हिरासत में अखिलेश - बोले मेरे नागरिक अधिकारों का हनन

किसान यात्रा का शुभारंभ करने जाने से रोके जाने के विरोध में धरने पर बैठे सपा मुखिया अखिलेश यादव को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

Update: 2020-12-07 09:19 GMT

लखनऊ। कन्नौज में किसान यात्रा का शुभारंभ करने जाने से रोके जाने के विरोध में धरने पर बैठे सपा मुखिया अखिलेश यादव को पुलिस ने घंटों की जद्दोजहद के साथ हिरासत में ले लिया। वाहन में बैठाकर पुलिस उन्हें लखनऊ के इको गार्डन के लिए रवाना हो गई। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि कृषि कानून का विरोध कर रहे किसानो की आवाज को भारतीय जनता पार्टी सरकार दबा नहीं सकती और उनकी पार्टी काले कानून की वापसी की मांग कर रहे अन्नदाताओं के लिए लगातार संघर्ष करती रहेंगी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला को अपने नागरिक हनन होने की जानकारी देते हुए उनसे हस्तक्षेप की मांग की।  


दरअसल, सपा अध्यक्ष ने रविवार को घोषणा की थी कि उनकी पार्टी कृषि कानून को वापस लेने के किसान संगठनो की मांग का समर्थन करती है और इसके लिये सोमवार से राज्य भर में किसान यात्रायें आयोजित की जायेंगी। उन्होने खुद सोमवार को कन्नौज में आयोजित किसान यात्रा में भाग लेने का एलान किया था। सपा अध्यक्ष की घोषणा के बाद सतर्क जिला प्रशासन ने कोविड प्रोटोकाल का हवाला देते हुये सपा कार्यालय और पूर्व मुख्यमंत्री के आवास के बाहर बेरीकेडिंग लगाकर पुलिस बल तैनात कर दिया था।

दिन बढ़ने के साथ सपा कार्यकर्ताओं और नेताओं का जमावड़ा सड़कों पर बढ़ने लगा। कुछ नेताओं ने सपा प्रमुख के आवास में जाने का प्रयास किया जिन्हे पुलिस ने रोक दिया। उधर सपा अध्यक्ष की गाड़ी और सुरक्षाकर्मियों को भी आवास में जाने से रोक दिया गया।

इसके बाद सपा अध्यक्ष सड़क पर आ गये और बंदरिया बाग में सड़क पर धरने पर बैठ गये। उन्होने कहा कि पुलिस चाहे तो उन्हे गिरफ्तार कर सकती है। अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों की आवाज को दबाना चाहती है। भाजपा जुलूस निकाले तो कोविड प्रोटोकाल का उल्लघंन नहीं होता है और अगर किसान आंदोलन करता है तो तमाम नियमों का हवाला दिया जाता है।

उन्होने कहा कि उनके कई कार्यकर्ताओं और नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया है लेकिन उनकी पार्टी किसानो की जमीन और फसल को लीलने वाले काले कानून की वापसी तक किसानों के साथ संघर्ष करती रहेगी। चाहे इसके लिये उन्हे कोई भी कुर्बानी क्यों न देनी पड़े।


समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर लोकतांत्रिक मूल्यों के हनन का हवाला देते हुये हस्तक्षेप करने की मांग की है।

कोविड प्रोटोकाल का हवाला देते हुये समाजवादी पार्टी के सोमवार से शुरू किसान मार्च को सरकार ने अनुमति नहीं दी है। कन्नौज जाने पर अड़े सपा अध्यक्ष को लखनऊ में हिरासत में ले लिया गया। इस दौरान सपा कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प भी हुयी जिसके बाद कई नेता और कार्यकर्ता हिरासत में ले लिये गये।

इस बीच अखिलेश यादव ने लोकसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा " मै लोकसभा का सदस्य और सपा का अध्यक्ष होने के साथ साथ उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के पद पर अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वहन कर चुका हूं। किसानो के समर्थन में मेरा पूर्व घोषित कार्यक्रम सात दिसम्बर को कन्नौज में लगा है। वहां सभी तैयारियां हो चुकी है। "

उन्होने लिखा " राज्य सरकार के निर्देश पर मुझे कार्यक्रम में जाने से रोका गया है। विक्रमादित्य मार्ग स्थित मेरे आवास पर भारी पुलिस बल लगा है। मेरे वाहनो को भी पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है। राज्य सरकार का यह अलोकतांत्रिक व्यवहार मेरे नागिरक अधिकारों का हनन है। यह मामला सांसद होने के नाते विशेषाधिकार के हनन का भी है। कृपया तत्काल हस्तक्षेप करें ताकि अपनी लोकतांत्रिक गतिविधियों को सम्पन्न करने का मेरा अधिकार बहाल हो सके। "


इस बीच लखनऊ और कन्नौज के अलावा राज्य के कुछ अन्य इलाकों में सपा कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़पों की सूचना है। लखनऊ में अलग अलग इलाकों में सपा कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया और उन्हे हिरासत में लिया गया।

जिला प्रशासन की दलील है कि कोविड प्रोटोकाल के उल्लघंन की आशंका से किसान मार्च को इजाजत नहीं दी जा सकती। अखिलेश यादव के आवास से लेकर पार्टी कार्यालय तक के बल्लियों से बैरीकैडिंग की गई है। पुलिस ने सपा अध्यक्ष के वाहन और सुरक्षा कर्मियों को बैरीकैडिंग के बाहर ही रोक दिया है।

सपा के दो एमएलसी उदय वीर सिंह और राजपाल कश्यप ने अखिलेश यादव के आवास पर जाने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उन्हे रोक दिया। सपा नेताओं का आरोप है कि उन्होने पुलिस अधिकारियों को बाकायदा अपने परिचय पत्र दिखाये लेकिन इसके बावजूद उन्हे अपने ही नेता से मिलने की अनुमति नहीं दी गयी जो लोकतंत्र के अपमान की पराकाष्ठा है।

उधर सपा विधान पार्षद सुनील सिंह साजन ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि राज्य की योगी सरकार किसानो के आंदोलन को कुचलना चाहती है जबकि सपा अध्यक्ष का साफ संदेश है कि उनके कार्यकर्ता किसानो की जमीन के हक की लड़ाई लड़ते रहेंगे चाहे इसके लिये उन्हे अपनी जान ही क्यों न कुर्बान करनी पड़े। सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री को घर पर नजरबंद कर दिया और उनके आवास को छावनी में तब्दील कर दिया लेकिन इससे सपा के इरादों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा और उनकी पार्टी मुश्किल वक्त में किसानो के साथ खड़ी रहेगी।

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