असहाय वृद्धा के लिए इंस्पेक्टर बन गए 'लायक बेटा'

पुलिस किस प्रकार से अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रही है और मानवता की नई मिसालें कायम कर रही हैं, इसका एक उदाहरण।

Update: 2020-12-31 15:01 GMT

अयोध्या। पुलिस किस प्रकार से अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रही है और मानवता की नई मिसालें कायम कर रही हैं, इसका एक उदाहरण आज अयोध्या इंस्पेक्टर ने पेश किया। इंस्पेक्टर को सूचना मिली कि एक वृद्धा बहुत ही बुरे हाल में है और ऐसी ही हालत में रिश्तों को तार-तार करते हुए उसके रिश्तेदार उसे घर से बाहर निकाल रहे हैं। सूचना पर इंस्पेक्टर तुरंत मौके पर पहुंचे और सबसे पहले वृद्धा को भोजन कराया और उसके बाद उसे वृद्धाश्रम में भर्ती कराया। इतना ही नहीं, अपनों के ठुकराने के बाद इंस्पेक्टर ने एक लायक बेटा बनकर वृद्धा का खर्च जिंदगी भर उठाने की जिम्मेदारी उठाते हुए इंसानियतों के झंडे को आसमान की ऊंचाईयों में लहरा दिया। वृद्धा ने अपने लायक इंस्पेक्टर बेटे को लख-लख आशीर्वाद दिया।

अयोध्या के पुलिस उप महानिरीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार के निर्देशन में पुलिस जहां अपराधियों के खिलाफ सख्त अभियान चलाकर क्राईम कंट्रोल कर रही है, वहीं मानवता की भी नई मिसालें कायम कर रही है। खाकी का सख्त चेहरा अपराधियों के लिए काल है, तो वहीं आम आदमियों के लिए खाकी किसी वरदान से कम साबित नहीं हो रही है।


इसका ही एक जीता जागता उदाहरण आज अयोध्या पुलिस इंस्पेक्टर ने पेश किया।

पुलिस महानिरीक्षक/एसएसपी अयोध्या दीपक कुमार को जानकारी मिली कि 75 वर्षीय कंचन लता भार्गव पत्नी स्व. पारसनाथ तिवारी निवासी आशापुर की मूल निवासी है। वह 35 वर्ष इलाहाबाद में रही है। अब कुछ दिनों से वह अयोध्या के चंदन बाग स्थित अपनी लड़की व दामाद के यहां रह रह है। उसके परिजन उसे खाना-पानी तक नहीं दे रहे हैं और घर से बाहर निकालने पर आमादा हैं। वह पूरी तरह से बेसहारा हो गई है। पुलिस उप महानिरीक्षक/एसएसपी दीपक कुमार ने उक्त वृद्धा के बारे में फोन पर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक नितीश कुमार श्रीवास्तव को जानकारी दी। सूचना पर नितीश कुमार तुरंत मौके पर पहुंचे। नितीश कुमार ने देखा कि वृद्धा की हालत काफी खराब थी। परिजनों द्वारा उनको खाना-पानी नहीं दिया जा रहा था, जिसके कारण वृद्धा का शरीर बहुत कमजोर हो चुका था। नितीश कुमार ने तुरंत वृद्धा को भोजन कराया और उनके जलपान का इंतजाम किया। घर पर वह बिल्कुल अकेली थी। उन्होंने वृद्धा से पूछा कि वे कहां रहना चाहती हैं, तो वृद्धा ने बताया कि उनका कोई सहारा नहीं है, उनको वृद्धाश्रम में भिजवा दो। कोतवाली प्रभारी ने तुरंत वृद्धा को मणिपर्वत वृद्धाश्रम में भर्ती कराया। पुलिस की ड्यूटी में होने के बावजूद भी प्रभारी निरीक्षक नीतीश कुमार का वृद्धा को देखकर दिल पसीज गया। उन्होंने न सिर्फ कंचन लता को वृद्धाश्रम में भर्ती कराया, वरन जिंदगी पर महिला का खर्च स्वयं वहन करने की जिम्मेदारी भी ले ली।

पुलिस का यह चेहरा मानवता के लिए बेमिसाल है। पुलिस ने जिस तरह से एक असहाय वृद्धा को सहारा दिया है, वह मानवता का द्योतक है। पुलिस ने यह करके दिखाया है कि सबसे बड़ा धर्म मानवता का होता है। गरीबों, वृद्धों, असहायों की सेवा करने में जो आनंद मिलता है, वह और किसी भी तरीके से प्राप्त नहीं होता है। अपनों ने वृद्धा को जो जख्म दिये हैं, प्रभारी निरीक्षक उन जख्मों को पराये होते भी भरने की कोशिशों में लग गये हैं। प्रभारी निरीक्षक का अपने लिए वात्सल्य और पुत्र जैसा धर्म देखकर वृद्धा की आंखें खुशी के आंसुओं से नम हो गयी। उन्होंने अपने इंस्पेक्टर बेटे को आशीर्वाद दिया। यह दृश्य देखकर वृद्धाश्रम में मौजूद अन्य लोग भी पुलिस की कार्यशैली को देखकर गद्गद् हो गये। आज समाज में ऐसे ही पुलिस बेटों की आवश्यकता है, जो असहायों की मदद कर, मानवता के झंडे को आकाश की ऊंचाईयों में फहरा सकें, जिससे कि अन्य लोग भी इसी मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित हो सकें।

रिपोर्टः प्रवीण गर्ग

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