसरी बार विधायक बन अनिल ने रचा इतिहास
दो दशकों की राजनीति के इस कार्यकाल में अनिल कुमार तीसरी बार विधायक बन गये हैं। बसपा और सपा में रह चुके अनिल कुमार...
मुजफ्फरनगर। दो दशकों से अधिक समय से राजनीति में सक्रिय अनिल विधायक का आज जन्मदिन हैं। दो दशकों की राजनीति के इस कार्यकाल में अनिल कुमार तीसरी बार विधायक बन गये हैं। बसपा और सपा में रह चुके अनिल कुमार गठबंधन की वजह से रालोद के पाले में चले गये। अनिल कुमार विधायक रहे या नहीं रहे लेकिन वह जनता के बीच हमेशा रहे। जनता की समस्या को सुनकर जल्द ही उस समस्या का निस्तारण कराने का वह प्रयास करते हैं।
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सुरक्षित विधानसभा सीट पुरकाजी पर सपा-रालोद गठबंधन के अनिल कुमार ने दर्ज कर इतिहास रच दिया। जनपद में विधायक अनिल कुमार ने तीसरी बार विधायक बनकर उस मिथक को तोड़ दिया है कि आजादी के बाद से कोई भी दलित व्यक्ति तीन बार विधायक चुनकर विधानसभा में नहीं पहुंचा है। पुरकाजी से विधायक अनिल कुमार के जन्मदिन पर पेश है खोजी न्यूज की खास रिपोर्ट...
गौरतलब है कि वर्ष 2001 से राजनीति में सक्रिय अनिल कुमार की सियासत की शुरूआत बहुजन समाज पार्टी से हुई थी। वर्ष 2002 में तत्कालीन चरथावल सुरक्षित विधानसभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी के सिम्बल चुनावी लड़ी प्रत्याशी उमा किरण को अनिल कुमार ने काफी वोट दिलवाने का काम किया था, जो चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच गई थी। अनिल कुमार ने वर्ष 2007 में बसपा के सिम्बल पर चरथावल विधानसभा सीट से खुद चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। परिसीमन हुआ तो वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में पुरकाजी सुुरक्षित विधानसभा सीट से अनिल कुमार बसपा के सिम्बल ही इलेक्शन लड़े और चुनाव में अधिक वोट हासिल कर विजय प्राप्त की। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने तीसरी बार अनिल कुमार को टिकट दिया लेकिन इस चुनाव में प्रमोद उंटवाल के आगे वह चुनाव हार गये थे। इस चुनाव में अनिल कुमार को 48 से 50 हजार वोट मिली थी। अनिल कुमार यह चुनाव भाजपा की लहर की वजह से हार गये थे। चुनाव में हार मिलने के बाद भी अनिल कुमार लगातार जनता के बीच में कार्य करते रहे।
ज्ञात हो कि पुरकाजी विधानसभा सीट से विधायक चुके अनिल कुमार ने इस बीच हाथी की सवारी को छोड़ सपा का हैंडल अपने हाथों में थाम लिया था। विधायक अनिल कुमार को अपने हाथों से खुद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सदस्यता ग्रहण कराई थी। जनपद मुजफ्फरनगर में पूर्व विधायक अनिल कुमार को एससी का बड़ा चेहरा माना जाता है। पुरकाजी विधानसभा सीट आरक्षित सीट है। जब पुरकाजी विधानसभा सीट का पहला चुनाव हुआ तो इस चुनाव में अनिल कुमार ने कांग्रेस के दीपक कुमार को हजारों वोटों में मात देकर जीत का परचम लहरा दिया था।
इससे पूर्व में अनिल कुमार चरथावल विधानसभा से भी विधायक रह चुके है। उन्होंने इन विधानसभा क्षेत्रों में विधायक बन जनता की सेवा की है। जनता की समस्या का समय से निदान कराकर और उनके क्षेत्र में विकास कार्य कराकर उनके दिल जीत लिया है। इस नेता की एक खास बात यह और है कि वह जनता को फेस टू फेस जानते हैं। जनता भी अपने नेता के व्यवहार को परखती है कि उसका व्यवहार उसके प्रति कैसा है, यह खूबी पूर्व विधायक अनिल कुमार में है। जनता भी अपना नेता ऐसी क्वालिटी वाला ही चाहती है, क्योंकि जनता वोट ही इसलिये देती है, जो उनकी समस्याओं का निरकारण और उनके क्षेत्र को विकास कार्यों से चमका सके।
बीजेपी की लहर में चुनाव हारने के पश्चात भी उन्होंने जनता से अपना जनसम्पर्क नही तोड़ा, निरंतर लोगों के बीच जाकर उनके सुख-दुख शामिल रहे। पुरकाजी विधानसभा सीट पर दलित वोट 50 हजार हैं। अनिल कुमार अपने समाज के साथ-साथ सर्वसमाज के बीच रहकर बीस साल से निरंतर कार्य कर रहे हैं और 11 साल से अधिक समय से अनिल कुमार विधायक के रूप में पब्लिक की सेवा कर रहे हैं।
बता दें कि अनिल कुमार से पहले कोई भी दलित नेता 3 बार विधायक चुनकर नही पहुंचा है। इससे पहले कांग्रेस के टिकट पर जानसठ सुरक्षित विधानसभा सीट से दो बार दीपक कुमार जीत चुके है। उसके बाद दीपक कुमार कई चुनाव लड़े मगर जीत उनकी दहलीज से दूर ही रही। जानसठ सीट से ही डॉ यशवंत सिंह पहले रालोद के सिंबल पर तो दूसरी बार बसपा के टिकट पर चुनाव जीते और मायावती सरकार में मंत्री भी रहे। उसके बाद यशवंत सिंह ने मुज़फ्फरनगर से चुनाव नही लड़ा। इस बार वो बिजनोर की सुरक्षित नगीना सीट से चुनाव लड़े मगर सपा के मनोज पारस से चुनाव हार गए।
भाजपा के सिंबल पर तब की चरथावल सुरक्षित सीट पर रणधीर सिंह भी दो बार विधायक रहे, मगर तीसरी बार उनका नम्बर विधानसभा में नही आया। इसके साथ ही चरथावल सीट पर दलित वर्ग से उमा किरण भी बसपा के टिकट पर चुनाव जीती और मुलायम सरकार में मंत्री भी रही, मगर इसके बाद वो चुनाव तो सब लड़ी मगर उनका नम्बर फिर नही लगा।
चरथावल सीट से अनिल कुमार पहली बार बसपा के टिकट पर चुनाव विधायक बने थे। चरथावल के बाद पुरकाजी सीट सुरक्षित बनी तो 2012 में अनिल ने दूसरी बार बसपा के टिकट पर फिर जीत हासिल की। 2017 के चुनाव में अनिल कुमार हारे तो 2022 के इलेक्शन में इस बार उन्होंने सपा रालोद गठबंधन के टिकट पर जीतकर जिले के उस मिथक को तोड़ दिया है कि कोई भी दलित नेता आज़ादी के बाद से जनपद मुज़फ्फरनगर में विधानसभा में हैट्रिक नही लगा पाया है। अनिल कुमार ने भाजपा के विधायक प्रमोद ऊंटवाल को हराया है।